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IIT प्रोफेसर ने बनाया अनूठा सॉफ्टवेयर, तुरंत देगा कोरोना की जानकारी

आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कमल जैन ने यह सॉफ्टवेयर विकसित करने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर से कोरोना की जांच का खर्च काफी कम हो जाएगा।

Shivani Awasthi
Published on: 24 April 2020 1:40 PM GMT
IIT प्रोफेसर ने बनाया अनूठा सॉफ्टवेयर, तुरंत देगा कोरोना की जानकारी
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने वाले कोरोना वायरस की जांच में तेजी लाने के लिए डॉक्टर और वैज्ञानिक अपने-अपने स्तर पर जुटे हुए हैं। कोरोना की जांच में आईआईटी रुड़की के एक प्रोफेसर ने भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित करने का दावा किया है जो संदिग्ध मरीज के एक्स-रे स्कैन का प्रयोग करके केवल पांच सेकेंड के भीतर ही कोरोना का पता लगा सकता है।

40 दिन में विकसित किया सॉफ्टवेयर

इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने में 40 दिन का समय लगा है और अब इसे समीक्षा करने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पास भेजा गया है। आईआईटी प्रोफेसर ने इस सॉफ्टवेयर को पेटेंट कराने के लिए भी आवेदन किया है।

कम हो जाएगा कोरोना की जांच का खर्च

आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कमल जैन ने यह सॉफ्टवेयर विकसित करने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर से कोरोना की जांच का खर्च काफी कम हो जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य पेशेवरों के इस खतरनाक वायरस के संपर्क में आने का जोखिम भी काफी कम हो जाएगा। वैसे अभी तक उनके उनके इस दावे की किसी चिकित्सा संस्थान की ओर से पुष्टि नहीं की गई है।

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ऐसे करेगा वायरस की खोज

प्रोफेसर जैन ने कहा कि इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके डॉक्टर लोगों के एक्स-रे की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं। सॉफ्टवेयर के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज में निमोनिया का कोई लक्षण है या नहीं। यह सॉफ्टवेयर यह भी बताएगा कि यह कोविड-19 के कारण है या किसी अन्य जीवाणु के कारण। सॉफ्टवेयर संक्रमण की गंभीरता मापने में भी सक्षम है।

इस तरह विकसित किया सॉफ्टवेयर

उन्होंने कहा कि इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने के लिए मैंने कोविड-19, निमोनिया और टीवी के मरीजों के एक्सरे के करीब साठ हजार स्कैन का विश्लेषण किया है। इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने की तकनीक के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित डेटाबेस विकसित कर इन तीनों बीमारी में छाती के कंजेशन के बीच अंतर का पता लगाया है। इसके साथ ही अमेरिका की एनआईएच क्लिनिकल सेंटर में उपलब्ध एक्सरे के डेटाबेस का भी विश्लेषण किया है।

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सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी खासियत

प्रोफ़ेसर जैन ने कहा कि इस सॉफ्टवेयर की एक बड़ी खासियत यह है कि इसकी मदद से सिर्फ पांच सेकेंड में ही जांच का नतीजा सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर की मदद से सटीक प्रारंभिक जांच की जा सकती है। इसके बाद इस वायरस के संक्रमण के स्तर का पता लगाने के लिए आगे की जांच की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए कोरोना की जांच में काफी मदद मिलेगी।

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