TRENDING TAGS :
IIT इंजीनियर्स का कमाल, अब ऐसे सिर्फ 2 मिनट में होगी कोरोना की जांच,
आईआईटी इंजीनियर्स द्वारा बनाई गई इस डिवाइस के जरिये अब सिर्फ मिनट ये पता चल जाएगा की ये व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं।
पिछले कुछ महीनों से कोरना वायरस का कहर पूरी दुनिया पर हावी है। इस वायरस ने अब लाखों लोगों की जन ली है। ऐसे में दुनिया भर डॉक्टर्स और वैज्ञानिक इस वायरस का इलाज ढूंढ रहे हैं। ऐसे में रोपड़ आईआईटी के दो इंजीनियरों ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो कोरोना को लेकर काफी काम की है। इन इंजीनियर्स द्वारा बनाई गई इस डिवाइस के जरिये अब सिर्फ मिनट ये पता चल जाएगा की ये व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। और सबसे बड़ी बात ये टेस्ट बिना अकिसी डॉक्टर की मदद के हो जाएगा। ऐसे में ये डिवाइस काफी सहायक है।
दूर से ही व्यक्ति की 2 मिनट में करेगी जांच
इन दो युवा और कर्मठ इंजीनियर्स द्वारा बनाई गई इस डिवाइस की एक ख़ास बात ये भी है कि ये ये डिवाइस दूर से ही देख कर बाताया देगी ये व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। यानी कि इस डिवाइस से जांच के लिए व्यक्ति को छूना भी नहीं पड़ेगा। इस डिवाइस में कंप्यूटर की मदद से दूर से ही कोरोना वायरस के पता व्यक्ति में चल जाएगा।
ये भी पढ़ें- कोरोना संकट: महाराष्ट्र सरकार ने 6 राज्यों से कहा- यहां फंसे मजदूरों को वापस ले जाएं
ऐसे में इन इंजीनियर्स द्वारा बनाई गई ये डिवाइस पब्लिक प्लेटफोर्म यानी एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, और बस स्टेशन जैसी जगहों पर लोगों की जांच करने में काफी सहायक होगी। इस डिवाइस को तैयार करने में इंन इंजीनियर्स ने काफी मेहनत की है। इस डिवाइस में इंजीनियर्स ने स्कैन करने के लिए इंफ्रारेड विजन सिस्टम तैयार किया है। इसके बाद इसमें इंफ्रारेड डिटेक्टर लगाया जाएगा। ऐसे में इस डिवाइस की मदद से एक साथ कई लोगों की जांच की जा सकती है।
डिवाइस के जरिये नापा जाएगा माथे और नाक का टेंपरेचर
इस डिवाइस के निर्माता रवि बाबू ने अपनी डिवाइस का डेमो आईआईटी रोपड़ में देके बताया जिसमें उन्होंने इस डिवाइस में प्रयोग की गई साडी तकनीक की जानकारी दी। इंजीनियर रवि बाबू ने बताया कि इस तकनीक को लेकर बेंगलुरु की एक कंपनी के साथ एक डील हुई है। जिसको क्लीनिकल टेस्ट के बाद बाजार में उतार दिया जाएगा। इस डिवाइस का प्रयोग करने के लिए इंफ्रारेड विजन सिस्टम में एक लैपटॉप एक मोबाइल और एक इंफ्रारेड डिटेक्टर का प्रयोग किया जाएगा।
ये भी पढ़ें- झारखंड में अब तक 13 कोरोना संक्रमित मरीज हुए ठीक: राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय
जिसके बाद इससे माथे और नाक का तापमान चेक किया जाएगा। जिसमें लगभग 2 डिग्री या 4 डिग्री तक का फर्क दिख जाएगा। लेकिन अगर फार्क इससे ज्यादा निकला और नाक ज्यादा ठंडी पाई गई तो उस व्यक्ति को कोरोना संक्रामित समझ कर उसको जांच के लिए भेज दिया जाएगा। ऐसे मुश्किल समय में इन दो इंजीनियर्स द्वारा ऐसा महत्वपूर्ण इन्वेंशन आने वाले समय में काफी सहायक और कारगर होगा।