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रक्षा के मोर्चे पर भारत की ऊंची उड़ान
कोरोना के संकट काल में भारत को रक्षा मोर्चों पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिसका भारत ने डट कर सामना किया है और उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल की है।
लखनऊ: कोरोना के संकट काल में भारत को रक्षा मोर्चों पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिसका भारत ने डट कर सामना किया है और उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल की है। चाहे वह चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की बात हो या रूस के साथ सामरिक समझौतों की, भारत ने सबमें फतह पायी है। भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने और सैन्य शक्ति की मजबूती के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। सेना को अपनी जरूरतों के हिसाब से स्वयं फैसले लेने का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा सैन्य साजो-समान खरीदने व स्वदेशी निर्माण की दिशा में भी केंद्र सरकार ने बड़े करार किए हैं। इससे भारत की सामरिक तैयारियों को जबर्दस्त ताकत मिलेगी।
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मोदी कैबिनेट में राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री के तौर पर अपनी भूमिका को बहुत अच्छी तरह निभा रहे हैं। बात राफेल विमान के भारत में आने की हो या भारत-चीन के बीच उपजे तनाव की, राजनाथ सिंह ने हर मोर्चे पर सफलता पाई है। राजनाथ सिंह ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने के अलावा ऐसे कामों को अंजाम दिया है जो भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसमें रूस के के साथ रक्षा समझौते, सेना को हथियार खरीद का अधिकार, लीपुलेख तक सड़क निर्माण, लद्दाख में पुल व सड़कों का निर्माण, जम्मू में पुलों का निर्माण जैसे तमाम कार्य शामिल हैं।
अपने स्तर पर हथियार खरीद सकेगी सेना
रक्षा मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के मद्देनजर सेना के तीनों अंगों को 300 करोड़ रुपये तक की पूंजीगत खरीद का विशेष अधिकार प्रदान कर दिया है जिससे सेना की आपात आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा। बड़ी बात ये है कि खरीद से संबंधित चीजों की संख्या को लेकर कोई सीमा नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में इस निर्णय के बाद खरीद से जुड़ी समय सीमा कम हो जाएगी और इससे खरीद के लिए छह महीने के भीतर ऑर्डर देना तथा एक साल के भीतर संबंधित वस्तुओं की उपलब्धता की शुरुआत सुनिश्चित होगी।
33 एडवांस फाइटर जेट खरीदेगा भारत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में रूस की यात्रा की थी। इस दौरान वे वहां द्वितीय विश्व युद्ध में रूसी सेना के विजय के 75वें सैन्य समारोह में शामिल हुये। इस यात्रा के दौरान रूस के साथ कई डिफेंस करार किए गए। जिसके तहत भारत को 33 नये लड़ाकू विमान मिलेंगे। इसके साथ ही भारत में पुराने मिग-29 विमानों को अपग्रेड किया जायेगा। कुल मिला कर रूस के साथ भारत ने 38,900 करोड़ रुपये के रक्षा सौदे को मंजूरी दी है। रूस से भारत को पिनाका मिसाइल भी मिलेगी। पिनाका मिसाइल सिस्टम से भी भारत की मारक क्षमता बढ़ेगी। इसके साथ ही एक हजार किलोमीटर लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले मिसाइल सिस्टम से नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता में कई गुणा बढ़ोतरी होगी।
अपग्रेड करने का फैसला
रक्षा मंत्रालय ने मौजूदा 59 मिग-29 विमानों को उन्नत बनाने के एक अलग प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार, 21 मिग-29 लड़ाकू विमानों और मिग-29 के मौजूदा बेड़े को उन्नत बनाने पर अनुमानित तौर पर 7,418 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से 12 नए एसयू-30 एमकेआई विमान की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। डीएसी ने नौसेना और वायुसेना के लिए 1,000 किलोमीटर रेंज की मारक क्षमता वाले ‘लैंड अटैक क्रूज मिसाइल सिस्टम' और अस्त्र मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी दी है जिनकी लागत 20,400 करोड़ रुपये है।
मेक इन इंडिया मुहिम
हथियारों के उत्पादन की मेक इन इंडिया मुहिम में भी रूस भारत का बहुत बड़ा मददगार साबित हो रहा है। मेक इन इंडिया सैन्य प्रोजेक्ट के तहत रूस के पास 12 अरब डॉलर की परियोजनाएं हैं। भारत-रूस के बीच हथियारों के संयुक्त उत्पादन तथा तकनीक के हस्तांतरण में ब्रह्मोस मिसाइल सबसे महत्वपूर्ण है, जिसे फिलीपींस, वियतनाम जैसे चीन के दुश्मन भी खरीदने के इच्छुक हैं।
रूस से 18 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के लिए पांच हजार करोड़ रुपये तथा 200 कामोव-226टी यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों के लिए 3600 करोड़ रुपये का सौदा है। इनका उत्पादन हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में रूस के सहयोग से हो रहा है।
अमेठी में 7.5 लाख एके-203 असॉल्ट राइफलों के निर्माण के लिए भी रूस से 12 हजार करोड़ का करार हुआ है।
रूस से 17 हजार करोड़ रुपये के चार युद्धपोतों के सौदों में से दो का निर्माण भी भारत में ही हो रहा है।
मिग-35, सुखोई-35 जैसे 114 मध्यम लड़ाकू विमानों के अलावा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के साझा उत्पादन को शीघ्र स्वीकृति मिलने की भी संभावना है।
छह पनडुब्बियों के जल्द सौदा होने की उम्मीद है जिसके लिए रूस भारत को तकनीक देने को तैयार है।
2022 तक शुरू होने वाले भारत के पहले गगनयान मानव मिशन के लिए रूस भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण भी दे रहा है।
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जम्मू में पुलों का निर्माण,सेना को बड़ी राहत
भारतीय सेना को जम्मू में 6 पुलों के निर्माण से बहुत बड़ी राहत मिली है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कठुआ के दो पुलों और जम्मू के चार पुलों का उद्घाटन किया है। राजनाथ सिंह ने कहा है कि कोरोना की घड़ी में जब लॉकडाउन चल रहा था तब बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने अपने प्रयासों से इन पुलों का निर्माण बहुत जल्दी किया है। उन्होंने कहा कि देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में बीआरओ ने प्रतिबद्धता के साथ सड़कों और पुलों के निरंतर निर्माण से सरकार के प्रयासों को दूर करने वाले क्षेत्रों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क न केवल सामरिक ताकत है। बल्कि दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए भी कार्य करती हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर के कामों में तेजी
सैन्य साजोसामान के अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूती के लिए भी काफी काम किया जा रहा है। राजनाथ सिंह के मंत्रालय के अधीन सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पिछले कुछ वर्षों में कई बड़े बड़े काम किए हैं। बीआरओ ने 2018-19 की तुलना में 2019-20 में लगभग 30 प्रतिशत अधिक काम किया है। बीआरओ ने 2019-20 में 1,273 किलोमीटर निर्माण कटिंग और 2,214 किलोमीटर सरफेसिंग का कार्य किया है। इसके साथ ही इसने 1,715 करोड़ रुपये की लागत से स्थायी काम किया है, 2,979 किलोमीटर प्रमुख पुल, 689 करोड़ रुपये सुरंग निर्माण कार्य और 2,498 किलोमीटर री-सर्फिंग का काम किया है।
चीन सीमा के पास अटल रोहतांग सुरंग
सीमा सड़क संगठन ने हिमाचल प्रदेश में 8.8 कि. मी. लंबी अटल रोहतांग सुरंग का भी निर्माण पूरा कर लिया है। इसका उद्घाटन सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। इस सुरंग के चालू हो जाने से लेह तक की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी। मनाली-लेह हाईवे से ही लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों को साजो सामान व अन्य चीजों की सप्लाई की जाती है।
चीन बॉर्डर पर तेजी से होगा सड़क निर्माण
सीमा सड़क संगठन तेजी से सामरिक सड़कों और पुल को बना रहा है। 3 साल से 40 पुलों पर काम चल रहा है, जिसमें से 20 पुल बनकर तैयार हैं। 2022 तक 66 सामरिक सड़कें बनाने का भी लक्ष्य है। भारत चीनी सरहद से सटे लद्दाख के इलाके में सड़क निर्माण का काम तेज करने जा रहा है। सरकार इस मद में 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। चीन सीमा के पास ही कई दर्जन पुलों का निर्माण चल रहा है। एलएसी के पास सामरिक पुल और सड़कों को बनाने का काम युद्ध स्तर पर आगे बढ़ रहा है।
लिपुलेख सड़क से लोगों को राहत
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से लिपुलेख तक भारत ने 80 किलोमीटर की सड़क बना डाली है। इससे कैलाश मानसरोवर की यात्रा जो पहले 21 दिन में पूरी होती थी वो अब महज एक दिन में पूरी हो जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई महीने में लिपुलेख सड़क का लोकार्पण किया था। इस सड़क के निर्माण से सीमा से लगे गावों तक आवाजाही आसान हो गई है। सेना भी बॉर्डर पर आसानी से आ जा सकती है।
10 साल से कम सेवा पर भी पेंशन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर 10 साल से कम की भी सेवा देने वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिये अशक्त पेंशन की अनुमति दे दी है। अभी तक यह पेंशन सशस्त्र बलों के सिर्फ उन कर्मियों को दी जाती थी, जिन्होंने 10 साल से अधिक की सेवा दी है और उन कारणों से अशक्त हुए हैं जो सैन्य सेवा से संबद्ध नहीं हैं। यदि अशक्त होने के समय किसी सैनिक की सेवा 10 साल से कम की होती थी, तो अब तक उसे सिर्फ अशक्त ग्रेच्युटि का ही भुगतान किया जाता था। इस फैसले से सशस्त्र बलों के वे कर्मी लाभान्वित होंगे जो चार जनवरी 2019 को सेवा में थे, या उसके बाद से सेवा में हैं।
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बोले रक्षा मंत्री
'देश अपने सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। मेरा दिल शहीद सैनिकों के परिवार के साथ है।'
'हम हर मोर्चे के लिए तैयार हैं चाहे वह बॉर्डर हो या फिर अस्पताल, तैयारी में हम कभी पीछे नहीं रहते।'
'जम्मू-कश्मीर की हालात बहुत तेज़ी से साथ तब्दील हो रहे हैं और एक वक्त ऐसे आने वाला जब पीओके के लोग कहेंगे कि हम पाकिस्तान के साथ नहीं रहने चाहते।'
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