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लद्दाख में रडार नेटवर्क: अब चीन से तकनीकी जंग, भारत ने उठाया ये कदम...
IMD मौसम का अनुमान लगाकर उसके हिसाब से सेना को तैयार करने के लिए लद्दाख में 10 रडार लगाने की योजना बना रहा है। वेदर रडार से मौसम में बदलाव पर नजर रखी जाएगी।
लखनऊ: लद्दाख में एलएसी पर चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता चला गया। ऐसे में भारत और चीन ने अधिक सैनिकों की तैनाती के साथ ही तकनीक के माध्यम से भी लद्दाख में अपनी सेना की मजबूती की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में भारत का मौसम विज्ञान विभाग उत्तर-पूर्व में अपने वेदर रडार नेटवर्क (weather radar network) को बढ़ाने जा रहा है।
लद्दाख में वेदर रडार नेटवर्क बढ़ा रहा मौसम विभाग
दरअसल, लद्दाख का तापमान बेहद कम होता है, वहीं सर्दियों के दौरान यहां तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक भी चला जाता है। ऐसे में सीमा की सुरक्षा कर रहे सैनिकों के लिए इतनी ठंड में टिके रहना चुनौती बन जाता है। इसी चुनौती से निपटने के लिए मौसम विभाग बड़ा कदम उठाने जा रहा है।
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IMD मौसम का अनुमान लगाकर उसके हिसाब से सेना को तैयार करने के लिए लद्दाख में 10 रडार लगाने की योजना बना रहा है। इस वेदर रडार से मौसम में बदलाव पर नजर रखी जा सकेगी। इस बारे में मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के सेक्रेटरी एम राजीवन ने बताया कि तीन रडार हिमालय में लगाए जा चुके हैं और जल्दी ही बाकी रडार भी लगा दिए जाएंगे।
लद्दाख में वेदर रडार नेटवर्क बढ़ाने की जरूरत क्यों?
बता दें कि लद्दाख में मौसम पर नजर रखने की एक बढ़ वजह चीन है। इसके अलावा दूसरी वजह ये भी है कि हिमालय में मौसम के बदलने का असर पूरे देश पर पड़ता है। ऐसे में अगर यहां के मौसम का पूर्वानुमान लगा लिया तो देशभर में मौसम बदलने को लेकर तैयारी की जा सकती है। पहाड़ी इलाकों के मौसम पर नजर रखना जरुरी भी होता है। हिमालय पर ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण तेजी से बर्फ पिघल रही है। इससे आगामी दिनों में आबादी पर भी असर पड़ेगा।
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रडार सिस्टम कैसे करता है काम:
रडार एक प्रणाली है, जो सूक्ष्मतंरगों के जरिए किसी घटना या वस्तु का पता लगाती है। इसकी मदद से जंग या शांतिकाल में जासूस विमानों, पनडुब्बी का पता लगाया जा सकता है। वहीं मौसम में तेजी से आ बदलाव की भी जांच की जा सकती है।
चीन मौसम पर नियंत्रण करने की कोशिश मेंः
इसके पहले जानकारी मिली थीं कि चीन वेदर मॉडिफिकेशन सिस्टम लॉन्च करने की तैयारी में है। इस तकनीक के जरिए चीन बर्फबारी और बारिश जैसे मौसमी बदलावों पर काबू कर सकेगा। भारत के वेदर रडार को बढ़ाने की दिशा में ये कदम चीन की तकनीक को टक्कर देने जैसा भी है।
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