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लिव-इन रिलेशन वाला ऐसा राज्य, जहां छीन लिए जाते हैं आपके कई अधिकार

इन्हें समाज में ढुकू के नाम से बुलाया जाता है। इनसे सामाजिक समारोह में शामिल होने तक का अधिकार छीन लिया जाता है और लोगों के ताने भी सुनने पड़ते हैं।

Shreya
Published on: 1 March 2021 9:39 AM GMT
लिव-इन रिलेशन वाला ऐसा राज्य, जहां छीन लिए जाते हैं आपके कई अधिकार
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लिव-इन रिलेशन वाला ऐसा राज्य, जहां छीन लिए जाते हैं आपके कई अधिकार

खूंटी: झारखंड (Jharkhand) के खूंटी (Khunti) जिले में 105 जोड़ों को वैवाहिक बंधन में बंध कर ढुकू की संज्ञा से मुक्ति मिल गई है। दरअसल, ये जोड़े शादी से पहले लिव इन रिलेशनशिप में रहे रहे थे। ये सभी गरीबी के चलते शादी नहीं कर पा रहे थे। इन जोड़ों का विवाह सरना धर्म के अनुसार संपन्न हुआ। वहीं, राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू और केन्द्रीय सचिव एन एन सिन्हा ने इन्हें अपना आशीर्वाद भी दिया।

ढुकू नाम से किया जाता तिरस्कार

बता दें कि ये सभी लोग गरीबी के चलते शादी करने और गांव वालों को शादी का भोज खिलाने में असमर्थ थे। ऐसे में समाज में इनका ढुकू के नाम से तिरस्कार किया जाता था। लेकिन अब इन लोगों को सामाजिक स्तर पर न्याय मिला है। जिसमें सबसे बड़ा हाथ रहा निमित संस्था का। जिसने इन जोड़ों को सामाजिक मान्यता दिलाने का जिम्मा उठाया।

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निमित संस्था ने सामूहिक विवाह का किया आयोजन

संस्था ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे 105 जोड़ों को वैवाहिक बंधन तक पहुंचाया। निमित संस्था पांच साल के निरंतर प्रयास के बाद लोगों को समझाने में कामयाब हुई। शादी के बाद अब इन जोड़ों को ढुकू की संज्ञा से मुक्ति मिल गई। इस शादी में जिले के डीसी, एसपी सहित कई अधिकारी शामिल हुए और वर वधू को आशीर्वाद दिया।

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marriage (सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)

लिव इन में रहने को होते हैं मजबूर

दरअसल, सुदूर बीहड़ों में अति पिछड़े समाज के लोग गरीबी के चलते शादी समारोह कर लोगों को खाना पीना नहीं खिला पाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि यहां पर लोग शादी तो कर लेते हैं, लेकिन जब प्रेमी जोड़े समाज में लोगों को शादी भोज खिलाने में असमर्थ रहते हैं तो उन्हें बिना शादी के ही लिव इन में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

छीन लिए जाते हैं कई अधिकार

इस वजह से इन्हें समाज में ढुकू के नाम से बुलाया जाता है। इनसे सामाजिक समारोह में शामिल होने तक का अधिकार छीन लिया जाता है और लोगों के ताने भी सुनने पड़ते हैं। इसके अलावा इन लोगों को सरकारी स्तर पर विधवा पेंशन, आधार कार्ड, राशन कार्ड बनाने में भी कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में संस्था ने इनकी जिंदगी बसाने के लिए इन लोगों से संपर्क कर सामूहिक विवाह का आयोजन किया।

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