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आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकता है भारत, फिर से भड़क सकता है ट्रेड वार

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार की वजह से वैश्विक मंदी की संभावनाएं बढ़ रही हैं। आर्थिक मंदी के संकेत अमेरिका की इंवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने एक बार फिर दिए हैं। इसी के चलते मार्गन स्टेनली की मानें तो आर्थिक मंदी अगले 9 महीनों में आ जाएगी।

Vidushi Mishra
Published on: 16 Aug 2019 3:14 PM IST
आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकता है भारत, फिर से भड़क सकता है ट्रेड वार
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आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकता है भारत, फिर से भड़क सकता है ट्रेड वार

नई दिल्ली : अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार की वजह से वैश्विक मंदी की संभावनाएं बढ़ रही हैं। आर्थिक मंदी के संकेत अमेरिका की इंवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने एक बार फिर दिए हैं। इसी के चलते मार्गन स्टेनली की मानें तो आर्थिक मंदी अगले 9 महीनों में आ जाएगी। लेकिन राहत की बात तो ये है कि भारत इस मंदी की चपेट से थोड़ा दूर रहेगा।

लेकिन, फिर भी सरकार को चौकन्ना रहना होगा और इसकी अनदेखी किए बगैर जरूरी कदम उठाने होंगे। इससे कुछ दिन पहले ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी मंदी की चिंता को दूर करते हुए कहा था कि नीतिगत तौर पर भारत में सबकुछ सही दिशा में चल रहा है।

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भड़क सकता हैं फिर से ट्रेड वार

मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि अगर अमेरिका के जरिए ट्रेड वॉर फिर से भड़कता है और वह चीन से आने वाले सभी सामानों पर ड्यूटी बढ़ाकर 25 % कर देता है, तो दुनिया में तीन तिमाही में मंदी आ जाएगी।

हालांकि भारत के सभी सेक्टर्स में मंदी का असर नहीं दिख रहा है लेकिन ऑटो सेक्टर मंदी की चपेट आता दिख रहा है है। लेकिन सरकार ऑटो सेक्टर के रिवाइवल के लिए बड़े पैकेज का ऐलान कर सकती है। डेडिकेटेड विंडो के तहत नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां ऑटो सेक्टर को ज्यादा कर्ज दे सकती है।

आर्थिक मंदी को देखते हुए दुनिया के कई सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं। आरबीआई ने पिछले दिनों रेपो रेट में 0.35 फीसदी की कटौती की थी। न्यूजीलैंड ने 50 आधार अंकों और थाईलैंड ने भी 25 आधार अंकों की कटौती की है।

इस पर मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि यदि 300 बिलियन डॉलर पर टैरिफ बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया जाता है तो दुनिया भर में तीन तिमाही में मंदी आ जाएगी।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ट्रंप आने वाले दिनों में ऐसा कर सकते हैं। उधर, IMF ने चीन की विकास दर को घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया है। अमेरिका के इस कदम से चीन का ग्रोथ रेट तेजी से गिर रही है। 11 साल बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स (2.25 फीसदी से 2 फीसदी) की कटौती की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार रेट कट का दबाव बना रहे हैं। न्यूजीलैंड ने 50 बेसिस प्वाइंट्स की और थाईलैंड ने 25 बेसिस प्वाइंट्स और भारत ने 35 बेसिस प्लाइंट की कटौती की है।

यूरोपीय देशों में भी मंदी का खतरा

ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। ब्रेक्सिट के कारण राजनीतिक अनिश्चितता की वजह से वहां दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद सिमट गया है, जिससे मंदी की आशंका बढ़ गई है।

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Vidushi Mishra

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