TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

क्या अब किसानों के सबसे बड़े नेता राकेश टिकैत हैं, जाने क्यों इनका नाम ऊपर आ रहा

26 जनवरी तक ये आंदोलन ढेर सारे संगठनों के एक सामूहिक प्रयास के रूप में चल रहा था। इसमें मुख्यतः पंजाब और हरियाणा के किसान संगठन शामिल थे।

Roshni Khan
Published on: 29 Jan 2021 12:22 PM IST
क्या अब किसानों के सबसे बड़े नेता राकेश टिकैत हैं, जाने क्यों इनका नाम ऊपर आ रहा
X
क्या अब किसानों के सबसे बड़े नेता राकेश टिकैत हैं, जाने क्यों इनका नाम ऊपर आ रहा (PC: social media)

लखनऊ: किसान आन्दोलन की तस्वीर 26 जनवरी की घटनाओं के बाद एकदम से बदल गयी है। अभी तक इसके अगुवा मुख्यतः पंजाब के किसान नेता थे लेकिन अब अचानक राकेश टिकैत पूरे आन्दोलन के नेता के रूप में सामने आ गए हैं। ये एक बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है।

ये भी पढ़ें:कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान उठाया कृषि कानून का मुद्दा

देश का प्रतिनिधित्व न के बराबर था

26 जनवरी तक ये आन्दोलन ढेर सारे संगठनों के एक सामूहिक प्रयास के रूप में चल रहा था। इसमें मुख्यतः पंजाब और हरियाणा के किसान संगठन शामिल थे। बाकी देश का प्रतिनिधित्व न के बराबर था। शुरुआत में किसान आन्दोलन में राजनीतिक दलों की घुसपैठ भी कम थी लेकिन मौक़ा देख कर धीरे धीरे सभी गैर भाजपाई दल इसमें प्रवेश कर गए।

rakesh tikait rakesh tikait (PC: social media)

कृषि कानूनों के खिलाफ उत्तर प्रदेश के किसान आमतौर पर आन्दोलन में शामिल नहीं थे

कृषि कानूनों के खिलाफ उत्तर प्रदेश के किसान आमतौर पर आन्दोलन में शामिल नहीं थे। लेकिन आन्दोलन को एक व्यापक स्वरुप देने के लिए उन किसान संगठनों को इसमें शामिल किया गया जिनका विस्तार उत्तर प्रदेश में है। इनमें भारतीय किसान यूनियन का टिकैत गुट शामिल था। ये वही गुट है जिसके नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत हुआ करते थे। उन्हीं महेंद्र सिंह के बेटे हैं राकेश टिकैत जो भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। राकेश टिकैत का परिवार बालियान खाप से है। इस खाप का नियम है कि पिता की मौत के बाद परिवार का मुखिया घर का बड़ा होता है। चूंकि नरेश, राकेश से बड़े हैं इसलिए उन्हें बीकेयू का अध्यक्ष बनाया गया।

26 जनवरी की उपद्रवी घटनाओं के बाद पंजाब के किसान नेता चुप्पी साध कर बैठ गए हैं। पंजाब के चीफ मिनिस्टर अमरिंदर सिंह की अपील के बाद ढेरों किसान वापस भी लौट गए हैं। इसके अलावा उपद्रव के सिलसिले में दर्जनों मुकदमे लाद दिए जाने से भी किसान नेता बैकफुट पर हैं।

rakesh tikait rakesh tikait (PC: social media)

ये भी पढ़ें:सिनेमाघरों में ‘मैं मुलायम सिंह यादव’ रिलीज, अब तक इन नेताओं पर बन चुकी है फिल्म

उनके सामने ये पल राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरा करने का है

राकेश टिकैत की समस्या ये है कि उनके सामने ये पल राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरा करने का है। किसानों का सार्वभौमिक नेता बनने का ये अवसर उन्होंने ठीक से लपक लिया है। महेंद्र सिंह टिकैत की मृत्यु के बाद भारतीय किसान यूनियन का वो जलवा नहीं रह गया था जो उनके ज़माने में हुआ करता था। उस खोई ग्लोरी को पाने के लिए आन्दोलन की कमान अकेले संभालने और सत्ता से अकेले टकराने का श्रेय किसी भी नेता के लिए बहुत कीमती पल होता है। राकेश टिकैत ने रो कर, ललकार कर अपने प्रति कम से कम उस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है जहाँ उनके सबसे ज्यादा समर्थक हैं। अब देखने वाली बात होगी कि पंजाब के किसान नेता राकेश टिकैत के पीछे चलते हैं या अपनी कि अलग लाइन अपनाते हैं। अब मामला किसान मसलों से हट कर राजनीति का भी है।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story