TRENDING TAGS :
एक बार फिर जगी उम्मीद, इसरो चीफ बोले- लैंडर से दोबारा संपर्क करने की कोशिश
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चांद की सतह से करीब 2 किमी पहले ही इसरो से संपर्क टूट गया। हालांकि उम्मीदें अभी कायम हैं। इसरो के वैज्ञानिकों ने अब भी हिम्मत नहीं हारी है और उनका हौसला बुलंद है।
नई दिल्ली: चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चांद की सतह से करीब 2 किमी पहले ही इसरो से संपर्क टूट गया। हालांकि उम्मीदें अभी कायम हैं। इसरो के वैज्ञानिकों ने अब भी हिम्मत नहीं हारी है और उनका हौसला बुलंद है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन अपने लक्ष्य में लगभग 100 फीसदी सफलता के करीब रहा।
के. सिवन ने सरकारी न्यूज चैनल को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा कि लैंडर से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है। सिवन ने साफ कहा कि यह कोई झटका नहीं है, हम अगले 14 दिनों तक 'विक्रम' से संपर्क साधने की पूरी कोशिश करेंगे।
यह भी पढ़ें…चांद कोे छुआ जिसने, चर्चा करते हैं हम उनकी
उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर 135 करोड़ भारतीयों में छाई मायूसी के बीच इस तरह की कोशिश एक नई उम्मीद को जगा रही है। इसरो के वैज्ञानिक अब भी मिशन के काम में डटे हुए हैं। ऐसे में देश पॉजिटिव सोच रहा है।
बता दें कि भारत के चंद्रयान-2 मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब चंद्रमा के सतह से महज 2 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया।
यह भी पढ़ें…कश्मीर से धारा 370 खत्म कर आतंकवाद के ताबूत पर लगी अंतिम कील: CM योगी
के. सिवन ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि विक्रम लैंडर उतर रहा था और लक्ष्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका काम सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन 95 फीसदी सफल रहा है। उन्होंने कहा है कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर करीब 7.5 साल तक काम कर सकता है। उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि गगनयान समेत इसरो के सारे मिशन तय समय पर पूरे होंगे।
यह भी पढ़ें…सलमान को सुट्टा मारना पड़ा भारी, गणेश पूजा में किया ऐसा काम
के. सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के साइंस और टेक्नॉलजी डेमंस्ट्रेशन के दो उद्देश्य हैं। साइंस पार्ट ज्यादातर ऑर्बिटर के जिम्मे है जबकि दूसरे पार्ट में लैंडिंग और रोवर था। साइंटिफिक पार्ट में देखें तो ऑर्बिटर में विशेष पेलोड्स हैं और हम इसके जरिए चांद की सतह पर 10 मीटर तक पोलर रीजन में पानी और बर्फ का पता लगा सकते हैं।
इसरो प्रमुख ने अपने इंटरव्यू में कहा कि ऑर्बिटर में हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगे हैं। पेलोड के कारण काफी नए डेटा मिलने वाले हैं। साइंस मिशन हमारा सफल रहा है और उससे डेटा मिल रहा है। टेक्नॉलजी डेमंस्ट्रेशन पार्ट में हम फाइनल फेज में पीछे रह गए, लेकिन इसमें भी 90-95% काम पूरा रहा।