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सेना को बड़ी कामयाबी, दो आतंकी समेत 6 गिरफ्तार, रच रहे थे ये खौफनाक साजिश
पुलिस के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि जैश के नए संगठन लश्कर-ए-मुस्तफा के आतंकी बड़ी साजिश रच रहे हैं। इनका मकसद अनंतनाग और बिजबिहाड़ा में आतंकी हमला करना था।
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के एक्शन से बौखलाए आतंकी लगातार नई साजिश रच रहे हैं। अब इस बीच कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियान चला रही सेना को बड़ी कामयाबी मिली है। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की नए नाम से तंजीम बनाकर आईईडी हमलों की साजिश का भंडाफोड़ किया है।
सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मुस्तफा नाम के नए संगठन के दो आतंकियों और चार मददगारों को गिरफ्तार कर लिया है। सुरक्षाबलों ने दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में इस नए मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस संगठन में शामिल आतंकी सुरक्षा बलों के ठिकानों और रूट की रेकी करने में लगे हुए थे। आतंकियों से दो ग्रेनेड, एक किलो विस्फोटक सामग्री और एके-47 के 30 कारतूस बरामद किए गए हैं।
अनंतनाग और बिजबिहाड़ा में हमला करना चाहते थे आतंकी
पुलिस के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि जैश के नए संगठन लश्कर-ए-मुस्तफा के आतंकी बड़ी साजिश रच रहे हैं। इनका मकसद अनंतनाग और बिजबिहाड़ा में आतंकी हमला करना था। इसका इनपुट मिलते ही अनंतनाग पुलिस और सेना की 3 राष्ट्रीय राइफल्स ने इलाके में जगह-जगह नाके और एमवीसीपी लगाए और इनकी तलाश शुरू कर दी। अधिकारी का कहना है कि इस दौरान डूनिपोरा बिजबिहाड़ा में एक नाके पर एक ऑल्टो कार को रुकने को कहा गया, लेकिन कार चालक ने कार भगाने का प्रयास किया।
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इस दौरान सेना और पुलिस ने कार को घेर लिया और दो आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया। इनकी पहचान नाथपोरा खन्नाबल के इमरान अहमद हजाम और नंदपुरा खन्नाबल के इरफान अहमद अहंगार के तौर पर हुई। पूछताछ में इन्होंने कई खुलासे किए जिसके बाद इनके चार मददगारों को भी पकड़ लिया गया।
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इनके मददगारों में शोपियां के बिलाल अहमद कुमार, पुश्वारा अनंतनाग के तौसीफ अहमद लावे, मुनिवरद अनंतनाग के मुजम्मिल अहमद वानी और खादीपोरा हारनाग के आदिल राथर शामिल हैं। यह सभी जैश के लिए ओजीडब्ल्यू के तौर पर कार्य कर रहे थे।
आतंकियों का बड़ा खुलासा
आतंकियों ने पूछताछ में कई राज खोले है। उन्होंने बताया कि वह हाल ही में जैश-ए-मुस्तफा में शामिल हुए हैं। वह आंतकी संगठन के मुखियाहिदायत मलिक उर्फ हसनैन के साथ-साथ उमर और आफताब उर्फ अली भाई के कीरीब है। उन्हें सुरक्षा बलों की रेकी कर आईईडी लगाने का काम सौंपा गया था।
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एक अधिकारी ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद को जैश-ए-मुस्तफा के नाम से संचालित करने का मकसद जैश को स्थानीय संगठन के रूप में स्थापित करना है। आतंकियों ने पूछताछ में यह बड़ा राज खोला है।
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