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ये हैं भारत में रेप के सबसे बड़े अपराधी! फांसी के लिए जारी हो सकता है ब्लैक वारंट

गैंगरेप के चारों दोषी तिहाड़ जेल में बंद हैं और चारों दोषियों को तिहाड़ जेल प्रशासन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के लिए सात दिनों का वक्त दिया है। इस नोटिस की अवधि 4 नवंबर को खत्म हो जाएगी। अगर दोषी दया याचिका दाखिल नहीं करते हैं तो जेल प्रशासन निचली अदालत को सूचित करके सभी की फांसी के लिए ब्लैक वारंट लेने की कार्रवाई शुरू कर देगा।

SK Gautam
Published on: 31 Oct 2019 3:52 PM IST
ये हैं भारत में रेप के सबसे बड़े अपराधी! फांसी के लिए जारी हो सकता है ब्लैक वारंट
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नई दिल्ली: सोलह दिसंबर 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली के लिए बहुत ही शर्मनाक रात थी। यह एक ऐसा कांड जो केवल भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को हिला कर रख दिया था। उस रात लड़की के साथ हुए दुष्कर्म को निर्भया गैंगरेप से जाना जाता है।

बात दें इस गैंगरेप के चारों दोषी तिहाड़ जेल में बंद हैं और चारों दोषियों को तिहाड़ जेल प्रशासन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के लिए सात दिनों का वक्त दिया है। इस नोटिस की अवधि 4 नवंबर को खत्म हो जाएगी। अगर दोषी दया याचिका दाखिल नहीं करते हैं तो जेल प्रशासन निचली अदालत को सूचित करके सभी की फांसी के लिए ब्लैक वारंट लेने की कार्रवाई शुरू कर देगा।

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नोटिस में कही गयी है ये बात

जेल प्रशासन की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि अगर इन चारों आरोपियों को अपनी फांसी की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करनी है तो 7 दिनों के भीतर कर दें, नहीं तो तिहाड़ जेल प्रशासन इस बारे में निचली कोर्ट को सूचित करेगा और फांसी के लिए ब्लैक वारंट लेने की कार्रवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर रोक लगाने से किया था इंकार

बता दें कि निर्भया गैंगरेप के कुल 6 दोषी थे। इनमें से एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जबकि दूसरे दोषी को नाबालिग होने के चलते जुवेनाईल कोर्ट से तीन साल की सजा हुई थी। बाकी के चार आरोपी अभी तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे हैं।

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चौथा आरोपी पवन मंडोली जेल के हाई सिक्योरिटी वार्ड में

चारों दोषियों में से अक्षय और मुकेश जेल नंबर दो में जबकि निनय कुमार जेल नंबर चार में बंद हैं। वहीं चौथा आरोपी पवन मंडोली जेल के हाई सिक्योरिटी वार्ड में बंद है। इन चारों की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था। पिछले एक साल के दौरान इन चारों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल नहीं की थी।

जेल सूत्रों के मुताबिक, जेल प्रशासन ने जब इनसे पूछा कि उन्होंने दया याचिका क्यों नहीं लगाई? तो उन्होंने कहा कि हम ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं। हमें नहीं पता है कि क्या कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। सूत्रों ने बताया इन चारों को तिहाड़ जेल अधीक्षक की तरफ से हिंदी और अंग्रेजी में नोटिस दिया गया है। साथ ही उन्हें नोटिस पढ़कर सुनाया भी गया है। इसके साथ ही इनसे उन्हें नोटिस तामील किए जाने की रिसिविंग भी ली गई है।

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दया याचिका को लेकर ये हैं नियम

नियमों के मुताबिक, फांसी की सजा की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लगाई जा सकती है और राष्ट्रपति दया याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से राय लेते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय इस बाबत अपनी राय लिखित में राष्ट्रपति भवन को देता है और यदि केंद्रीय गृह मंत्रालय अपनी राय में यह जाहिर करता है कि सजा पाया गया व्यक्ति फांसी पर चढ़ाने योग्य है तो राष्ट्रपति दया याचिका ठुकरा सकते हैं। फिलहाल इन चारों को अपनी दया याचिका राष्ट्रपति के सामने लगानी है।

अगर ये चारों राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल करते हैं तो इनकी जिंदगी तब तक के लिए और बढ़ जाएगी, जब तक राष्ट्रपति उस पर अपना कोई अंतिम निर्णय नहीं ले लेते और अगर चारों दया याचिका राष्ट्रपति के सामने नहीं लगाते हैं तो तिहाड़ जेल प्रशासन अपनी अगली कार्रवाई यानी फांसी दिए जाने वाला ब्लैक वारंट लेने के लिए कोर्ट को एप्रोच करेगा।

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16 दिसंबर 2012 को हुआ था यह कांड

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 में इन 6 दोषियों ने रात में एक प्राइवेट बस में निर्भया के साथ बर्बर्ता से गैंगरेप किया था और उसे जान से मारने की कोशिश की थी। इस बस में निर्भया के दोस्त को भी इन लोगों ने बहुत मारा था। दोषियों ने दोनों को सड़क पर फेंक दिया था। बाद में निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर तक ले जाया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। इस घटना के बाद पूरे देश में लोग सड़कों पर उतर आए थे।



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