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Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: गहलोत और सचिन पायलट में सुलह के रास्ते की तलाश, कमलनाथ निभा सकते हैं मध्यस्थ की भूमिका
Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह के रास्ते तलाश रहा है ताकि राजस्थान को पंजाब जैसी स्थिति से बचाया जा सके।
Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दो दिग्गजों के बीच शुरू हुई लड़ाई पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अनशन के बाद राज्य में पैदा हुए गंभीर संकट को सुलझाने के लिए उच्च स्तर पर गहराई से मंथन किया जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह के रास्ते तलाश रहा है ताकि राजस्थान को पंजाब जैसी स्थिति से बचाया जा सके। पंजाब में कांग्रेस नेताओं की आपसी लड़ाई के कारण पार्टी को शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा था।
राजस्थान में कांग्रेस के दो दिग्गजों के इस लड़ाई में अब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ की भी एंट्री हुई है। सूत्रों के मुताबिक दोनों दिग्गजों के बीच पैदा हुए मतभेद को सुलझाने की दिशा में कमलनाथ मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं।
कमलनाथ की वेणुगोपाल और पायलट से चर्चा
कमलनाथ ने गुरुवार को दिल्ली में पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात करके राजस्थान संकट पर चर्चा की थी। बाद में उनकी सचिन पायलट से भी मुलाकात हुई। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट ने राजस्थान में अपनी शिकायतों के संबंध में कमलनाथ को विस्तृत जानकारी दी है। वेणुगोपाल के साथ बैठक के दौरान कमलनाथ ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेदों को सुलझाने के उपायों पर भी चर्चा की।
माना जा रहा है कि वे आगे चलकर मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए इस संकट को सुलझाने की कोशिश करेंगे। जानकार सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने पिछले कुछ दिनों में कुछ बैठकें की हैं और वे दोनों नेताओं को शांत करने और समाधान का रास्ता खोजने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वे ऐसे फार्मूले की तलाश में हैं ताकि दोनों नेताओं के बीच आगे किसी भी प्रकार का संकट न पैदा हो सके।
पार्टी नेताओं का आपसी झगड़ा बना चुनौती
राजस्थान में इन दिनों कांग्रेस भाजपा की चुनौतियों से लड़ने की जगह पार्टी में पैदा हुए आंतरिक संकट से ही जूझ रही है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ही पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। वे राजस्थान में वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मांग पर अड़े हुए हैं। इस मांग को लेकर उन्होंने पिछले दिनों जयपुर में अनशन भी किया था।
उनका कहना है कि पार्टी ने राजस्थान के लोगों से इस संबंध में वादा किया था मगर इस वादे को पूरा नहीं किया गया। इस मांग के जरिए पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर ही निशाना साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस में चल रहे इस आंतरिक संघर्ष से पार्टी असहज स्थिति में दिख रही है। दूसरी और भाजपा कांग्रेस में चल रहे इस आंतरिक संघर्ष का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुटी हुई है।
दोनों नेताओं में सुलह के रास्ते की तलाश
राजस्थान में पैदा हुए इस संकट में हाईकमान का समर्थन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ दिख रहा है। पार्टी के कई नेताओं ने अपने बयानों में गहलोत सरकार की उपलब्धियों को ऐतिहासिक बताया है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सचिन पायलट की ओर से किए गए अनशन को पार्टी विरोधी कदम बताया था। उनके रुख से साफ है कि वे इस मामले में पायलट के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं।
दूसरी ओर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का अलग ही नजरिया है। खड़गे बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वे चाहते हैं कि दोनों नेताओं के बीच सुलह का रास्ता तलाशा जाए ताकि राजस्थान में पार्टी को सियासी नुकसान न उठाना पड़े। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पार्टी की ओर से कुछ ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं ताकि सचिन पायलट का गुस्सा शांत हो सके और पार्टी अशोक गहलोत की अगुवाई में पूरी मजबूती के साथ चुनावी अखाड़े में उतर सके।