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भारत की अब बिना सीमापार किये सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी
भारतीय वायुसेना और डीआरडीओ अगले सप्ताह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का हवा से लॉन्च करने वाले वर्जन का परीक्षण करने की तैयारी कर रही हैं। इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत बालाकोट जैसे एयर स्ट्राइक देश में बने हथियारों की मदद से ही कर सकता है।
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना और डीआरडीओ अगले सप्ताह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का हवा से लॉन्च करने वाले वर्जन का परीक्षण करने की तैयारी कर रही हैं। इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत बालाकोट जैसे एयर स्ट्राइक देश में बने हथियारों की मदद से ही कर सकता है।
पाकिस्तान के बालाकोट में मौजूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर स्ट्राइक के लिए भारत ने इजरायल में बने स्पाइस-2000 बम का इस्तेमाल किया था। इसे मिराज फाइटर प्लेन से गिराया गया था।
मीडिया में आई खबरों में वायुसेना के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 290 किलोमीटर तक मार कर सकने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का जल्द विकास करने के लिए वायुसेना पूरी कोशिश कर रही है। ये मिसाइल जमीन पर मौजूद टारगेट को ध्वस्त कर सकेगा।
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बता दें कि बालाकोट में वायुसेना ने ऐसा ही एयर स्ट्राइक किया था। इस मिसाइल का इस्तेमाल शुरू होने के बाद विमानों को दुश्मन की सीमा में जाने की जरूरत भी नहीं होगी।
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डीआरडीओ द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल का ये परीक्षण अगले कुछ दिनों में सुखोई लड़ाकू विमान से हो सकता है। भारतीय वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि एयरफोर्स की योजना है कि 40 सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों में ब्रह्मोस मिसाइल फिट किया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर लंबी दूरी से ही इसका इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ किया जा सके।
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इन मिसाइलों को हल्का बन गया है ताकि फाइटर प्लेन में इस्तेमाल करने में आसानी हो। एक बार सफलतापूर्वक परीक्षण करने और इसे सुखोई में शामिल करने के बाद इन मिसाइलों की स्ट्राइक रेंज और इनके द्वारा घातक प्रहार करने की इनकी शक्ति की वजह से वायुसेना की मारक क्षमता में व्यापक इजाफा होगा।