TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जानिए क्यों मचा है एमपी में सियासी घमासान, कहीं अपने तो नहीं बिगाड़ रहे खेल

मध्य प्रदेश के ताजा हालात और उसकी टाईमिंग इस बात की ओर इशारा करती हैं की कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। इसमें तमाम विधायक से लेकर शीर्ष नेता तक गुटों में..

Deepak Raj
Published on: 6 March 2020 11:55 AM GMT
जानिए क्यों मचा है एमपी में सियासी घमासान, कहीं अपने तो नहीं बिगाड़ रहे खेल
X

दीपक राज

भोपाल। मध्य प्रदेश के ताजा हालात और उसकी टाईमिंग इस बात की ओर इशारा करती हैं की कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। इसमें तमाम विधायक से लेकर शीर्ष नेता तक गुटों में बंटे हुए हैं। आज हीं राज्यसभा के 55 सीटों के लिए अधिसूचना जारी की गई है। जिसमें मध्यप्रदेश से तीन राज्य सभा सीट खाली हुई है। जिसको लेकर तमाम प्रकार के दांव पेच चल रही हैं।

ये भी पढ़ें-भारतीय अर्थव्यवस्था को बीजेपी सरकार की नीतियों ने बर्बाद किया: प्रियंका गांधी

जिसमे कांग्रेस के दिग्गज नेता व दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहें दिग्विजय सिंह का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा है। वहीं कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री हैं और प्रदेश के अध्यक्ष भी हैं। कमलनाथ ये चाहते है की उनके मन के अनुसार राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों को चुनाव हो।

लेकिन अभी राज्यसभा सीट के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया व दिग्विजय सिंह इस रेस में सबसे आगे हैं। कांग्रेस दो सीटों को आराम से जीत सकती थी, लेकिन कमलनाथ के रुख के कारण सिंधिया समर्थित विधायकों ने कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

महेंद्र् सिंह सिसोदिया ने सरकार पर बोला हमला

उन्होंने मांग किया कि सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। वहीं कमलनाथ सरकार के मंत्री महेंद्र् सिंह सिसोदिया ने कहा कि 'कमलनाथ सरकार की संकट तब तक रहेगी जब तक कमलनाथ जी हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की अपेक्षा करते रहेंगे, और सरकार के उपर निश्चित तौर पर काले बादल छाएंगे'

आप को याद दिला दें की जब कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की स्थिती में होने के बाद सबसे ज्यादा सीएम के लिए चेहरा घोषित करने में मध्य प्रदेश में ही वक्त लगा था। कांग्रेस ने 2018 में तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव जीती थी जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश था । लेकिन दोनों राज्यों के सीएम उम्मीदवार जल्द ही घोषित कर दिए गए थें।

ज्योतिरादित्य सिंधिया व कमलनाथ को लेकर मामला अटका पड़ा था

जिसमें राजस्थान के लिए अशोक गहलोत व उप-मुख्यमंत्री के लिए सचिन पायलट का नाम घोषित हुआ था। वहीं छत्तीसगढ़ के लिए भुपेश बघेल को सीएम कैंडिडेट पर सहमति बनी थी। लेकिन मध्यप्रदेश के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया व कमलनाथ को लेकर मामला अटका पड़ा था। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया उप-मुख्यमंत्री पद के लिए पर राजी नहीं हुए थे।

मध्य प्रदेश के सीएम को लेकर शीर्ष नेतृत्व को काफी माथा-पच्ची करना पड़ा था

जिसके कारण शीर्ष नेतृत्व को काफी माथा-पच्ची करना पड़ा था। काफी मान-मनौव्वल के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद कमलनाथ के साथ बैठ कर प्रेस वार्ता किया था। जिस पर कमलनाथ ने भी सिंधिया का अभार व्यक्त किया था। फिर सोशल मीडिया पर भी सिंधिया के इस फैसला को तमाम नेताओं ने बधाई दिया था।

ये भी पढ़ें-महाराष्ट्र बजट 2020: उद्धव सरकार का किसानों को तोहफा, युवाओं के लिए बड़ा एलान

लेकिन हालिया घटनाक्रम की बात करें तो सिंधिया व कमलनाथ में संबंध अच्छे नहीं रहें हैं। एक जनसभा के दौरान सिंधिया ने कहा था की, अगर सरकार सभी वादे पूरा नहीं करती है तो हम आपके साथ सड़क पर उतरेंगे। जिसके बाद कमलनाथ ने सोनिया- राहुल से मिलने दिल्ली पहुंचे थे। इसके बाद सीएम कमलनाथ ने भी बातें कही थी की पांच साल के वादे को एक साल में कैसे पूरा किया जा सकता हैं।

राहुल व प्रियंका उबारेंगे से संकट से

अब देखना ये दिलचस्प होगा की कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस संकट से कैसे पार पाता है, जिसका सारा दारोमदार राहुल व प्रियंका पर है की वे इस संकट से पार्टी को कैसे उबारते हैं, और दो राज्यसभा सीटों को कैसे जीत पाते हैं। फिलहाल अभी राज्यसभा से लेकर राज्य सरकार पर भी संकट मंडरा रहा है।

राज्यसभा में 17 राज्यों की 55 सीटों पर 26 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए आज यानी शुक्रवार को नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है। कांग्रेस और बीजेपी सहित तमाम क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने राज्यसभा की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। मध्य प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के पीछे का मकसद राज्यसभा के चुनाव को माना जा रहा है। हालांकि डीएमके के अलावा अभी किसी भी दल ने अपने राज्यसभा प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है।

Deepak Raj

Deepak Raj

Next Story