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ब्रिटिश संसद में किसान आंदोलन के बहाने उगला गया जहर, भारत ने किया तीखा विरोध

ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में किसानों के विरोध प्रदर्शन और प्रेस की आजादी पर हुई बहस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए इसे खारिज कर दिया है।

Shivani Awasthi
Published on: 9 March 2021 7:14 AM GMT
ब्रिटिश संसद में किसान आंदोलन के बहाने उगला गया जहर, भारत ने किया तीखा विरोध
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रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ- ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में किसानों के विरोध प्रदर्शन और प्रेस की आजादी पर हुई बहस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए इसे खारिज कर दिया है। लंदन में भारत के उच्चायोग ने इस बहस के तुरंत बाद एक बयान जारी करे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप पर आपत्ति जतायी और बहस को एक तरफा करार दिया। गौरतलब है कि 18 में से 17 ब्रिटिश सांसदों ने इन मुद्दों पर भारत सरकार पर हमला किया था।

ब्रिटिश संसद में किसान आंदोलन की गूंज

भारतीय उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा, हमें इस बात का गहरा अफसोस है कि संतुलित बहस के बजाय, झूठे दावे किये गए और बिना किसी तर्क या तथ्य के इन्हें उठाया गया। यह बेहद चिंताजनक है कि ब्रिटेन में रह रहे भारतीय समुदाय को भ्रमित करने के इरादे से इस तरह की टिप्पणियां की गईं। प्रवक्ता ने जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार के उल्लंघन के आरोपों का भी प्रतिवाद किया।

प्रदर्शनकारियों से निपटने के तौरतरीकों की हुई निंदा

हाउस ऑफ कॉमन्स में बहस के दौरान लेबर और सत्तारूढ़ कंजरवेटिव दोनों पक्षों की ओर से - भारत के किसान प्रदर्शनकारियों से निपटने के तौरतरीकों की निंदा की गई और प्रेस की आजादी पर सवाल उठाने के साथ ही इंटरनेट बंद करने और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने के मुद्दे उठाए गए।

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लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरेमी कॉर्बिन सांसद ने दावा किया कि इस आंदोलन में 250 मिलियन लोग हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने इसे इस ग्रह के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा औद्योगिक विवाद बताया।

kisan andolan

किसान हिंसा को बताया अब तक का सबसे बड़ा औद्योगिक विवाद

पाक अधिकृत मूल के लेबर पार्टी के सांसद ताहिर अली ने भी मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा सरकार के खिलाफ तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, 'मैं मांग करता हूं कि यूके सरकार प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के कार्यों की निंदा करें।

भारत में उत्पीड़न, मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों पर हमलों का आरोप

आरोप लगाया गया कि मोदी सरकार प्रेस की आजादी और राजनीतिक असंतोष को दबाने का काम कर रही है। आलोचकों को रोका जा रहा है और इंटरनेट तक पहुंच अवरुद्ध की जा रही है। यह भी आरोप लगाया कि भारत के भीतर हिंसक धार्मिक उत्पीड़न में वृद्धि हुई है जिसमें मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों पर हमलों की बात कही गई।

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पाकिस्तान मूल के लेबर सांसद नाज़ शाह ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों के विरोध प्रदर्शनों में पंजाब के सिखों का वर्चस्व रहा है, भारत सरकार ने इस मुद्दे को हाशिए पर रखने के लिए उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की है। लेबर सांसद जॉन मैकडॉनेल ने कहा: "पत्रकारों को लगातार गिरफ्तारी और धमकी से निशाना बनाया जा रहा है, और झूठे आपराधिक आरोप लगाये जा रहे हैं।

Farmers Protest

भारत ने दावों को किया खारिज

उच्चायोग ने यह कहते हुए इन सभी दावों को खारिज कर दिया: “विदेशी मीडिया, जिसमें ब्रिटिश मीडिया भी शामिल है, भारत में मौजूद है। जिसने घटनाओं को देखा है। भारत में मीडिया की स्वतंत्रता की कमी का सवाल ही नहीं उठता।

हालांकि कंजर्वेटिव सांसद बॉब ब्लैकमैन, जिनके निर्वाचन क्षेत्र, हैरो पूर्व, में बड़ी संख्या में ब्रिटिश भारतीय गुजराती घटक हैं, ने कहा: "ऐसा लगता है कि ब्रिटेन और भारत के बीच पूरी तरह से अनावश्यक रूप से शत्रुता फैलाने का एक जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है। भारत और यूके रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और हमारे कामकाजी संबंधों के अन्य पहलुओं में सहयोग पर आगे बढ़ रहे हैं।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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