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भ्रम दूर करने की जरूरत,इंटरनेट मौलिक अधिकार नहीं-रविशंकर प्रसाद

गुरुवार को संसद में केंद्र सरकार ने कहा कि इंटरनेट का उपयोग संविधान का मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि विचार अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। बीते दिनों उच्चतम न्यायालय के एक फैसले से भ्रम की स्थिति हो गई थी।

suman
Published on: 6 Feb 2020 3:58 PM GMT
भ्रम दूर करने की जरूरत,इंटरनेट मौलिक अधिकार नहीं-रविशंकर प्रसाद
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नई दिल्ली गुरुवार को संसद में केंद्र सरकार ने कहा कि इंटरनेट का उपयोग संविधान का मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि विचार अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। बीते दिनों उच्चतम न्यायालय के एक फैसले से भ्रम की स्थिति हो गई थी। कानून और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में कहा, यह भ्रम दूर करने की जरूरत है कि इंटरनेट के उपयोग को उच्चतम न्यायालय ने मौलिक अधिकार घोषित किया है।

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रविशंकर प्रसाद ने एक सवाल के जवाब में कहा, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि किसी भी वकील ने यह दलील नहीं दी कि इंटरनेट का अधिकार मौलिक अधिकार है...इस तरह की गलत धारणा को ठीक करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट जो यह कहा कि आपके विचारों के संचार के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल भी अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि हिंसा और आतंकवाद फैलाने के लिए इंटरनेट का दुरुपयोग हो रहा है। कश्मीर में पाकिस्तान यह कर रहा है और आईएसआईएस भी इंटरनेट की वजह से बढा है। उन्होंने कहा, एक ओर जहां इंटरनेट का अधिकार अहम है, देश की सुरक्षा भी उतनी ही अहम है। क्या हम इससे इनकार कर सकते हैं कि आतंकवादी हिंसा के लिए इंटरनेट का दुरुपयोग कर रहे हैं।

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रविशंकर प्रसाद ने जोर देकर कहा कि जो संविधान हमें अधिकार देता है, वह इसके नियंत्रण पर भी उतना ही जोर देता है। राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के एक पूरक प्रश्न के जवाब में प्रसाद ने कहा, 'इंटरनेट का इस्तेमाल करें लेकिन आप हिंसा नहीं भड़का सकते...और देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को कमजोर नहीं कर सकते।'

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