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मोदी सरकार ने ईरान में फंसे 58 भारतीयों को निकाला बाहर, जानें पूरा मामला
भारत सरकार ने कोरोना से प्रभावित ईरान से अपने 58 नागरिकों को निकाल लिया है। इनमे 25 पुरुष और 31 महिलाएं और दो बच्चें शामिल हैं और सभी में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं।
लखनऊ: भारत सरकार ने कोरोना से प्रभावित ईरान से अपने 58 नागरिकों को बाहर निकाल लिया है। इनमे 25 पुरुष और 31 महिलाएं और दो बच्चें शामिल हैं और सभी में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं।
इनमें तीर्थयात्री, छात्र और मछुवारे शामिल हैं। ईरान से बीती सात मार्च को 108 नमूने प्राप्त कर जांच के लिए एम्स लैब में भेजा गया है। इसके साथ ही भारत सरकार ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के छह वैज्ञानिकों को ईरान में तैनात कर दिया है।
रोकथाम के उपाए के तौर पर भारत सरकार ने बीती 10 मार्च को चीन, हांगकांग, कोरिया गणराज्य, जापान, इटली, थाईलैंड, मलेशिया, फ्रांस, स्पेन तथा जर्मनी की यात्रा करने वाले यात्रियों को 14 दिनों के लिए अलग रखे जाने का परामर्श जारी किया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत सरकार ने अभी तक कोरोना प्रभावित देशों से 948 यात्रियों को निकाला हैं। इनमें से 900 भारतीय नागरिक हैं और 48 लोग मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मेडागास्कर, श्रीलंका, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और पेरु के नागरिक हैं। चीन के हुबेई प्रांत का वुहान शहर कोरोना का केन्द्र है और वहां सैकड़ों भारतीय फंसे हुए हैं।
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अब तक 654 यात्रियों को वुहान से निकाला जा चुका है बाहर
भारतीय विमानन सेवा एयर इंडिया वहां फंसे लोगों को निकालने के लिए दो विशेष उड़ानों का उपयोग कर रही है और अब तक 654 यात्रियों को वुहान से निकाला जा चुका है, इनमें से 647 भारतीय नागरिक हैं।
पहली फरवरी को चीन के वुहान से पहली खेप में 324 भारतीय नागरिकों को निकाला गया। उन्हें आईटीबीपी छावला शिविर में निगरानी के लिए अलग रखा गया था और शेष 220 लोगों को मानेसर की सेना की चिकित्सा सुविधा में रखा गया।
इसके बाद बीती 3 फरवरी को दूसरी खेप में 330 यात्री भारत पहुंचे। इनमें मालदीव के 7 नागरिक थे और 2 भारतीय दूतावास के अधिकारी थे जो लोगों को निकाले जाने के कार्य में समन्वय के लिए तैनात किए गए थे।
300 लोगों को आईटीबीपी छावला शिविर में रखा गया, जबकि 30 लोगों को मानेसर की चिकित्सा सुविधा में निगरानी के लिए भेजा गया। वुहान से निकाले गए सभी लोगों को 14 दिनों के लिए अलग रखा गया। उनकी दो बार जांच की गई और उन्हें निगेटिव पाया गया और बीती 18 फरवरी को उनकी छुट्ठी कर दी गई।
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14 दिनों के लिए आईटीबीपी शिविर में रखा गया
इसी तरह भारतीय वायु सेना ने बीती 26 फरवरी को चीन के हुबेई प्रांत से 112 यात्रियों को निकाला। इनमें 76 भारतीय नागरिक थे। भारतीय वायु सेना द्वारा निकाले गए विदेशी लोगों में म्यामांर, बांग्लादेश, मालदीव, चीन, अमेरिका, मेडागास्कर और दक्षिण अफ्रीका के नागरिक थे। यात्री 27 फरवरी को भारत पहुंचे और उन्हें प्रोटोकॉल के मुताबिक 14 दिनों के लिए आईटीबीपी शिविर में रखा गया।
पहली जांच में सभी यात्री निगेटिव पाए गए हैं। भारतीय वायु सेना के विमान से सद्भाव के तौर पर चीन को सप्लाई करने के लिए चिकित्सा सामग्रियां भी ले जाई गई।
इसके अतिरिक्त जापान के योकोहाम बंदरगाह से जापानी जहाज डायमंड प्रिंसेंस के मामले में 124 यात्रियों को निकाला गया। इसमें 5 लोग श्रीलंका, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका तथा पेरु के थे। इन सभी लोगों को मानेसर में सेना की चिकित्सा सुविधा में रखा गया और पहली जांच में इन्हें निगेटिव पाया गया।
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