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JNU हिंसा में नाम आने पर बोलीं आइशी घोष, दिल्ली पुलिस से नहीं डरती
जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि मुझे इस देश की कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है कि जांच निष्पक्ष होगी। मुझे न्याय मिलेगा, लेकिन दिल्ली पुलिस पक्षपात क्यों कर रही है? मेरी शिकायत एफआईआर के रूप में दर्ज नहीं की गई है। मैंने कोई मारपीट नहीं की है।
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को बड़ा खुलासा किया है। दिल्ली पुलिस ने नकाबपोशों की तस्वीरें जारी की हैं और हिंसा में शामिल 10 लोगों के नाम उजागर किए हैं। इसमें जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष समेत 9 छात्र शामिल हैं। अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि दिल्ली पुलिस अपनी जांच कर सकती है। मेरे पास यह दिखाने के लिए सबूत भी हैं कि मुझ पर कैसे हमला हुआ।
जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि मुझे इस देश की कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है कि जांच निष्पक्ष होगी। मुझे न्याय मिलेगा, लेकिन दिल्ली पुलिस पक्षपात क्यों कर रही है? मेरी शिकायत एफआईआर के रूप में दर्ज नहीं की गई है। मैंने कोई मारपीट नहीं की है।
लेफ्ट समर्थक छात्रा ने कहा कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। हम दिल्ली पुलिस से नहीं डरते। हम कानूनी तरीके से लड़ेंगे और अपने आंदोलन को शांति और लोकतांत्रिक तरीके से आगे ले जाएंगे।
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आइशी घोष ने यह स्वीकार किया है कि वह उस वीडियो में थीं जो सोशल मीडिया पर चल रहा है, लेकिन वह हिंसा में शामिल नहीं थी। उन्होंने आगे कहा कि कुछ वीडियो में मैं दिखी तो मुझे सस्पेक्ट बना दिया और मुझपर जानलेवा हमला हुआ तो उसपर विचार नहीं किया जा रहा। क्या परिसर के अंदर घूमना गुनाह है?'
उन्होंने कहा कि किसी के कहने से मैं सस्पेक्ट नहीं हो जाती। क्या मेरे हाथ में रॉड था और क्या मैंने मास्क लगा रखा था?' उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस अपनी जांच करे। मेरे पास भी सबूत है कि मुझपर किस तरह हमला किया गया।
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे से मिलने के बाद जेएनयूएसयू अध्यक्ष ने कहा कि हमें आश्वासन मिला है कि इस मामले में मानव संसाधन मंत्रालय सकारात्मक हस्तक्षेप करेगा और जल्द ही इस मुद्दे पर एक परिपत्र जारी किया जाएगा।
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छात्रसंघ की अध्यक्ष ने कहा कि हमने एमएचआरडी से मांग की है कि जेएनयू के कुलपति को तत्काल उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह विश्वविद्यालय नहीं चला पा रहे हैं। हमें एक नए कुलपति की जरूरत है जो नए सिरे से मदद कर सकें और कैंपस में सामान्य स्थिति लाने में मदद कर सकें।