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कोरोना की वैक्सीन के लिए भारत ने लगाया जोर, कर ली है ये तैयारी पूरी

कोरोना वैक्सीन दुनिया का कोई भी देश या लैब बनाए, उसे आते-आते काफी वक्त लग जाएगा। ऐसे में कोरोना से निपटने के लिए वैक्सिन के ट्रायल से उम्मीद जगी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के दस देशों की सूची में भारत आ गया है।

suman
Published on: 25 May 2020 6:13 AM GMT
कोरोना की वैक्सीन के लिए भारत ने लगाया जोर, कर ली है ये तैयारी पूरी
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मुंबई कोरोना वैक्सीन दुनिया का कोई भी देश या लैब बनाए, उसे आते-आते काफी वक्त लग जाएगा। ऐसे में कोरोना से निपटने के लिए वैक्सिन के ट्रायल से उम्मीद जगी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के दस देशों की सूची में भारत आ गया है। देश में कोरोना के मामले रोज नए रेकॉर्ड बना रहे हैं। इसके साथ है इस महामारी से मानवता को बचाने के लिए वैक्सीन पर भी काम तेज हो गया है। दुनिया के कई देशों में इस पर तेजी से काम चल रहा है। भारत भी इस दिशा में प्रयासरत हैं।

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डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) की सचिव रेणु स्वरूप ने बताया कि वैक्सीन बनाने वाली घरेलू कंपनियों के लिए नियामकीय मंजूरियां देने और दिशा-निर्देश तैयार करने का काम शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारत वैक्सीन का सॉलिडैरिटी ट्रायल शुरू करने के लिए डब्ल्यूएचओ जैसी वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाओं के साथ बातचीत कर रहा है। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 के संभावित इलाज के लिए दवाओं का ट्रायल शुरू किया है।

कई दवा कंपनियां कोरोना की वैक्सीन पर काम कर रही हैं। वैक्सीन बनने के बाद बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन करना होगा और इसके लिए वे भारतीय वैक्सीन कंपनियों को साथ जोड़ना चाहती हैं। इसी सिलसिले में पिछले सप्ताह सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्रोजेनेका ने घोषणा की थी कि वैक्सीन बनाने के उनकी बातचीत चल रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफर्ड ने एस्ट्रोजेनेका को यह काम सौंपा है।

वैश्विक दवा कंपनियों की वैक्सीन सफल रहती हैं और भारतीय कंपनियां इसका उत्पादन करना चाहेंगी, तो हमारी कोशिश यही रहेगी कि इसके लिए तैयारी पूरी हो। हम किसी भी कारगर वैक्सीन को हर मोर्चे पर जल्दी से जल्दी मंजूरी देंगे।’

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वैक्सीन पर पहला हक

दुनिया में कोरोना की 8 संभावित वैक्सीन का काम दूसरे और तीसरे चरण में है। इनमें से चार चीन की शोध संस्थाएं जैसे पेइचिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कैनसाइनो, फोसुन विकसित कर रही हैं। बाकी वैक्सीन मॉडर्ना, इनोवियो, क्यूरावैक और फाइजर बना रही हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश वैक्सीन बना रही कंपनियों को अरबों डॉलर देकर अपने लिए वैक्सीन की सप्लाई सुनिश्चित कर रहे हैं। जाहिर है कि इनमें से किसी भी कंपनी की वैक्सीन कारगर होती है तो उस पर पहला हक इन्हीं देशों का होगा।

पूरी फंडिंग

कोविड-19 की नई वैक्सीन, दवा और डायग्नोस्टिक्स को परखने की जिम्मेदारी डीबीटी को दी गई है। विभाग ने ये प्रस्ताव कोविड-19 की वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स से संबधित थे। जहां तक वैक्सीन का सवाल है तो भारत बायोटेक, जायडस कैडिला और सीरम को उनके काम के लिए फंडिंग मिली है।

डीबीटी की कोशिश है कि वैक्सीन अगले कुछ महीनों में क्लिनिकल स्टेज में आ जाएगी। डीबीटी कोएलिशन फॉर वैक्सीन प्रीपैयर्डनेस इनोवेशंस (CEPI) और अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ जैसी संस्थाओं से भी हाथ मिला रहा है। इसके जरिए सरकार कंपनियों को उनकी प्रासंगिक कंपनियों से मिलाकर उन्हें सपोर्ट कर रही है। साथ ही कंपनियों के साथ अपना अनुभव बांटकर उन्हें शोध कार्य में मदद कर रही है। कुछ दिनों में जल्दी वैक्सीन को मंजूरी मिलेगी। इसक् लिअ भारत भी पूरी तरह से कमर कस कर तैयार है।

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