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भूकंप से थर्रायेगा भारत! हो जाएं सावधान, तेज रफ़्तार से खिसक रहा देश
कुमाऊं विश्वविद्यालय में वरिष्ठ भूवैज्ञानिक प्रो. चारु चंद्र पंत ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड नेपाल के बजांग से होकर गुजरने वाला मेन सेंट्रल थ्रस्ट मुनश्यारी, कपकोट,बैजनाथ, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी होते हुए चमोली तक जाता है। इस कारण यह इलाका बहुत ज्यादा संवेदनशील है जो भूकंप के जोन 5 में पड़ता है।
नई दिल्ली: भूवैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप के हल्के झटके पृथ्वी के लिए एक तरह से लाभप्रद हैं क्योंकि इससे धरती के भीतर की अतिरिक्त एनर्जी निकल जाती है। उत्तर भारत में भूकंप का मुख्य कारण टेक्टोनिक प्लेट्स का 55 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की गति से तिब्बत की ओर खिसकना है जिस कारण प्लेट्स के आपस में टकराने से जो एनर्जी निकलती है वह भूकंप का कारण बनती है।
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इस हिसाब से नेपाल का बजांग क्षेत्र बेहद संवेदनशील है जहां प्रतिदिन छोटी तीव्रता के भूकंप आते हैं और कभी बड़ा भी आ सकता है।
भूकंप के जोन 5 में पड़ते हैं ये इलाके
कुमाऊं विश्वविद्यालय में वरिष्ठ भूवैज्ञानिक प्रो. चारु चंद्र पंत ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड नेपाल के बजांग से होकर गुजरने वाला मेन सेंट्रल थ्रस्ट मुनश्यारी, कपकोट,बैजनाथ, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी होते हुए चमोली तक जाता है। इस कारण यह इलाका बहुत ज्यादा संवेदनशील है जो भूकंप के जोन 5 में पड़ता है।
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भूवैज्ञानिक ने बताया कि इस क्षेत्र में बीते दस हजार वर्षों में, जो कि होलोसीन युग कहलाता है, बड़े भूकंपों के प्रमाण मिले हैं जो खासकर नदियों के किनारों के टेरेस में अंतर के रूप में उपलब्ध हैं।
गत 200 वर्षों में बड़ा भूकंप नहीं आया है जो कि अतिरिक्त सावधानी बरतने का संकेत भी है क्योंकि पृथ्वी के भीतर अतिरिक्त एनर्जी जमा हो ही रही है।