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कोरोना से जीतता झारखंड: रिकवरी रेट 92 प्रतिशत, तेजी से सुधर रहे हालात

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार को कोरोना महामारी से जूझना पड़ा। सरकार इससे पहले की संभल पाती कोविड-19 से लोगों को बचाने में जुट गई।

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Published on: 19 Oct 2020 3:12 PM IST
कोरोना से जीतता झारखंड: रिकवरी रेट 92 प्रतिशत, तेजी से सुधर रहे हालात
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कोरोना से जंग जीतता झारखंड: रिकवरी रेट 92 प्रतिशत जो राष्ट्रीय, औसत से काफ़ी ज्यादा (Photo by social media)

रांची: झारखंड में 18 अक्टूबर 2020 तक कोविड-19 के मरीज़ों की संख्या 96 हज़ार 352 है। जबकि, कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों की तादाद 89 हज़ार 11 है। महामारी से राज्यभर में 839 संक्रमितों की जान गई है। राज्य में रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा 92 प्रतिशत है। मृत्यु दर की बात करें तो झारखंड में यह आंकड़ा 0.87 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से आधी है। कोरोना जांच की बात करें तो इस मामले में झारखंड विकसित राज्यों जैसे हरियाणा, मध्यप्रदेश और पंजाब से भी आगे है। प्रति लाख जांच के मामले में झारखंड देश के 08 अग्रणी राज्यों में शामिल है। इन आंकड़ों से साफ है कि, प्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण की कोशिशें काम करने लगी हैं।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जताया आभार

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार को कोरोना महामारी से जूझना पड़ा। सरकार इससे पहले की संभल पाती कोविड-19 से लोगों को बचाने में

जुट गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहते हैं कि, झारखंड ने बेहद कम संसाधनों के साथ कोरोना से लड़ना शुरू किया और आज इसमें सफलता मिलती दिख रही है।

कोरोना से रिकवरी रेट का मामला हो या फिर मृत्यु दर में राष्ट्रीय औसत से कमी की बात हो सरकार ने इसका श्रेय राज्य की जनता को दिया है। अपने ट्वीटर हैंडल से मुख्यमंत्री ने लिखा है कि, कोरोना से जंग जीतने में राज्य की जनता का भरपूर सहयोग मिला है। मौकापरस्त राजनीतिक पार्टियों को दरकिनार कर सूबे की जनता ने देश के सामने एक मिसाल पेश की है। आगे लिखते हैं कि, जनता को कोविड-19 से बचाने के लिए सरकार को सख्त फैसले भी लेने पड़े। हालांकि, अभी ख़तरा टला नहीं है। त्योहार के इस मौसम में मास्क पहनना और एक दूसरे से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना बेहद ज़रूरी है।

CORONA REPORT CORONA REPORT (Photo by social media)

कोरोना जांच की दर में कमी

झारखंड में शुरुआती दिनों में नीजि अस्पतालों में जांच कराने पर 4500 रुपए देने पड़ते थे। हालांकि, विभिन्न संगठनों द्वारा जांच दर को लेकर सवाल उठाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इसे घटाकर 2400 रुपए कर दिया। सरकारी अस्पतालों में बढ़ती भीड़ को देखते हुए राज्य सरकार ने दर को घटाते हुए इसे 1500 रुपए कर दिया है। ऐसे में लोगों ने बड़ी संख्या में प्राइवेट जांच घरों में कोविड टेस्ट कराना शुरू किया। इससे जहां रिम्स समेत अन्य अस्पतालों में बोझ घटा वहीं कोरोना जांच में तेज़ी आई और संक्रमितों की पहचान जल्द हुई।

सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा

कोरोना महामारी से लड़ने में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था ने अहम भूमिका निभाई है। शुरुआती दिनों में प्राइवेट अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए थे। सरकारी दबाव में जब निजी अस्पतालों ने जांच शुरू भी किया तो कीमत अधिक रखने और बेड की संख्या सीमित रखने की वजह से लोग दूर रहे। इसका ख़ामियाज़ा सरकारी अस्पतालों को उठाना पड़ा और भीड़ बढ़ती गई। रिम्स समेत अन्य सरकारी अस्पतालों ने इस दौरान पूरी क्षमता के साथ कोरोना संक्रमितों की जांच और इलाज शुरू किया। सरकार ने भी अपनी व्यवस्था पर पूरा भरोसा जताया।

ranchi-hospital ranchi-hospital (Photo by social media)

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लॉकडॉन के नियमों में ढील

सरकार इस बात को मानती है कि, कोविड-19 का ख़तरा कम ज़रूर हुआ लेकिन अभी टला नहीं है। लिहाज़ा, सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। अभी हाल ही में लॉकडॉन के नियमों में रियायत देते हुए धार्मिक स्थल, अंतर ज़िला बस, सीमित संख्या में ट्रेनों का परिचालन और सीमित व्यापारिक गतिविधियों की इजाज़त दी गई है। त्योहार का मौसम होने की वजह से बाज़ारों में भीड़ बढ़ी है। लिहाज़ा, इसके साथ ही ख़तरा भी बढ़ा है। इसके लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन ज़रूरी क़रार दिया गया है। इतना ही नहीं मास्क नहीं पहनने पर आर्थिक जुर्माना का भी प्रावधान है।

शाहनवाज़

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