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भारत बना रहा है ये सात खतरनाक यान, दुश्मन देश का पंगा लेना पड़ेगा भारी

भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। सोमवार को ओडिशा तट के पास डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया गया।

Newstrack
Published on: 8 Sep 2020 9:39 AM GMT
भारत बना रहा है ये सात खतरनाक यान, दुश्मन देश का पंगा लेना पड़ेगा भारी
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याद दिला दें कि भारत के एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था। यह मैक-6 यानी 7408 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से उड़ सकता है।

नई दिल्ली: भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। सोमवार को ओडिशा तट के पास डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया गया।

रक्षा से जुड़े जानकारों की मानें तो हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए यह परीक्षण एक बड़ा कदम है। लेकिन इससे भी ज्यादा हमारे देश के लिए गर्व करने की बात ये है कि भारत केवल अकेले केवल इसी यान पर फोकस नहीं कर रहा है बल्कि हमारे देश के पास आधा दर्जन से ज्यादा हाइपरसोनिक प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर इस वक्त तेजी के साथ काम चल रहा है।

अगर ये सभी प्रोजेक्ट्स कामयाब हो जाते हैं तो दुश्मन भारत को भूलकर भी आँख दिखाने की कोशिश नहीं करेगा। तो आइए जानते हैं भारत के इन दमदार हाइपरसोनिक प्रोजेक्ट्स और यानों के विषय में।

अवतार

भारत में डीआरडीओ का पूरा ध्यान इस समय एक रोबोटिक सिंगल यूज रीयूजेबल स्पेस प्लेन बनाने में है। जिसे एयरोबिक व्हीकल फॉर ट्रांसएटमॉसफियरिक हाइपरसोनिक एयरोस्पेस ट्रांसपोर्टेशन का नाम दिया गया है।

ये एक खास तरह का सिंगल यूज वाला यान है। जो जमीन से अंतरिक्ष के लोअर अर्थ ऑर्बिट में जाएगा। इस यान का भार 25 टन होगा।

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drdo Projects डीआरडीओ के प्रोजेक्ट्स के बारे में जानकारी देते वैज्ञानिक की फोटो( साभार-सोशल मीडिया)

ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल

इस मिसाइल की रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी। लेकिन इसकी रफ्तार बहुत ही ज्यादा होगी। भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं।

समें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जिसका परीक्षण सोमवान यानी 7 अगस्त 2020 को डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक किया है। ऐसा माना जा रहा है कि यह मिसाइल अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगी।

यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी। इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से दागा जा सकेगा।

शौर्य हाइपरसोनिक मिसाइलः बता दें कि इस मिसाइल कुल भार 6.2 टन है। इसकी लम्बाई 33 फीट और चौड़ाई 2.4 फीट है। यह बेहद खतरनाक हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इसकी रेंज 2000 किलोमीटर तक है।

यह नौसेना के पास मौजूद मिसाइल सागरिका-के15 मिसाइल का अत्याधुनिक वर्जन है। इसके अब तक दो परीक्षण हो चुके हैं पहला साल 2008 में और दूसरा साल 2011 में। उसके बाद से इसे सेना में शामिल कर दिया गया।

डीआरडीओ द्वार बनाई गई शौर्य हाइपरसोनिक मिसाइल भी गति की सीमाएं तोड़ने में सक्षम है। यह मिसाइल मैक-7।5 यानी 9,187 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर अटैक कर सकती है।

HGV- हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल

एक निजी कंपनी मिलकर भारत सरकार के साथ इस प्रोजेक्ट पर वर्क कर रही है। इसका आधिकारिक नाम HGV-202F रखा गया है। इसके डिजायन की तस्वीर सामने नहीं आई है।

भारत का यह पहला हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल होगा। फिलहाल यह कॉन्सेप्ट के स्तर पर है। ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि यह मैक-5 यानी करीब 4000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ेगा।

Drdo डीआरडीओ के वैज्ञानिक मिसाइल के बारे में जानकारी देते हुए-(फोटो-सोशल मीडिया)

ATV-एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व्हीकल

बता दें कि इसका भार 3000 किलोग्राम था। इसका दो सफल परीक्षण 2016 में किया गया था। इससे पहले साल 2010 में भी इसका एक सफल परीक्षण किया गया था। यह रॉकेट भी मैक-6 यानी 7408 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ सकता है।

इसरो एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व्हीकल को बनाकर एक बार सफल परीक्षण कर चुका है। इसका डिजाइन रोहिणी-560 रॉकेट के जैसा था। यह 30 फीट लंबा और 1.8 फीट व्यास का था।

HSTDV स्क्रैमजेट इंजन व्हीकलः डीआरडीओ ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया। इसे एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल- Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं।

हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है। जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं।

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RLV-TD रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल

याद दिला दें कि भारत के एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था। यह मैक-6 यानी 7408 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से उड़ सकता है।

फिलहाल इसकी गति करीब 7500 किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन भविष्य में इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है। इस यान से यात्रा तो की ही जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर पलक झपकते ही बम गिराए जा सकते हैं। या फिर इस यान को ही बम के रूप में गिराया जा सकता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेशन प्रोग्राम के तहत 23 मई 2016 को एक यान लॉन्च किया था। इसका नाम है RLV-TD (Reusable Launch Vehicle Technology Demonstration)।

यह मिशन 770 सेकेंड तक चला था। इस दौरान यह यान 65 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया था और करीब 450 किलोमीटर की दूरी तय की थी।

इसके विकास में 10-15 साल लगेंगे। यह NASA के स्पेसशटल जैसा दिखता है। भविष्य में इससे भारतीय एस्ट्रोनॉट्स धरती के बाहर अंतरिक्ष में आएंगे-जाएंगे। इस दौरान इसने हाइपरसोनिक गति प्राप्त की थी।

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