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ये राज्य कानून व्यवस्था के मामले में हैं नंबर 1 पर, लेकिन इसका है बुरा हाल

हमारे देश में बहुत से अपराध होतें हैं। लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है जब किसी निर्दोष को इंसाफ मिलता है। आज हम आपको हमारे देश की कानून व्यवस्था के बारें में बतातें हैं, कि पूरे देश में सबसे बेहतरीन कानून व्यवस्था कहा की है।

Roshni Khan
Published on: 7 Nov 2019 9:26 AM GMT
ये राज्य कानून व्यवस्था के मामले में हैं नंबर 1 पर, लेकिन इसका है बुरा हाल
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नई दिल्ली: हमारे देश में बहुत से अपराध होतें हैं। लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है जब किसी निर्दोष को इंसाफ मिलता है। आज हम आपको हमारे देश की कानून व्यवस्था के बारें में बतातें हैं, कि पूरे देश में सबसे बेहतरीन कानून व्यवस्था कहा की है। इस मामलें में सबसे पहला राज्य है महाराष्ट्र। ओवरऑल रैंकिंग में महाराष्ट्र नंबर एक राज्य साबित हुआ है। इसके बाद कानून व्यवस्था बेहतरीन बनाए रखने में केरल, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा हैं। 7 छोटे राज्यों में गोवा नंबर एक है। दूसरे नंबर पर सिक्किम और हिमाचल प्रदेश हैं।

यह रैंकिंग इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2019 (IJR-2019) में दी गई है। इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए चार प्रमुख स्तंभों न्याय प्रक्रिया का आंकड़ेंवार अध्ययन किया गया है। ये स्तंभ हैं - पुलिस, न्याय व्यवस्था, जेल और कानूनी सहायता। खास बात तो ये है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन चार स्तंभों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है। महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, गोवा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में इन चारों स्तभों की कार्यप्रणाली बेहतरीन है। इन राज्यों में इन चारों स्तंभों के बीच बहुत ही अच्छा तालमेल है।

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ये हैं भारत के बड़े राज्यों में बेहतरीन पांच राज्य

राज्य स्कोर (10 में)

महाराष्ट्र 5.92

केरल 5.85

तमिलनाडु 5.76

पंजाब 5.53

हरियाणा 5.53

छोटे राज्यों में पांच उम्दा राज्य

राज्य स्कोर (10 में)

गोवा 4.85

सिक्किम 4.31

हिमाचल 4.05

मिजोरम 3.89

मेघालय 3.81

देश के सबसे खराब तीन राज्य

राज्य स्कोर (10 में)

उत्तर प्रदेश 3.32

त्रिपुरा 3.42

अरुणाचल प्रदेश 3.43

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट से निकलने वाले प्रमुख रिजल्ट

देश में करीब 18200 जज हैं। लेकिन जजों के 23 फीसदी पद अब भी खाली हैं।

महिलाओं की संख्या काफी कम है। पुलिस विभाग में केवल 7 फीसदी महिलाएं हैं।

देश के करीब सभी जेलों में उनकी क्षमता से ज्यादा कैदी हैं। औसत 114 फीसदी।

जेल में बंद कैदियों में से करीब 68 प्रतिशत कैदी तो अभी अंडरट्रायल हैं।

पुलिस, जेलों और अदालतों में कर्मियों की कमी है। पिछले 5 सालों में सिर्फ आधे राज्यों ने ही खाली पड़े पदों को भरने की कोशिश की है।

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देश की कानून व्यवस्था में महिलाओं की कमी

पूरे देश में न्याय और कानून व्यवस्था में महिलाओं की संख्या काफी कम है। पुलिस में मात्र 7 फीसदी महिलाएं हैं। जेल कर्माचारियों में 10 फीसदी महिलाएं हैं। उच्च न्यायालयों और अधीन न्यायालयों के सभी जजों में महिला जज करीब 26।5 फीसदी ही हैं।

देश में 68 फीसदी अंडरट्रायल कैदियों के केस में जांच या ट्रायल नहीं

पूरे देश के विभिन्न राज्यों की जेलों में बंद कैदियों में से 68 फीसदी कैदी अंडरट्रायल हैं। ये वो कैदी हैं जिनकी या तो जांच पूरी नहीं हुई है या फिर उनकी ट्रायल लंबित है। 33 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडरट्रायल कैदियों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है। पांच सालों में केवल 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संख्या को घटाने में सफलता मिली है।

इन 6 राज्यों में कोर्ट में फाइल सभी मामलों का निपटारा हुआ

2016 और 2017 में भारत के केवल 6 राज्य ही हैं जिन्होंने कोर्ट में दर्ज सभी मामलों का निपटारा किया है। ये राज्य हैं - गुजरात, दमन-दीव, दादर-नगर हवेली, त्रिपुरा, ओडिशा, लक्षद्वीप, तमिलनाडु और मणिपुर। अगस्त 2018 में बिहार, यूपी, प।बंगाल, ओडिशा, गुजरात, मेघालय और अंडमान-निकोबार में हर चार मामलों में से एक केस पांच सालों से लटका पड़ा है।

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किन चीजों को आधार बनाकर तैयार की गई है ये रिपोर्ट

हर स्तंभ का राज्य द्वार मानकों और मापदंडों की तुलना में बजट, मानव संसाधन, कर्मचारियों का कार्यभार, विविधता, बुनियादी सेवा सुविधाएं और प्रवृत्तियों की कसौटियों पर विश्लेषण किया गया है। इस विश्लेषण के आधार पर ही देश के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट तैयार की गई है।

Roshni Khan

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