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कैसे बनेंगे लड़ाकू विमान! 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी नहीं करेंगे काम, पढ़ें पूरी खबर...
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सभी प्लांट सोमवार से अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं, ये वही सरकारी कंपनी है जो देश की सेनाओं के लिए लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर बनाने का काम करती है।
नई दिल्ली: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सभी प्लांट सोमवार से अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं, ये वही सरकारी कंपनी है जो देश की सेनाओं के लिए लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर बनाने का काम करती है।
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ये बेमियादी हड़ताल एचएएल के कर्मचारी-यूनियनों के आह्वान पर वेतन संबंधी मामलों के चलते बुलाई गई है।
एचएएल मैनेजमेंट ने बयान जारी कर कहा है कि हड़ताल ना करने के लिए कर्मचारी संगठनों से वार्ता की गई थी लेकिन वो असफल रही।
एचएएल देश की सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के लिए स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों से लेकर एएलएच ध्रुव, चीता-चेतक हेलीकॉप्टर और एयरोनॉटिकल इंजन तैयार करती है।
इसके अलावा लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) भी तैयार कर रही है।
रूस की मदद से सुखोई विमानों का निर्माण भी भारतीय वायुसेना के लिए एचएएल ही करती है लेकिन इनमें से एचएएल के कई प्रोजेक्ट समय से काफी पीछे चल रहे हैं।
30 हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत:
एशिया की सबसे बड़ी रक्षा क्षेत्र की पब्लिक सेक्टर यूनिट के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाली कंपनी, एचएएल के देशभर में 16 मैन्युफैक्चिरिंग प्लांट हैं।
इसके साथ ही नौ रिसर्च एंड डेवलेपमेंट सेंटर हैं जिनमें 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं।
ये माना जा रहा है कि कल से शुरू होने वाली हड़ताल सभी यूनिट्स में होगी।
एचएएल की ये यूनिट बेंगलुरू, हैदराबाद, नासिक, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ और कोरापुट में हैं। एचएएल की कॉरपोरेट हेडक्वार्टर भी बेंगलुरू में ही है।
साल 2017 से वेतन बढ़ाने को लेकर हड़ताल:
एचएएल मैनेजमेंट ने बयान जारी कर कहा है कि कर्मचारी यूनियन साल 2017 से अपने वेतन को बढ़ाने को लेकर हड़ताल पर जा रही हैं।
इसको लेकर यूनियन ये बातचीत भी की गई। इन बातचीत में एचएएल ने कर्मचारियों का कैफेटेरिया-एलाउंस बढ़ाकर 22 प्रतिशत तक कर दिया गया है।
इसके अलावा वेतन भी फिटमेंट एलाउंस भी 11 प्रतिशत तक करने की पेशकश की गई लेकिन ट्रेड यूनियन अपनी मांग पर अड़ी हुई है।
मैनेजमेंट ने सोमवार से होने वाली बेमियादी हड़ताल पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे कर्मचारियों के साथ साथ देश का भी नुकसान होगा।