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चीन को याद आएगा छठी का दूध, भारतीय सेना अब उठाएगी बड़ा कदम
विदेश मामलों के मंत्री ने वांग से कहा कि चीनी कार्रवाई ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ यथास्थिति को नहीं बदलने के दोनों देशों के बीच सभी समझौतों का उल्लंघन कर तथ्यों को बदलने की मंशा को दर्शाया है।
चीन के साथ घातक झड़प के दो दिनों के बाद, जिसमें पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 20 सैनिकों की जान चली गई थी, ऐसी मीडिया रिपोर्ट आ रही हैं कि भारतीय सेना चीन के साथ रूल्स ऑफ इंगेजमेंट को बदलने की योजना बना रही है।
सीमा पर हुए ताजा संघर्ष के मद्देनजर, यह बताया गया है कि सेना चीन के साथ अपने दशकों पुराने रूल्स ऑफ इंगेजमेंट की पुनर्समीक्षा कर रही है।
ये है पुराना नियम
सेना संघर्ष के दशकों पुराने नियमों के अनुसार चीनी सैनिकों का सामना करने वाले भारतीय सैनिकों के लिए मौजूदा निेर्देशों में फायरिंग करना शामिल नहीं है। हालांकि अब इसकी समीक्षा की जा रही है।
खबरों के मुताबिक यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुई थी जब भारतीय सैनिक सीमा के भारत की तरफ चीनी सैनिकों द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने गए थे। चीन ने 6 जून को दोनों पक्षों के लेफ्टिनेंट जनरल-रैंक के अधिकारियों के बीच बातचीत में इस टेंट को हटाने पर सहमति जताई थी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर भी चीनी विदेश मंत्री वांग वाई के साथ टेलीफोन पर बातचीत में चीन को एक कड़ा संदेश देते हुए कह चुके हैं कि गलवान घाटी में "अभूतपूर्व" घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर "गंभीर प्रभाव" पड़ेगा।
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जयशंकर ने चीनी सेना की योजनाबद्ध कार्रवाई को हिंसा के लिए सीधे जिम्मेदार ठहराया, जिससे 20 भारतीय सेना के जवान मारे गए। जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के भारत के विरोध को "सबसे मजबूत शब्दों" में व्यक्त किया। चीन से कहा गया कि उन्हें अपने कार्यों का आश्वासन देना चाहिए और सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।
दूसरी ओर, चीनी विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी किया है। जिसमें दोनों पक्षों ने "जल्द से जल्द जमीनी हालात सामान्य बनाने पर सहमति व्यक्त की। अब तक हुए समझौतों के अनुसार सीमा पर शांति बनाए रखना दोनो देशों की जिम्मेदारी है।
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विदेश मामलों के मंत्री ने वांग से कहा कि चीनी कार्रवाई ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ यथास्थिति को नहीं बदलने के दोनों देशों के बीच सभी समझौतों का उल्लंघन कर तथ्यों को बदलने की मंशा को दर्शाया है।