TRENDING TAGS :
भारत और चीन आएंगे साथ! पूरी दुनिया को देंगे कड़ी चुनौती
ऐसी संभावना है कि भारत और चीन ऑयल बायर्स क्लब बन सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो ये देश वैश्विक एनर्जी बाजार में बहुत कुछ बदल सकते हैं। 2 मई 2019 को भारत चीन समेत ईरान से कच्चे तेल आयात के लिए मिली 6 महीने की छूट खत्म हो गई है।
नई दिल्ली: ऐसी संभावना है कि भारत और चीन ऑयल बायर्स क्लब बन सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो ये देश वैश्विक एनर्जी बाजार में बहुत कुछ बदल सकते हैं। 2 मई 2019 को भारत चीन समेत ईरान से कच्चे तेल आयात के लिए मिली 6 महीने की छूट खत्म हो गई है।
उसके बाद से ऐसे क्लब के प्रस्ताव की खबरे आर रही हैं। अगर इस क्लब का गठन हो गया तो दोनों देश एक साथ तेल की कीमत के मोलभाव और ओपेक के प्रभाव को कम कर सकेंगे।
यह भी पढ़ें...बिपिन रावत की चेतावनी! सुधर जाओ, वरना LoC को पार करने में देरी नहीं
मई में छह महीने की छूट खत्म होने के बाद हाल के दिनों में ऑयल बायर्स क्लब के प्रस्ताव पर हलचल तेज हो गई है। ओपेक के तेल उत्पादन पर लगाए गए प्रतिबंधों से तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जिससे भारत और चीन दोनों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। दोनों देशों में पेट्रोलियम उत्पाद मुख्यतः आयात पर ही निर्भर हैं।
हालांकि सहसे बड़ा यही सवाल है कि क्या ये दोनों एशियाई देश साथ काम करने के लिए एक दूसरे पर विश्वास करेंगे? दोनों देशों में बढ़ती ऊर्जा की मांगों को पूरा करने के लिए दुनिया के कई तेल और गैस भंडारों में हिस्सा पाने के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा है।
यह भी पढ़ें...IIT Madras में पीएम मोदी बोले- भारत के युवाओं की क्षमता पर विश्वास
ऑयल बायर्स क्लब के गठन विचार काफी काफी पहले से है, लेकिन अभी बात नहीं बन सकी है। सबसे पहले इसकी चर्चा 2005 में सामने आई थी, लेकिन बात नहीं बनी।
क्या है ओपेक
बता दें कि ओपेक दुनिया के 40 प्रतिशत तेलों को नियंत्रित करता है। ओपेक की स्थापना 10-14 सितंबर, 1960 को ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा बगदाद सम्मेलन में की गयी थी। यह पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों का एक स्थायी अंतर सरकारी संगठन है।
यह भी पढ़ें...मत छोड़ें ये मौका! सरकार घर बैठे देगी पैसा, तुरंत करें अप्लाई
ओपेक के अल्जीरिया, अंगोला, कांगो, इक्वाडोर, गिनी, गैबन, इराक, ईरान, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला सदस्य हैं। गौरतलब है कि सऊदी अरब के साथ विवाद की वजह से कतर 1 जनवरी 2019 से ओपेक से बाहर हो गया। अब वह इसका सदस्य नहीं है।
ओपेक के 14 देशों में सऊदी अरब सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ओपेक के कुल उत्पादन 32,761 मिलियन बैरल प्रतिदिन में सऊदी अरब लगभग 32% हिस्सा या 10,512 मिलियन बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन उत्पादित करता है। इसके बाद 4,650 मिलियन बैरल प्रतिदिन उत्पादन के साथ इराक दूसरे और तीसरे नम्बर पर ईरान (3,447 मिलियन बैरल प्रतिदिन) है।