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ऐसा शेरदिल IPS: नाम सुन कर लगता है डर, बड़े-बड़े डकैतों का किया सफाया

 अच्छा एक बात बताइयें क्या आपने सिंघम मूवी देखी है? देखी तो जरूर होगी। हां वही जिसमें अजय देवगन हां सही पहचाना सिंघम जो अपराधियों के छक्के छुड़ाते दिखाई दिए है।

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Published on: 11 July 2020 4:11 PM IST
ऐसा शेरदिल IPS: नाम सुन कर लगता है डर, बड़े-बड़े डकैतों का किया सफाया
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नई दिल्ली। अच्छा एक बात बताइयें क्या आपने सिंघम मूवी देखी है? देखी तो जरूर होगी। हां वही जिसमें अजय देवगन हां सही पहचाना सिंघम जो अपराधियों के छक्के छुड़ाते दिखाई दिए है। लेकिन ये तो भईया सिर्फ मूवी है, हम आपको अब सच-मुच की असल जिंदगी के सिंघम के बारे में बताते हैं। जिन्होंने एक से बढ़कर एक बदमाशों के छक्के छुड़ाए है। आपने चंबल के बीहड़ो से डकैतों के बारे में तो सुना होगा, उनका नामों-निशान मिटाने वाले सिंघम का नाम है- एसपी मृदुल कच्छावा। इन्होंने बदमाशों का खात्मा करके कई गांव वालों की जान बचाई है।

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सिंघम एसपी मृदुल कच्छावा

सिंघम एसपी मृदुल कच्छावा राजस्थान के बीकानेर जिले के रहने वाले हैं। बीकानेर में ही मृदुल की प्रारम्भिक शिक्षा हुई और केंद्रीय विद्यालय जयपुर से सीनियर सैकण्डरी करने के बाद जयपुर के कॉमर्स कॉलेज से बीकॉम किया।

बीकॉम करने के बाद मृदुल कच्छावा ने राजस्थान विश्वविद्यालय से एमआईबी किया। डिग्री हासिल करने के बाद जयपुर से ही सीए और सीएस की पढ़ाई की।

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यूपीएससी की तैयारी करने के लिए

इसके बाद मृदुल कच्छावा ने नेट भी पास किया। मृदुल कच्छावा ने एक वर्ष जर्मन बैंक में नौकरी की। फिर बैंक में नौकरी करने के बाद मृदुल कच्छावा यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली चले गए और दिल्ली में ढाई वर्ष रहे।

लेकिन सन् 2014 में मृदुल कच्छावा का चयन भारतीय डाक सेवा में हो गया, लेकिन मृदुल कच्छावा को यह रास नहीं आया क्योंकि उनको तो आईपीएस बनना था और 2015 में मृदुल कच्छावा का आईपीएस में चयन हो गया। निजी जिंदगी की बात करें तो मृदुल कच्छावा की पत्नी का नाम कनिका सिंह हैं। कनिका सिंह सीनियर आईपीएस पकंज सिंह की पुत्री हैं।

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चम्बल के बीहड़

मृदुल ने अपने छोटे से कार्यकाल में चम्बल के बीहड़ में पहली बार 57 डकैत और बदमाशों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भेजा। धौलपुर जिले के चंबल के बीहड़ दशकों से बागी, बजरी, बंदूक और बदमाशों के नाम से विख्यात और कुख्यात रहे हैं।

आपको पता हैं कि चंबल के बीहड़ों पर डकैतों के लिए यह भी कहा जाता है कि एक मरे दो जावे, जाको वंश डूब ना पावे' वाली कहावत चरितार्थ होती है। जीं हां सदियों से चंबल के बीहड़ को डकैतों की शरण स्थली माना जाता रहा है।

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अपराधियों को पकड़-पकड़कर सलाखों के पीछे भेजा

एसपी मृदुल ने महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान 22 से अधिक डकैतों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया है। मृदुल कच्छावा और उनकी टीम ने 11 महीने की जबरदस्त मेहनत के बाद डकैतों और अपराधियों को पकड़-पकड़कर सलाखों के पीछे भेजा है।

इसमें एसपी मृदुल की इस कामयाबी के पीछे और भी कई लोग शामिल है। इऩमें एक दर्जन युवा पुलिस निरीक्षक, डीएसटी टीम, आरएसी टीम और साइबर सेल की मुख्य भूमिका मानी जा रही है।

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