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कांप उठा चीन-पाक: भारत के पास जबरदस्त ब्रह्मोस, जानें इसकी खूबियां

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल विश्व में अपनी श्रेणी में सबसे तेज ऑपरेशनल सिस्टम है। कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल विश्व में अपनी श्रेणी में सबसे तेज गति वाली है।

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Published on: 17 Nov 2020 5:24 PM IST
कांप उठा चीन-पाक: भारत के पास जबरदस्त ब्रह्मोस, जानें इसकी खूबियां
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कांप उठा चीन-पाक: भारत के पास जबरदस्त ब्रह्मोस, जानें इसकी खूबियां (Photo by social media)

नई दिल्ली: भारत अब ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की ताकत से लैस हो गया है। इस मिसाइल का शक्ति प्रदर्शन इस महीने के अंत तक तीनों सेनाएं हिंद महासागर क्षेत्र में करेंगी। इन टेस्ट से सेनाओं को मिसाइल सिस्टम के प्रदर्शन में इजाफा करने में मदद मिलेगी। बीते दो महीने में डीआरडीओ ने नए और मौजूदा शौर्य मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण किया है, जो 800 किलोमीटर की दूर तक लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती है।

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सबसे तेज मिसाइल

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल विश्व में अपनी श्रेणी में सबसे तेज ऑपरेशनल सिस्टम है। कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल विश्व में अपनी श्रेणी में सबसे तेज गति वाली है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। भारतीय सेना, वायुसेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।

मारक क्षमता में इजाफा

रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ब्रह्मोस की मारक क्षमता को 298 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर किया है। हाल ही में वायुसेना ने बंगाल की खाड़ी में सुखोई-30 लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से पुराने युद्धपोत को ध्वस्त किया था। वहीं, पिछले महीने नौसेना ने आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।

रूस का सहयोग

बेहद खतरनाक ब्रह्मोस भारत-रूस के संयुक्त प्रयासों द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे भरोसेमंद आधुनिक मिसाइल प्रणाली है, जिसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। इसे राफेल तथा सुखोई-30एमकेआई के अलावा नौसेना के मिग-29के में भी तैनात किया जा सकता है। ब्रह्मोस को रूस के एनपीओ मैशिनोस्ट्रोनिया (एनपीओएम) के साथ मिलकर डीआरडीओ ने तैयार किया है। रूस द्वारा इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध कराई जा रही है जबकि उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई है।

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जल, थल, आकाश से करेगी मार

ब्रह्मोस को पनडुब्बी, युद्धपोत, लड़ाकू विमान या जमीन से अर्थात् कहीं से भी दागा जा सकता है। यह प्रमुख रूप से पनडुब्बियों, जहाजों और नौकाओं को निशाना बनाने में मददगार साबित होगी। ब्रह्मोस रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से भी तीन गुना तेजी से अपने लक्ष्य पर वार कर सकती है। इसकी विशेषता यह है कि यह आसानी से दुश्मन के रडार से बच निकलने में सक्षम है। 'ब्रह्मोस' नाम दो नदियों, भारत की ब्रह्मपुत्र नदी के 'ब्रह्म' और रूस की मोस्क्वा नदी के 'मोस' को मिलाकर बना है।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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