कर्नल के शहीद होते ही बिहार रेजीमेंट का दिखा क्रोध, तोड़ डाली चीनी सैनिकों की गर्दन

भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन अगर कोई उकसाता हो तो मुहतोड़ जवाब देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐस ही अंदाज में चीन का नाम लिए बगैर साफ-साफ चेतावनी दी थी। भारतीय सैनिकों की भी यही नीति है।

Dharmendra kumar
Published on: 20 Jun 2020 5:45 PM GMT
कर्नल के शहीद होते ही बिहार रेजीमेंट का दिखा क्रोध, तोड़ डाली चीनी सैनिकों की गर्दन
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नई दिल्ली: भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन अगर कोई उकसाता हो तो मुहतोड़ जवाब देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐस ही अंदाज में चीन का नाम लिए बगैर साफ-साफ चेतावनी दी थी। भारतीय सैनिकों की भी यही नीति है। अपने विरोधियों को भारतीय सैनिक एक हद तक बर्दाश्त करते हैं, लेकिन जब विरोधी जब हद पार कर देता है तो रौद्र रूप धारण कर लेते हैं। भारतीय सैनिकों का रौद्र रूप चीनी सैनिकों ने देखा है।

सैनिक ने तोड़ी 18 चीनी सैनिकों गर्दनें

लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के धोखे से भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया। दोनों के बीच इस हिंसक झड़प में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू शहीद हो गए। इसके बाद बिहार रेजीमेंट के जवानों ने रौद्र रूप धारण कर लिया। एक मीडिया रिपोर्ट में अलग-अलग स्त्रोतों के हवाले से कहा गया है कि अपने सीओ की शहादत से गुस्साए भारतीय सैनिकों ने एक-एक कर 18 चीनी सैनिकों की गर्दनें तोड़ दीं।

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि कम-से-कम 18 चीनी सैनिकों के गर्दनों की हड्डियां टूट गई थीं और उनके सर झूल रहे थे। अपने कमांडर की वीरगति प्राप्त होने से भारतीय सैनिक इतने आक्रोशित हुए सामने आने वाले हर चीनी सैनिक का ऐसा हाल कर दिया कि उनकी पहचान करना भी मुश्किल है।

सैनिकों की बहादुरी दुनिया के लिए बनी मिसाल

बिहार रेजीमेंट के सैनिकों के बहादुरी की कहानी दुनिया के लिए मिसाल बन गई है। हिसंक झड़प वाली रात को चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सेना की तुलना में 4 गुना अधिक थी। इतना ही नहीं, चीनी सैनिकों साजिश के तहत हमला किया था, तो वहीं भारतीय सैनिकों ने कोई तैयारी नहीं थी, क्योंकि उन्हें चीनियों के अचानक धोखे की आशंका नहीं थी। इसके बावजूद हमारे बहादुर सैनिकों ने चीनी सेना को ऐसा सबक सिखा दिया है कि चीन सरकार इस हिंसक झड़प पर कुछ बोल नहीं पा रही है।

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इस मीडिया रिपोर्ट में सैन्य सूत्रों के हवाले से बिहार रेजीमेंट की सैनिकों के शौर्यगाथा की कहानी कही गई है। इस लड़ाई में बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने अपने भीतर की शक्तियों का इस्तेमाल किया है। भारतीय सैनिकों को आदेश मिले थे कि वह गलवान में बनाए गए चीनी सैनिकों द्वारा टेंट को हटाने की पुष्टि करें। इसी के मद्देनजर कर्नल बी संतोष बाबू जवानों के साथ घटना स्‍थल पर पहुंचे। उन्होंने मौके पर देखा कि चीनी सेना ने वहां से टेंट को नहीं हटाया है जिसका विरोध किया। इसी बीच बड़ी तादाद में मौजूद चीनी सैनिक ने उनके ऊपर हमला बोल दिया जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी मोर्चा संभाल लिया और उनको जवाब देना शुरू किया।

घातक दस्ता पहुंच गया मौके पर

हिंसक झड़प में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू शहीद होने के बाद बिहार रेजीमेंट के सैनिकों का धैर्य टूट गया। चीनी सैनिकों की तादाद अधिक होने की वजह से भारतीय फौज ने पास की टुकड़ी को इस बारे में जानकारी दी और सहायता मांगी। सूचना मिलने के तुरंत बाद ही भारतीय सेना का 'घातक' दस्ता मदद के लिए वहां पहुंचा। बिहार रेजीमेंट और घातक दस्ते के सैनिकों की कुल तादाद सिर्फ 60 थी, जबकि दूसरी तरफ दुश्मनों की तादाद बहुत अधिक थी।

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यह हिंसक झडप करीब 4 घंटे तक चली। बताया है कि चीनियों के पास तलवार और रॉड थे। भारतीय सैनिकों ने उनके ही हथियारों को छीनकर उन पर हमला शुरू कर दिया। बिहार रेजीमेंट के सैनिकों यह रूप देखकर सैकड़ों की तादाद में मौजूद चीनी सैनिक भागने लगे और घाटियों में जाकर छिप गए। इसके बाद भारतीय जवानों ने उनका पीछा किया और उनको पकड़-पकड़ कर मारा। इस दौरान भारतीय सैनिक चीन के अधिकार क्षेत्र में पहुंच गए थे। सैनिकों को बाद में चीन ने वापस भेजा है।

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