TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जुर्म की दुनिया से युवाओं को वापस लाने के लिए सेना ने शुरू किया ये खास ऑपरेशन

ऑपरेशन मां' शुरू करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल कंवर जीत सिंह (केजेएस) ढिल्लों बताते हैं कि इससे काफी युवकों को वापस लाया गया है और अभियान बहुत ज्यादा सफलता बटोर चुका है।

Aditya Mishra
Published on: 21 Feb 2020 9:45 PM IST
जुर्म की दुनिया से युवाओं को वापस लाने के लिए सेना ने शुरू किया ये खास ऑपरेशन
X

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में कई युवा आतंकियों और कट्टरपंथियों के चक्कर में पड़कर आतंक का रास्ता अपना लेते हैं। आतंक के आका इन युवाओं को बरगला कर गलत रास्ते पर ले जाते हैं।

ऐसे युवाओं को फिर से मुख्यधारा में लाने के लिए भारतीय सेना 'ऑपरेशन मां' चला रही है। इसके तहत आतंकवादी बन चुके युवाओं को समझाने-बुझाने के लिए उनकी मां या परिवार के सदस्यों को मौका दिया जाता है। 'ऑपरेशन मां' शुरू करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल कंवर जीत सिंह (केजेएस) ढिल्लों बताते हैं कि इससे काफी युवकों को वापस लाया गया है और अभियान बहुत ज्यादा सफलता बटोर चुका है।

लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से निपटने के लिए चलाए गए 'ऑपरेशन मां' का प्रभाव उल्लेखनीय रहा है और इसके जरिए आतंकवादी समूहों के सरगनाओं से जन-हितैषी तरीके से निपटा जा रहा है।

आर्मी की 15वीं कोर के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने ही 'ऑपरेशन मां' की शुरुआत की थी। इसमें मुठभेड़ के दौरान जब स्थानीय आतंकवादी पूरी तरह घिर जाते हैं तो उनकी मां या परिवार के अन्य बड़े सदस्यों या समुदाय के प्रभावी लोगों को उनसे बात करने का अवसर दिया जाता है। इस दौरान वे युवकों को आतंकवाद का रास्ता छोड़कर सामान्य जीवन में लौटने के लिए समझाते हैं।

ये भी पढ़ें...भारतीय सेना ने तैयार किया ये खास रक्षा कवच, खूबियां जान कांप उठे पाकिस्तान-चीन

'मां की अपील से कई बार मिली सफलता'

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों का मानना है, 'कुछ भी तब तक नहीं खो जाता है, जब तक आपकी मां उसे खोज नहीं सकती।' उन्होंने इस अभियान के नतीजों को उल्लेखनीय बताया है। लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने कहा, ‘सभी अभियानों के दौरान हम स्थानीय आतंकवादियों को वापसी का अवसर देते हैं। मुठभेड़ को आधे में रोक दिया जाता है और उसके माता-पिता या समुदाय के बुजुर्गों को घिरे हुए स्थानीय आतंकवादियों से लौट आने की अपील करने को कहा जाता है। यह है ऑपरेशन मां और हमें कई बार सफलता मिली है।'

हालांकि, सेना ने इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी क्योंकि इससे धीरे-धीरे सामान्य जीवन से जुड़कर मुख्यधारा में लौट रहे पूर्व आतंकवादियों की सुरक्षा और जीवन को खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रभावी अभियान, खास तौर पर किसी आतंकी संगठन के सरगनाओं के खिलाफ, पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ ‘जन हितैषी’ तरीके से अपनाए गए रुख का नतीजा होता है।

आतंकवादी गुटों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या घटी

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हाल ही में तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने पहले जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने और उसके दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद से हर महीने औसतन महज पांच युवक ही आतंकवादी समूहों में शामिल हुए हैं। जबकि 5 अगस्त, 2019 से पहले हर महीने करीब 14 युवक आतंकवादी समूहों का हाथ थाम लेते थे।

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों का मानना है कि सुरक्षा बलों द्वारा विभिन्न अभियान चलाकर आतंकवादी समूहों के 64 प्रतिशत नए रंगरूटों को उनके संगठन में शामिल होने के एक साल के भीतर खत्म कर दिया जाना भी अवरोधक के रूप में काम कर रहा है।

भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को दिया मुंहतोड़ जवाब, मारे 4 सैनिक

आतंकियों के जनाजे में जाने वाले हुए कम

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने आगे कहा, 'इस कारण 2018 के मुकाबले 2019 में स्थानीय युवकों की भर्ती आधी से भी कम रह गई है और आतंकवादी समूहों में शामिल होना अब युवाओं के लिए लुभावना विकल्प नहीं रह गया है।' रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकवादियों के जनाजे में भारी भीड़ जुटना भी अब बीते दिनों की बात हो गई है। अब सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी के जनाजे में कुछ मुट्ठी भर करीबी रिश्तेदार ही नजर आते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 अगस्त, 2019 से पहले मारे गए आतंकवादियों के जनाजे में बड़ी संख्या में लोग जुटते थे। कई बार तो 10 हजार तक लोग होते थे। ऐसी भीड़ युवाओं को आतंकवाद की ओर खींचने की जमीन देती थी। विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संकलित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि अब इसमें कमी आई है और इस कारण स्थानीय युवकों की भर्तियों में भी कमी आई है।

भारतीय सेना का पाकिस्तान को तगड़ा जवाब, बिछ गई सैनिकों की लाशें, चौकियां तबाह



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story