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चीन की बड़ी साजिश, यहां बनाने जा रहा विशालकाय बांध, भारत में सूखे की आशंका
चीन ने तिब्बत के जल पर अपना दावा ठोका है। वह अब दक्षिण एशिया में बहने वाली सात नदियों सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, इरावडी, सलवीन, यांगट्जी और मेकांग के पानी को नियंत्रित कर रहा है।
बीजिंग: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के मसले पर तनातनी जारी है। दोनों देशों की तरफ से कई दौर की वार्ताएं भी हुई लेकिन विवाद का कोई हल नहीं निकल सका।
नतीजतन कड़ाके की इस ठण्ड में भी दोनों ही देशों की सेनाएं हथियार लेकर एक दूसरे के आमने सामने डटी हुई है। हालांकि दोनों देशों ने बातचीत का रास्ता भी खोल रखा है। दोनों मुल्कों का कहना है कि वे बातचीत के जरिये सीमा मसले का हल तलाश रहे हैं।
इस बीच की चीन के बर्ताव में कोई ख़ास तब्दीली नहीं आई है। चीन अभी भी अड़ियल रवैया अपनाएं हुए है। दक्षिण एशिया खासकर भारत से सटे बॉर्डर पर चीन लगातार आक्रामक गतिविधियों को अंजाम देने में जुटा हुआ है।
भारतीय सीमा के करीब एक विशालकाय बांध बनाने जा रहा चीन
अब चीन ने ये एलान किया है कि वो जल्द ही तिब्बत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी या यारलुंग जांगबो नदी की निचली धारा पर भारतीय सीमा के करीब एक विशालकाय बांध बनाने जा रहा है।
ये डैम कितना बड़ा होगा कि इसका अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि चीन में बने दुनिया के सबसे बड़े बांध थ्री जॉर्ज की तुलना में इससे तीन गुना ज्यादा पनबिजली पैदा की जा सकेगी।
सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि चीन के इस विशाल आकार के बांध के बनने से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश में सूखे जैसे हालात पैदा हो जायेंगे। ये इतनी बड़ी मात्रा में पानी को जमा करेगा कि दूसरे देशों में सूखे जैसी नौबत आ जाएगी।
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो : सोशल मीडिया)
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लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए ब्रह्मपुत्र नदी पर हैं आश्रित
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये बांध तिब्बत के मेडोग काउंटी में बनाया जा सकता है जो भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के बेहद पास है।
चीन पहले ही ब्रह्मपुत्र नदी पर कई छोटे-छोटे बांध बना चुका है। लेकिन नया बांध आकार में विशालकाय होने जा रहा है।
यह नया बांध इतना बड़ा होगा कि इससे थ्री जॉर्ज बांध की तुलना में तीन गुना बिजली पैदा की जा सकती है।
बताते चलें कि ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत स्वायत्त इलाके से निकलती है।
ब्रह्मपुत्र नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के जरिए देश की सीमा में दाखिल होती है।
अरुणाचल प्रदेश में इस नदी को सियांग कहा जाता है। वहां से होते हुए आगे यह नदी असम पहुंचती है जहां इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है।
उसके बाद असम से होकर ब्रह्मपुत्र बांग्ला देश में दाखिल होती है।
आपको बता दें कि ब्रह्मपुत्र को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के लिए जीवन का आधार बताया गया है और लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए इस पर आश्रित हैं।
चीन ने दिया ये जवाब
चीन के इस कदम के बाद से भारत और बांग्लादेश की चिंताएं बढ़ गई है।
क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश से होकर गुजरती है। ऐसे में बांध निर्माण के प्रस्ताव से दोनों देशों की चिंताएं बढ़ना लाजिमी हैं। वहीं चीन ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि वह उनके हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो: सोशल मीडिया)
भारत की चिंतित होना लाजिमी
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो इस नए बांध को चीन के नैशनल सिक्यॉरिटी को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। इस बांध से 300 अरब kWh बिजली हर साल मिल सकती है।
चीन ने अंतरराष्ट्रीय नदियों के मामले में भारत पर रणनीतिक बढ़त हासिल है।
लोवी इंस्टी्ट्यूट की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि चीन ने तिब्बत के जल पर अपना दावा ठोका है जिससे वह दक्षिण एशिया में बहने वाली सात नदियों सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, इरावडी, सलवीन, यांगट्जी और मेकांग के पानी को नियंत्रित कर रहा है।
ये नदियां पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, म्यामार, लाओस और वियतनाम में होकर गुजरती हैं। इनमें से 48 फीसदी पानी भारत से होकर गुजरता है। अगर ये बांध बनकर तैयार हो गया तो भारत और बांग्लादेश में आने वाले समय में सूखे जैसी नौबत आ सकती है।
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