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आईएएस ने बनाए कम लागत वाले ये 5 उपकरण

झारखंड में कोरोना वायरस के केस भले ही कम हों लेकिन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी पूरी  है। इन्हीं तैयारियों का हिस्सा है कुछ ऐसे इनोवेशन जो एक आईएएस अधिकारी ने किए हैं। पश्चिम सिंहभूम जिले के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) आदित्य रंजन ने ऐसे उपकरण तैयार किए हैं

suman
Published on: 24 April 2020 5:41 PM GMT
आईएएस ने बनाए कम लागत वाले ये 5 उपकरण
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रांची झारखंड में कोरोना वायरस के केस भले ही कम हों लेकिन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी पूरी है। इन्हीं तैयारियों का हिस्सा है कुछ ऐसे इनोवेशन जो एक आईएएस अधिकारी ने किए हैं। पश्चिम सिंहभूम जिले के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) आदित्य रंजन ने ऐसे उपकरण तैयार किए हैं जो संदिग्ध मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों दोनों को संक्रमण से बचाने में मदद करेंगे। इस अधिकारी ने इन इनोवेशन के लिए अपनी इंजीनियरिंग स्किल का इस्तेमाल किया है।

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- पोर्टेबल चैंबर : इस पोर्टेबल चैंबर में एक मिस्ट स्प्रेयर लगा है जो पूरे शरीर पर स्किन-फ्रेंडली सैनिटाइजर को स्प्रे करेगा। स्प्रेयर एक व्यक्ति को डिसइंफेक्ट करने के लिए केवल 30 सेकंड लेता है। इस चैंबर को चक्रधरपुर में दक्षिण पूर्वी रेलवे अस्पताल में रखा गया है। इसकी खास बात यह है कि इसमें हाइपोक्लोराइट, सल्फर या आयनीकृत पानी का उपयोग नहीं किया गया है जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसकी इंस्टॉलेशन लागत 25,000 रुपये और रनिंग कॉस्ट 1,400 रुपये प्रति घंटा है।

- को-बोट (कोलैबोरेटिव रोबोट) : ये मरीजों को दवा और भोजन पहुंचाएगा और इस तरह मानवीय हस्तक्षेप को कम किया जा सकता है। को-बोट को चक्रधरपुर रेलवे हॉस्पिटल के आइसोलेशन फैसिटिली में रखा गया है। रिमोट कंट्रोल से चलने वाला यह रोबोट 30 किलो वजन उठा सकता है और 300 फीट की दूरी तक चल सकता है। इसमें एक कैमरा और स्पीकर लगा हुआ है और को-बोट को धोया भी जा सकता है।

- सैंपल फोन बूथ (स्टैटिक और पोर्टेबल) : ये कोरोना वायरस टेस्ट के लिए संदिग्ध मरीज का सैंपल इकट्ठा करेंगे। एयर-टाइट बूथ को चलाने के लिए केवल दो स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकता होती है। एक बूथ के अंदर से नाक और गले के स्वैब को इकट्ठा करता है और दूसरा हर बार सैंपल इकट्ठा करने के बाद बूथ को सैनिटाइज करता है। इस किओस्क में सैंपल इकट्ठा करने में तीन मिनट का समय लगता है और हर दिन 100 सैंपल इकट्ठा कर सकते हैं।

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- फेस शील्ड : 110 रुपये की कीमत वाली यह शील्ड पारदर्शी पीवीसी शीट से बनाई गई है और इसमें फोरहेड स्ट्रैप और सिलिकॉन स्ट्रैप लगे हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों और झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी के सदस्यों की मदद से जिले में अब तक कुल 3,000 शील्ड बना कर बांटे जा चुके हैं।

- आई-बेड (आइसोलेशन बेड) : ये एक हॉस्पिटल बेड है जिसे वॉशेबल प्लास्टिक कवर से लैमिनेट किया गया है जो एक मरीज को दूसरे से आइसोलेट करता है और संक्रमण फैलने के जोखिम को कम करता है।

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