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कोरोना से जंग लड़ रहे इन मुल्कों के लिए भारत ने उठाया ये बड़ा कदम
कोरोना वायरस की इस विश्वव्यापी महामारी के दौर में सबकी नजर भारत ओर है, जो सबके लिए कुछ निश्चित दवाएं बना रहा है। दवाओं के साथ भारत अब कुछ जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न का निर्यात भी करेगा।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की इस विश्वव्यापी महामारी के दौर में सबकी नजर भारत ओर है, जो सबके लिए कुछ निश्चित दवाएं बना रहा है। दवाओं के साथ भारत अब कुछ जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न का निर्यात भी करेगा।
इसके लिए सरकारी एजेंसी नैफेड को नामित किया गया है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन में गेहूं की बंपर पैदावार होने का अनुमान है, जो घरेलू मांग के मुकाबले कहीं ज्यादा होगी। कुछ देशों की मांग को देखते हुए सरकार ने उन्हें गेहूं के निर्यात का फैसला किया है।
इसके तहत 50 हजार टन गेहूं का निर्यात अफगानिस्तान और 40 हजार लेबनान को किया जाएगा। निर्यात का यह दायित्व नैफेड को सौंपा गया है। इसलिए इसके लिए कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी।
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इन देशों को गेहूं किया जाएगा निर्यात
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि भारत में गेहूं की पैदावार अपनी जरूरत से अधिक हुई है। दूसरे देशों से प्राप्त विशिष्ट मांगों के आधार पर नैफेड को कहा गया है कि 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं का एक्सपोर्ट अफगानिस्तान और 40 हजार मीट्रिक टन गेहूं का एक्सपोर्ट लेबनॉन को जीटूजी यानी सरकार से सरकार (G to G-Government to Government) व्यवस्था के अंतर्गत किया जाए।
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भारत ने कई मुल्कों को अनाज किये दान
आपको बता दें कि बीते कुछ साल में भारत ने कुछ देशों को अनाज दान भी किया है। साल 2011-12, 2013-14 और 2017-18 में भारत ने 3.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान को दान कर दिया।
साल 2012-13 में मानवीय सहायता के नाते भारत सरकार ने 2,447 मीट्रिक टन गेहूं यमन को दिया। इसके अलावा छोटी-छोटी मात्रा में श्रीलंका, नामीबिया, लेसोथो और म्यांमार को चावल की मदद दी गई।
एक्सपोर्ट का काम नैफेड को सौंपा गया है, इसलिए अब कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी। सौदा दोनों देशों की सरकारों के बीच हुआ है, लिहाजा किसानों से एमएसपी पर खरीदे गए गेहूं का ही एक्सपोर्ट किया जाएगा। खाद्यान्न की दूसरे देशों की मांगों पर भी सरकार विचार कर रही है।
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