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जामिया हिंसा मामला: दिल्ली हाईकोर्ट में अब 29 अप्रैल को होगी सुनवाई
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की घटना की जांच अंतिम चरण में है।
नई दिल्ली: जामिया हिंसा मामला में अब दिल्ली हाईकोर्ट 29 अप्रैल को सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की घटना की जांच अंतिम चरण में है, तो वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से कोर्ट में जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा गया था। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस मामले में अभी जांच चल रही है।
दरअसल पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा था कि पुलिस गलत तरीके से यूनिवर्सिटी में प्रवेश किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान छात्रों को चोटें आईं। यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर ने पुलिस को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी थी, तकरीबन 52 छात्रों को गंभीर चोटें आईं। पुलिस ने हिरासत में लिए गए छात्रों को चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध नहीं कराई।
दिल्ली पुलिस पर आरोप है कि पुलिस ने यूनिवर्सिटी के अंदर तक घुसकर आंसू गैस के गोले छोड़े थे। जामिया में भड़की हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने दो केस दर्ज किए थे।
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पुलिस ने पहला केस न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और दूसरा मामला जामिया नगर थाने में दर्ज किया। पुलिस ने आगजनी, दंगा फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के तहत केस दर्ज किया था।
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नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण देश में शरण लेने आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर लिया था। ऐसे सभी लोग भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
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इस कानून के विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इसमें सिर्फ गैर मुस्लिमों को ही नागरिकता देने की बात कही गई है, इसलिए यह कानून धार्मिक भेदभाव वाला है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।