बॉर्डर पर तैनात सैन्य कर्मियों को दुश्मनों की गोली नहीं, इस चीज से लगता है डर

सीमा पर तैनात जवान और सैन्य अफसर दुश्मनों की गोली से बिल्कुल भी नहीं डरते हैं बल्कि उन्हें अगर किसी चीज से डर लगता है तो वो है ज़मीनी और कानूनी विवाद। कुछ ऐसी ही परेशानियां जवानों को तनावग्रस्त बना रही हैं।

Aditya Mishra
Published on: 27 Nov 2019 12:24 PM GMT
बॉर्डर पर तैनात सैन्य कर्मियों को दुश्मनों की गोली नहीं, इस चीज से लगता है डर
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नई दिल्ली: सीमा पर तैनात जवान और सैन्य अफसर दुश्मनों की गोली से बिल्कुल भी नहीं डरते हैं बल्कि उन्हें अगर किसी चीज से डर लगता है तो वो है ज़मीनी और कानूनी विवाद। कुछ ऐसी ही परेशानियां जवानों को तनावग्रस्त बना रही हैं।

ऐसा हम नहीं बल्कि रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट ये बात कह रही है। राज्यसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सेना के जवान दुश्मन की गोली नहीं ज़मीनी और कानूनी विवादों से ज्यादा परेशान हैं। कुछ ऐसी ही परेशानियां जवानों को तनावग्रस्त बना रही हैं। लेकिन जवानों की इस परेशानी को दूर करने के लिए सेना ने कई कदम उठाए है।

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इस मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने एक सवाल उठाते हुए पूछा था, “क्या थल सेना और वायु सेना द्वारा काउंसलिंग के लिए मानसिक सहायता हेल्पलाइन की स्थापना की गई है। और किस तरह की समस्याएं जवानों में देखी जा रही हैं।”

रक्षा मंत्रालय ने राज्यसभा में हुसैन दलवई के सवालों का जवाब देते हुए जवानों की उन समस्याओं का खुलासा किया जो काउंसलिंग के दौरान सामने आई हैं।

वो समस्याएं कुछ इस तरह से हैं, ज़मीनी विवाद, कानूनी मामले, नींद पूरी न होना, यौन समस्याएं, वैवाहिक विवाद, छुट्टी की परेशानी, पर्सनल समस्या, कार्य स्थल पर तथाकथित उत्पीड़न आदि उजागर हुई हैं।

सेना ने उठाये ये बड़े कदम

दरअसल, बढ़ते तनाव की वजह से कई जवान तो शराब के आदी तक हो जाते हैं और कई बार तनाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि जवानों को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ जाता है।

इसलिए सेना की ओर से जवानों और अफसरों को तनाव मुक्त बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। सेना की विभिन्न छावनियों में इसके लिए ‘मेंटल वैलनेस वीक’ आयोजित किए जा रहे हैं। जिसमें मनोवैज्ञानिकों, आर्ट ऑफ लीविंग, ध्यान विशेषज्ञों व योग शिक्षकों की मदद से जवानों और अफसरों को तनावमुक्त किया जा सके।

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काउंसलिंग पर जोर

इसके अलावा ऐसे जवान जो बढ़ते तनाव के शराब के आदी हो जाते हैं, उनकी काउंसलिंग के लिए भी सेना विशेष तौर पर इंतजाम करवा रहे हैं। ये विशेषज्ञ इन जवानों और अफसरों को घेरने वाले तनाव की वजह को पकड़ेंगे और उन्हें इस अवसाद से बाहर निकालेंगे।

इसके लिए सैन्य जवानों, अफसरों और जरूरत पड़ने पर उनके परिजनों को भी विशेष काउंसलिंग में शामिल किया जाएगा। ये काउंसलिंग पूरी तरह से मेंटल हेल्थ स्ट्रेस मैनेजमेंट और साइकोसोमैटिक इलनैस (मनो शारीरिक रोगों) पर केंद्रित रहेगी।

तनाव से पड़ रहा सेहत पर असर

हेडेक , ब्लड प्रेशर, माइग्रेन , ज्वाइंट पेन, हाइपर टेंशन, डायबिटीज, अस्थमा इत्यादि कई तरह की बीमारियां इंसान को घेर लेती है।

काउंसलिंग में इन बिंदुओं पर रहेगा फोकस

- सैन्य जवानों के तनावग्रस्त होने की मुख्य वजह क्या है, उसकी जड़ तक पहुंचना।

- तनाव की वजह पारिवारिक है, तो काउंसलिंग में उनके परिजनों को भी शामिल करना।

- इच्छाओं और वास्तविकता का अंतर ही तनाव है, जवानों को ये समझाते हुए अंतर खत्म करना।

- जवानों को जीवन का विश्लेषण करने का गुर सिखाते हुए उनकी दिनचर्या को दोबारा री-सैट करना।

- दिलोदिमाग में उठ रहे हर अच्छे-बुरे मनोभावों को किसी से भी शेयर करवाना।

- फौज के धार्मिक शिक्षक जेसीओ को भी ट्रेंड करना कि वे किस तरह तनावग्रस्त जवानों की पहचान कर उनकी अध्यात्मिक काउंसलिंग करें।

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Aditya Mishra

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