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15 जनवरी को सेना दिवसः देश हो जाएं तैयार, देखने को मिलेगी आर्मी की ताकत

इस दिन वीरता पुरस्कार और सेना पदक भी प्रदान किए जाते हैं। परमवीर चक्र और अशोक चक्र पुरस्कार विजेता हर साल सेना दिवस परेड में भाग लेते हैं। 2020 में, कप्तान तानिया शेरगिल आर्मी डे परेड की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं।

Ashiki
Published on: 14 Jan 2021 2:14 PM GMT
15 जनवरी को सेना दिवसः देश हो जाएं तैयार, देखने को मिलेगी आर्मी की ताकत
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15 जनवरी को सेना दिवसः देश हो जाएं तैयार, देखने को मिलेगी आर्मी की ताकत

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: सेना दिवस भारत में हर साल 15 जनवरी को फील्ड मार्शल कोदंडेरा एम. करियप्पा (तब एक लेफ्टिनेंट जनरल) के सम्मान में मनाया जाता है। करियप्पा ने 15 जनवरी 1949 को जनरल सर फ्रांसिस बुचर, अंतिम ब्रिटिश से भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार ग्रहण किया था। कल 73 वां भारतीय सेना दिवस है।

सैन्य कार्यक्रमों का होता है आयोजन

इस दिन राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के साथ-साथ सभी मुख्यालयों में परेड और अन्य सैन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सेना दिवस उन बहादुर सैनिकों को सलाम करने का दिन है, जिन्होंने देश और इसके नागरिकों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। देश भर में समारोह होने के दौरान, मुख्य सेना दिवस परेड का आयोजन दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड मैदान में किया जाता है। इस दिन वीरता पुरस्कार और सेना पदक भी प्रदान किए जाते हैं। परमवीर चक्र और अशोक चक्र पुरस्कार विजेता हर साल सेना दिवस परेड में भाग लेते हैं। 2020 में, कप्तान तानिया शेरगिल आर्मी डे परेड की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं।

Photo-Social Media

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भारतीय सेना की आज़ादी का जश्न

देखा जाए तो 15 जनवरी, 1949 के बाद ही भारत की सेना ब्रिटिश नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त हुई थी, इसीलिए 15 जनवरी को "थल सेना दिवस" घोषित किया गया। यह दिन देश की एकता व अखंडता के प्रति संकल्प लेने का दिन है। यह दिवस भारतीय सेना की आज़ादी का जश्न है। यह वही आज़ादी है, जो वर्ष 1949 में 15 जनवरी को भारतीय सेना को मिली थी।

Photo-Social Media

इस दिन के.एम. करिअप्पा को भारतीय सेना का 'कमांडर-इन-चीफ़' बनाया गया था। इस तरह लेफ्टिनेंट करिअप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। इसके पहले यह अधिकार ब्रिटिश मूल के फ़्राँसिस बूचर के पास था और वह इस पद पर थे। वर्ष 1948 में सेना में तकरीबन 2 लाख सैनिक ही थे, लेकिन अब 11 लाख, 30 हज़ार भारतीय सैनिक थल सेना में अलग-अलग पदों पर कार्यरत हैं।

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सेना दिवस पर सेना युद्ध की क्षमता का प्रदर्शन करती है और अपने जवाब देने के कौशल और रणनीति के बारे मं3 बताती है। इस परेड और हथियारों के प्रदर्शन का उद्देश्य दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराने के साथ देश के युवाओं को सेना में शामिल होने के लिये प्रेरित करना भी है। 'थल सेना दिवस' पर शाम को सेना प्रमुख चाय पार्टी आयोजित करते हैं, जिसमें तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल होते हैं।

Ashiki

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