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क्या 'हाउडी मोदी' से दुनिया भर में भारत की छवि होगी और मजबूत? पढ़ें ये रिपोर्ट

पीएम नरेंद्र मोदी आज ही ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मौजूद रहेंगे। मोदी 50,000 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी लोगों को संबोधित करेंगे।

Aditya Mishra
Published on: 27 May 2023 11:26 AM GMT
क्या हाउडी मोदी से दुनिया भर में भारत की छवि होगी और मजबूत? पढ़ें ये रिपोर्ट
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लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात दिनों के अमेरिकी दौरे पर हैं। आज उन्होंने ह्यूस्टन में सिख, बोहरा और कश्मीरी पंडितों के एक-एक प्रतिनिधिमंडल से अलग-अलग मुलाकात की।

इस दौरान प्रधानमंत्री लोगों से बात करते दिखे और फोटो खिंचवाई। पीएम मोदी आज ही ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मौजूद रहेंगे।

मोदी 50,000 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी लोगों को संबोधित करेंगे। तो आइये जानते हैं भारत के लिए पीएम मोदी का ये दौरा कितना ख़ास है और क्या हाउडी मोदी' से भारत की छवि होगी पहले से और अधिक मजबूत होगी?

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मोदी ने टेक्सस को ही क्यों चुना?

'हाउडी मोदी' कार्यक्रम ह्यूस्टन में हो रहा है। यह टेक्सस का एक शहर है। यहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी लोग रहते हैं। ह्यूस्टन के अलावा डलास भी टेक्सस की प्रमुख जगह है। दोनों ही जगह उन टॉप 10 शहर में शामिल हैं जहां भारतीय अमेरिकी लोगों की संख्या टॉप पर है।

मोदी का ये है मास्टर प्लान

मोदी के लिए देखा जाए तो वह यहां पर दुनिया के सबसे ताकतवर नेता के साथ मंच शेयर करेंगे। यहां पर वह अपने घरेलू और अन्तराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बढ़ा सकेंगे। यहां पर उन्हें कश्मीर मुद्दे पर भी थोड़ी सी राहत मिल सकती है। जो कि पाकिस्तान और इमरान खान पहले भी उठाते रहे हैं और इसी महीने यूएन जनरल असेंबली में उठा सकते हैं।

प्रवासी भारतीयों को क्यों लुभाना चाहते हैं मोदी

अब सबसे बड़ा सवाल है कि मोदी प्रवासी भारतीयों को क्यों लुभाना चाहते हैं। उनके आलोचक कहते हैं कि प्रधानमंत्री दुनिया में ब्रांड मोदी को स्थांपित करने में लगे हैं। दुनिया में मिल रहे समर्थन से ये स्पष्ट है कि पीएम मोदी की स्थिति बहुत अच्छी है।

उनकी विदेश नीति में ये संबंध सबसे अहम कड़ी हैं। इसीलिए उन्होंने विदेशों में भारतीय दूतावासों से कहा है कि वह प्रवासियों से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से देखें। मोदी को साफ तौर पर लगता है देश की तरक्की और खुद की इमेज के लिए प्रवासियों की ताकत का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

पिछले पांच सालों में प्रवासियों का मिला भारी समर्थन

ऐसा नहीं है कि बीजेपी को विदेशों में प्रवासी भारतीयों का समर्थन नहीं है। लेकिन पिछले पांच साल में मोदी इसे और आगे लेकर गए हैं।

अमेरिका में भारतीयों ने अकेडेमिक, बिजनेस, अमेरिकी सरकार और राजनीति में अच्छीे पकड़ बना रखी है।

अमेरिका में 30 लाख भारतीय हैं। एक रिसर्च के अनुसार अमेरिका में भारतीयों की सालाना आय औसतन 89000 हजार डॉलर है। वहीं अमेरिकी लोगों की आय 50000 डॉलर प्रति वर्ष है।

भारतीय विदेश नीति को सफल बनाने में मिली बड़ी जीत

देखा जाए तो कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी विदेशों में बसे भारतीयों का समर्थन अपने लिए ज्या दा जुटाती रही है। इस दिशा में संघ परिवार ने दशकों से काम किया है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तो अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के लिए 'एंबेसडर एट लार्ज' की नियुक्ति की बात कही थी, लेकिन तब अमेरिका ने उस बात को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि एक देश में दो राजदूत की जरूरत नहीं है।

भारतीय विदेश नीति में प्रवासियों को एक अहम टूल के रूप में इस्ते माल करना मोदी की बड़ी जीत रही है।

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प्रवासी भारतीयों की नीति के कारण दुनिया में चमकी भारत की छवि

बीजेपी बहुत पहले से ये मानती रही है कि विदेशों में बसा भारतीय समुदाय विदेश नीति का अहम हिस्सा होते हैं। इसके मुकाबले कांग्रेस इस दिशा में पीछे रही है। उसने कभी इस मुद्दे को इतना महत्व नहीं दिया।

उदारीकरण के बाद ये माना गया कि व्यापार, निवेश और राजनयिक संबंधों में प्रवासियों का बड़ा योगदान है। इनकी ताकत का अंदाजा उस समय लगाया गया जब पोकरण परमाणु धमाकों के बाद दुनिया ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए। उस समय प्रवासी भारतीयों ने देश की खूब मदद की।

मोदी की प्रवासी भारतीयों की नीति के कारण दुनिया भर में भारत की तस्वीर और चमकदार हुई है। मोदी के लिए ये प्रवासी संपत्ति के समान हैं। हाउडी मोदी कार्यक्रम इसे और आगे ले जाने की दिशा में एक कोशिश है।

पीएम मोदी पहले भी कर चुके हैं ऐसे कार्यक्रम

पीएम मोदी विदेश में इससे पहले भी कई कार्यक्रमों का हिस्सा रह चुके हैं। अकेले अमेरिका की बात करें तो वह न्यूयॉर्क, सेन जोस और वॉशिंगटन डीसी में भी ऐसे इवेंट्स में शामिल हुए हैं।

मोदी के हर इवेंट में अच्छी खासी संख्या में लोग पहुंचे। इसका असर सीधे तौर पर भारतीय राजनीति पर भी पड़ता है। इससे लोगों के बीच सीधा संदेश जाता है कि अब विदेश में भारत की छवि बेहतर हो रही है।

इससे पहले मोदी साल 2014 में न्यूयॉर्क में ऐसा कार्यक्रम कर चुके हैं। यहां 18 हजार लोग पहुंचे थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने सेन जोस, वॉशिंगटन डीसी में भी इवेंट्स में हिस्सा लिया। भारतीय अमेरिकियों की संख्या के मामले में यह शहर क्रमश: पहले, चौथे और पांचवे नंबर पर हैं।

इवेंट में आने से ट्रंप का भी फायदा

अमेरिका में अगले साल चुनाव होने हैं, इस इवेंट से ट्रंप भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों को अपनी तरफ करना चाहते हैं। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने ट्रंप को टक्कर दे रहीं हिलेरी क्लिंटन को वोट दिया था।

यह बात बाद में नैशनल एशियन अमेरिकन सर्वे में सामने आई थी। ट्रंप का कार्यक्रम में आने का फैसला इससे जोड़कर देखा जा रहा है। ट्रंप यह मानकर चल रहे होंगे कि मोदी के साथ खड़े होने पर इंडो-अमेरिकन लोगों का साथ उन्हें मिल सकता है।

पहली बार ऐसी रैली

हाउडी मोदी की अहमियत तो इसी से पता चलती है कि हालिया समय में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब दो सबसे बड़े लोकंतत्रों के नेता दुनिया में कहीं एक संयुक्त रैली को संबोधित करेंगे।

कार्यक्रम की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के अलावा 60 से अधिक प्रमुख अमेरिकी सांसद शिरकत करेंगे। पीएम मोदी के शानदार स्वागत के लिए इस कार्यक्रम में पहली हिंदू सांसद तुलसी गब्बार्ड और भारतवंशी सांसद राजा कृष्णमूर्ति भी शामिल होंगे।

यह अमेरिका के अबतक के सबसे बड़े और यादगार इवेंट में से एक होगा। इसमें शामिल होने वाले सांसदों में जॉन कॉरिन, टेड क्रुज, एल ग्रीन, पीटे ओल्सन, शीला जैकसन ली, सिल्विया ग्रेसिया, ग्रेग एबॉट, सिंडी हेडन-स्मिथ, एमी बेरा, ब्रायन बैबिन, राजा कृष्णमूर्ति, तुलसी गब्बार्ड, ब्रैड शेरमन और न्यू यॉर्क के गवर्नर एलियट एंजल है।

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Aditya Mishra

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