Odisha Train Accident: उड़ीसा ट्रेन हादसे के सबक, अब डबल लॉक रहेंगे सिग्नल बॉक्स

Odisha Train Accident: रेलवे बोर्ड ने नवीनतम आदेश में कहा है कि ट्रेन कंट्रोल सिस्टम वाले रिले रूम और रिले हट को हमेशा डबल लॉक में रखा जाएगा।

Neel Mani Lal
Published on: 12 Jun 2023 3:35 AM GMT (Updated on: 12 Jun 2023 3:39 AM GMT)
Odisha Train Accident: उड़ीसा ट्रेन हादसे के सबक, अब डबल लॉक रहेंगे सिग्नल बॉक्स
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Odisha Train Accident (photo: social media )

Odisha Train Accident: बालासोर ट्रेन हादसे के बाद अब रेलवे ने सिग्नल से संबंधित सभी उपकरणों को "डबल लॉक" रखने का आदेश दिया है। इसके अलावा, अब किसी भी मेंटेनेंस काम के बाद ट्रेनों की आवाजाही शुरू करने के लिए भी सख्त प्रोटोकॉल बनाया गया है।

रेलवे बोर्ड ने नवीनतम आदेश में कहा है कि ट्रेन कंट्रोल सिस्टम वाले रिले रूम और रिले हट को हमेशा डबल लॉक में रखा जाएगा। रिले हट में सिग्नलिंग, लेवल-क्रॉसिंग, पॉइंट और ट्रैक सर्किट सिग्नल उपकरण होते हैं।

इस आदेश से संकेत मिलता है कि रिले रूम तक पहुंच से ही सिग्नलिंग से छेड़छाड़ हुई जो कोरोमंडल एक्सप्रेस की दुर्घटना का कारण बना। समझा जाता है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ की गई थी। इसीलिए अब इसे "छेड़छाड़-रोधी" बनाना जरूरी है। डबल लॉकिंग से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी इन स्थानों में चुपचाप नहीं पहुंच सकता है।

आदेश में कहा गया है कि स्टेशन यार्ड में लेवल क्रॉसिंग गेट (गुम्टी/केबिन), हाउसिंग सिग्नलिंग और दूरसंचार उपकरण को रिले हट के रूप में माना जाना चाहिए और जब तक डबल-लॉकिंग व्यवस्था प्रदान नहीं की जाती है, तब तक वर्तमान सिंगल लॉक की चाबी स्टेशन मास्टर (एसएम) के पास ही रहेगी।

आदेश के अनुसार, स्टेशन रिले रूम की तरह ही एसएम द्वारा चाभी जारी करने और जमा करने के संबंध में प्रासंगिक प्रविष्टियां रखी जानी चाहिए। ड्यूटी पर एएसएम (सहायक स्टेशन प्रबंधक) द्वारा चाभी सौंपने/वापस लेने के प्रोफार्मा में एक कॉलम होगा, जिसमें यह निर्दिष्ट किया जाएगा कि जिस स्थान के लिए चाबी रखरखाव कर्मचारियों द्वारा ली गई थी, उसे ठीक से बंद कर दिया गया है और रखरखाव कर्मचारियों द्वारा ताला लगा दिया गया है। ये भी लिखा जाएगा कि चाभी कौन लौटा रहा है।

उस दिन क्या हुआ था

रिपोर्ट्स के अनुसार, बालासोर हादसे की प्रारंभिक जांच से एक पहलू सामने आया है, कि दुर्घटना के स्थान के पास कुछ रखरखाव काम चल रहा था। एक डिस्कनेक्शन मेमो (इंटरलॉकिंग सिस्टम को बंद करने और काम शुरू करने के लिए) और एक रीकनेक्शन मेमो (सिस्टम का रीकनेक्शन पूरा होने तथा काम के अंत का संकेत) स्टेशन प्रबंधक द्वारा प्राप्त किया गया था। लेकिन सच्चाई यह थी कि तकनीशियन ने सिस्टम को बाईपास कर दिया था। क्योंकि काम पूरा नहीं हुआ था और उसने कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए "ग्रीन सिग्नल" प्राप्त करने के लिए लोकेशन बॉक्स में हेराफेरी की थी।

ताकि अब ऐसा न हो

वर्तमान आदेश के तहत सिग्नल के रखरखाव, मरम्मत और परिवर्तन कार्यों के लिए उचित डिस्कनेक्शन-रीकनेक्शन प्रोटोकॉल का पालन किया जाना है। एक बार किसी भी कार्य के पूरा होने के बाद पहली ट्रेन के लिए स्टेशन मास्टर द्वारा रीकनेक्शन स्वीकार करने के बाद, रिसेप्शन सिग्नल संकेत को बंद नहीं किया जाना चाहिए और इसे पहले स्टॉप पर रोक दिया जाएगा।

रेलवे बोर्ड के सिग्नलिंग और ट्रैफिक विभागों द्वारा संयुक्त रूप से जारी किए गए सिग्नलिंग गियर्स के लिए डिस्कनेक्शन और रीकनेक्शन के संयुक्त प्रक्रिया आदेश में कहा गया है कि ये सभी अप और डाउन दिशा वाली ट्रेनों के लिए लागू होना चाहिए।

बालासोर दुर्घटना के बाद से रेलवे बोर्ड द्वारा सिग्नलिंग पर जारी किया गया यह तीसरा ऐसा आदेश है।

Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

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