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Indian Army: मुहसिन ने कर दिया कमाल, एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक का अनोखा रिकॉर्ड
Indian Army: मुहसिन ने विश्व पर्यावरण दिवस पर नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रैक करने के लिए सबसे तेज़ लोगों में से एक होने का रिकॉर्ड बनाया है। उसने पूरक ऑक्सीजन के बिना 22 घंटे में एवरेस्ट बेस कैंप (17,598 फीट) तक की चढ़ाई की।
Indian Army: भारतीय सेना के एक जवान ने बिना ऑक्सीजन सिलेंडर मात्र 22 दिन में एवरेस्ट बेस कैम्प तक पहुंच कर नया रिकॉर्ड बना दिया है। यह जवान हैं मुहसिन वी.ए. जो केरल के अलुवा के रहने वाले हैं और वर्तमान में लद्दाख में तैनात हैं। मुहसिन ने विश्व पर्यावरण दिवस पर नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रैक करने के लिए सबसे तेज़ लोगों में से एक होने का रिकॉर्ड बनाया है। उसने पूरक ऑक्सीजन के बिना 22 घंटे में एवरेस्ट बेस कैंप (17,598 फीट) तक की चढ़ाई की। आमतौर पर ट्रेकर्स को एवरेस्ट बेस कैंप तक जाने और ट्रेक को पूरा करने में कई दिन या हफ्ते लग जाते हैं। बीच-बीच में अनुकूलन के दिन भी होते हैं ताकि उनके शरीर को बड़ी ऊंचाई पर जाने में मदद मिल सके।
लद्दाख में हैं तैनात, सेव लक्षद्वीप का संदेश
मुहसिन वह "सेव लक्षद्वीप" के संदेश के साथ एवेरेस्ट बेस कैंप पर गए। बता दें कि लक्षद्वीप ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलमग्न होने के खतरों का सामना कर रहे द्वीपों में से एक है। जलवायु परिवर्तन के कारण, लक्षद्वीप द्वीप समूह में हवाई अड्डे और आवासीय क्षेत्र खतरे में हैं, क्योंकि द्वीप के चारों ओर समुद्र का स्तर 0.4 मिमी प्रति वर्ष से 0.9 मिमी प्रति वर्ष के बीच बढ़ रहा है। इसलिए मुहसिन लोगों को ग्लोबल वार्मिंग और उसके कारणों से अवगत कराना चाहते हैं।
लुकला से की शुरुआत
मुहसिन ने एवरेस्ट बेस कैंप पर चढ़ाई की शुरुआत नेपाल में खुंबू के एक छोटे से शहर लुकला (9,383 फीट) से की और वहां से ट्रेक शुरू किया। अधिकांश ट्रेकर्स एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा यहीं से शुरू करते हैं। इस जगह पर एक छोटी हवाई पट्टी तेनजिंग हिलेरी हवाई अड्डा है, जिसे दुनिया के सबसे खतरनाक हवाई अड्डों में से एक माना जाता है।एवरेस्ट बेस कैंप की ट्रेकिंग के बाद, मुहसिन ने काला पत्थर (18,520 फीट) पर भी चढ़ाई की। एक सैनिक होने के अलावा, मुहसिन पर्वतारोहण के भी शौकीन हैं और उन्होंने पर्वतारोहण के कई कोर्स किए हैं।
उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के दिरांग में राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान, उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और दार्जिलिंग में हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान से ट्रेनिंग ली है। मुहसिन बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना चाहते थे, लेकिन उनके पास प्रायोजकों की कमी थी। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी है और एक दिन अपने लक्ष्य को पूरा करने की उम्मीद करते हैं।