TRENDING TAGS :
नक्शे पर मराठवाड़ा का खास स्थान पर असल में सबसे पिछड़ा इलाका
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र से एक उप प्रधानमंत्री, एक लोकसभा अध्यक्ष, कई केंद्रीय मंत्री, महाराष्ट्र के चार मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री हो चुके हैं, इसके बावजूद यह महाराष्ट्र का सर्वाधिक पिछड़ा इलाका
मुंबई: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र से एक उप प्रधानमंत्री, एक लोकसभा अध्यक्ष, कई केंद्रीय मंत्री, महाराष्ट्र के चार मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री हो चुके हैं, इसके बावजूद यह इलाका महाराष्ट्र का सर्वाधिक पिछड़ा इलाका है।हालांकि, पिछड़ा होने के बावजूद देश और दुनिया के नक्शे पर मराठवाड़ा का खास स्थान है।
यह भी देखे:सीरिया के अलेप्पो में राकेट हमले में 11 लोगों की मौत
यहीं पर औरंगाबाद जिले में विश्व प्रसिद्ध अजंता एवं एलोरा की गुफाएं हैं। यहीं के परभनी में पथरी गांव है, जहां शिरडी के साईंबाबा का जन्म हुआ था।सिखों के लिए बेहद पवित्र हुजूर साहिब नांदेड़ गुरुद्वारा इसी मराठवाड़ा में है।
बारह ज्योतिर्लिंगों में से तीन औरंगाबाद, बीड और पड़ोसी नासिक में हैं। बीबी का मकबरा या मिनी ताज महल, दौलताबाद किला, शहंशाह औरंगजेब की खुलदाबाद स्थित मजार और सूफी संत जर जरी जरबक्श की दरगाह, यह सभी कुछ औरंगाबाद में है। परभनी में सैयद शाह तुराबुल हक की दरगाह स्थित है।
यह भी देखे:स्कूल की महिला सहायिकाओं पर नाबालिग बच्ची पर यौन हमले का आरोप
मराठवाड़ा
इलाके की बीड, हिंगोली, जलना, लातूर, नादेड़, उस्मानाबाद और परभनी में 18 अप्रैल तथा औरंगाबाद में 23 अप्रैल को लोकसभा चुनाव 2019 होने हैं, इस इलाके में मराठाओं का बाहुल्य है और देश की आजादी के बाद से ही विकास के वादों के उनके क्षेत्र में लागू नहीं होने से उनमें नाराजगी है।
बेहद कम बारिश की वजह से क्षेत्र पर हमेशा सूखे की मार रहती है। सिंचाई के साधन बहुत कम हैं। पानी न इनसान के लिए पर्याप्त है, न जानवर के लिए। बेरोजगारी बहुत है और कोई प्रमुख उद्योग नहीं है।
यह भी देखे:राउरकेला रैली में बोले सीएम योगी : भाजपा की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति है
एक वजह यह कही जाती है, कि यहां के नेताओं पर पड़ोसी पश्चिमी महाराष्ट्र के नेता हावी हो जाते हैं और यहां के नेता उनके सामने डटने के बजाए घुटने टेक देते हैं जिसकी वजह से क्षेत्र का विकास आगे नहीं बढ़ पाता।
औरंगाबाद के पुराने राजनैतिक विश्लेषक ए. शेख ने कहा, "यहां तक कि मजबूत मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख भी पश्चिमी महाराष्ट्र के क्षत्रपों के सामने नहीं टिक पाए और अपने इस इलाके के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। नतीजा यह है, कि सभी प्रमुख उद्योग और घरेलू व विदेशी निवेश तथा रोजगार पश्चिमी महाराष्ट्र की तरफ जाता रहा है।"