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Indian Railway: रेल सुरक्षा की चिंता – दो सबसे बिजी रूटों पर लग रहा कवच सिस्टम
Indian Railway: नई दिल्ली : भारत के इतिहास में सबसे भयानक रेल हादसों में से एक बलासोर कोरमंडल एक्सप्रेस हादसा है। इस हादसे के बाद अब भारतीय रेलवे ने ‘कवच’ सुरक्षा सिस्टम को पूरे नेटवर्क में स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली : भारत के इतिहास में सबसे भयानक रेल हादसों में से एक बलासोर कोरमंडल एक्सप्रेस हादसा है। इस हादसे के बाद अब भारतीय रेलवे ने ‘कवच’ सुरक्षा सिस्टम को पूरे नेटवर्क में स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है। देश के दो सबसे व्यस्त रेलवे रूट दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली ‘कवच’ लागू करने के लिए टेंडर अवार्ड कर दिए गए हैं।
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कवच कार्यान्वयन की स्थिति
वर्तमान में दिल्ली-मुंबई (1384 रूट किलोमीटर) और दिल्ली-हावड़ा (1447 रूट किलोमीटर) पर कवच सिस्टम लगाने का काम प्रगति पर है। इसके अलावा, अन्य 6000 रूट किलोमीटर का विस्तृत अनुमान यानी डीपीआर तैयार किया जा रहा है। कवच को फिलवक्त दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) जोन पर 1465 रूट किमी और 121 लोकोमोटिव इंजनों पर स्थापित किया गया है।
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कवच की लागत
कवच सिस्टम के इंस्टालेशन के लिए भारतीय रेलवे ने अब तक 351.91 करोड़ रुपये खर्च किये है। कवच के स्टेशन उपकरण सहित ट्रैक साइड के प्रावधान की लागत करीब 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर है, जबकि लोकोमोटिव पर कवच उपकरण के प्रावधान की लागत लगभग 70 लाख रुपये प्रति लोको है। बता दें कि ट्रेनों के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए रेलवे बोर्ड ने 23 मार्च, 2022 को ‘कवच’ नामक एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली के विकास की घोषणा की थी। यह ट्रेन की गति पर बेहतर नियंत्रण सुनिश्चित करता है और संभावित दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करता है।
कवच प्रणाली के लिए टॉप लेवल के सुरक्षा प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है। यदि लोको पायलट ऐसा करने में विफल रहता है तो यह सिस्टम आटोमेटिक ब्रेक लगाने में सहायता करता है और खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद करता है। भारतीय रेलवे ने फरवरी 2016 में यात्री ट्रेन पर कवच का पहला फील्ड परीक्षण शुरू किया था। सिस्टम के स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर कवच की आपूर्ति के लिए 2018-19 में तीन फर्मों को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद कवच को जुलाई 2020 में राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली के रूप में अपनाया गया। वर्तमान में, रेलवे ने कवच कार्यान्वयन के लिए तीन भारतीय निर्माता कंपनियों को मंजूरी दी गयी है। इस नई प्रणाली के कार्यान्वयन को बढ़ाने की क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक विक्रेताओं को विकसित करने के प्रयास जारी हैं।