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एक दृष्टिहीन जो औरों के लिए बना प्रेरणास्रोत

हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है आईपी शर्मा की जिंदगी। आई शर्मा यानी इंद्रप्रकाश शर्मा पूरी रह से ब्लांड हैं और मौजूदा समय में वह अंध विद्यालय लोहगढ़ में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हैं।

Shreya
Published on: 24 Dec 2019 5:39 AM
एक दृष्टिहीन जो औरों के लिए बना प्रेरणास्रोत
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एक दृष्टिहीन जो औरों के लिए बना प्रेरणास्रोत

दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है आईपी शर्मा की जिंदगी। आई शर्मा यानी इंद्रप्रकाश शर्मा पूरी रह से ब्लांड हैं और मौजूदा समय में वह अंध विद्यालय लोहगढ़ में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हैं। आईपी शर्मा की उपलब्ध्यिां जान कर अच्छे-अच्छे लोगों भी दंग रह जाते हैं। कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से एमए, बीएड कर चुके शर्मा यूएसए में बोस्टर्न परर्किंसन स्कूल फॉर द ब्लाइंड सेटिचिंग ऑफ द ब्लाइंड अर्थात दृष्टिहीनों को पढ़ाने का प्रशिक्षण ले चुके हैं। फिलहाल वह गर्वनमेंट गर्ल्‍स सीनियर सेकेंडरी स्कूल रोहतक से 2006 में सेवानिवृत्ति के बाद अब अमृतसर के लोगढ़ स्थित अंध विद्यालय में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हैं।

बचपन में ही चली गई थी आंखों की रोशनी

इंद्र प्रकाश शर्मा बताते हैं कि उनका जन्म अविभाजित भारत के रावलपिंडी में हुआ था। जन्म के छह माह बाद ही उनकी आंखों की रोशनी चली गई। पिता लक्ष्मी नारायण शर्मा समाज सेवक थे। पार्टिशन के बाद उनका परिवार 1947 में अंबाला कैंट में आ कर बस गया। तब उनकी उम्र कोई ढाई-तीन साल रही होगी। इस दौरान उनकी मां ने पिता जी से कहा कि आप समाज सेवक हो तो कोई ऐसा स्कूल क्यों नहीं खोलते जिसमें अंधे बच्चों को भी पढ़ाया जा सके। मां की बात पिता जी को अच्छी लगी। उस समय उन्होंने अंबाला कैंट में सनातन धर्म सभा स्कूल के प्रबंधकों से बात की और उन्होंने स्कूल खोलने की मंजूरी दे दी। इस तरह एसडी इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड नाम से 1952 में अंध विद्यालय की अस्थापना हुई और इसी स्कूल में उन्होंने पांचवीं तक की पढ़ाई की।

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कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से की एमए, कनाडा से सीखा फ्रेंच

आई पी शर्मा बताते हैं कि मिडल स्तर की पढ़ाई जीआर्इबी अर्थात गर्वनमेंट स्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड पानीपत से पूरी करने के बाद अंबाला लौट आए और यहां एसडी हाई स्कूल से इंटरमीडिएट करने बाद एडी कॉलेज अंबाला सिटी से ग्रेजुएशन व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में एमए की। शर्मा में बताया कि 1968 में जब वह पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे तब उन्हों कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से बंबई में हो रहे ऑल इंडिया पॉलिटिकल साइंस में भाग लेने के लिए प्रतिनिधि के तौर पर बंबई भेजा गया। वहां वह पहले दृष्टिहीन वक्ता थे जो दूसरे स्थान पर आए थे।

उन्होंने बताया कि शिक्षा पूरी करने के बाद वह नेशल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड बंबई में एक इंटरव्यू के बाद 1980 में उनका चयन यूएसए में बोस्टर्न परकिंसन स्कूल फॉर द ब्लाइंड में टिचर ट्रेनिंग के लिए कर लिया गया। एक साल वहां प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे न्यूयार्क आ गए और यहां एक साल तक विभिन्न स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त करते रहे। इसके बाद वे कनाडा चले आए और यहां पर उन्होंने एक वर्ष तक मोनटिृयाल शहर में फ्रेंच लैंग्वेज सीखी।

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1987 में मिली शिक्षक की नौकरी

आईपी शर्मा कहते हैं कि कनाडा से लौटने के बाद वहं होम फाॅर द ब्लाइंड एंड डिसएबल मालेरकोटला पंजाब में कुछ साल तक प्रिंसिपल रहे। इसके बाद उन्हें 1987 में गर्वनमेंट गर्ल्‍स सिनियर सेकेंडरी स्कूल रोहतक में शिक्षक की नौकरी मिल गई। और यही से उन्होंने 2006 में सेवानिवृत्ति ली। इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट बच्चों को अंग्रेजी ग्रामर की ट्यूशन देनी शुरू कर दी। आईपी शर्मा बताते हैं परिवार में उनकी पत्नी व एक बेटी है जिसकी शादी कर चुके हैं। पत्नी भी उन्हीं तरह ब्लाइंड हैं। और वह भी ग्रेजुएट हैं। कुछ वर्षतक वह भी लुधियाना के वोकेशनल रहीहै। और विनीटेशन ट्रेनिंग सेंटर फॉर ब्लाइंड बीआरटीसी में लाइब्रेरियन थीं । अब कुशल गृहणी हैं।

कविताएं भी लिखते हैं आईपी शर्मा

प्रिंसिपल आईपी शर्मा कहते हैं वे खाली समय में हिंदी, उर्दू व पंजाबी में गजल व कविताएं भी लिखते हैं। उनकी कविताएं जागृति सहित विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा वह अंध विद्यालय के बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कैंडल मेकिंग व बुक बाइंडिंग का प्रशिक्षण देने जा रहें हैं ताकि ब्लाइंड बच्चे किसी पर निर्भर न रहे।

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