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कारगिल विशेषः परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे को शत शत नमन

वो योद्धा जो परमवीर चक्र जीतना चहता था उसकी हसरत पूरी हुयी।1997 में जब लेफ़्टिनेंट मनोज कुमार पांडे 1/11 गोरखा राइफ़ल के हिस्सा बने तो उनके दिल में सिर्फ एक ही हसरत परमवीर चक्र जीतने की थी।

Anoop Ojha
Published on: 25 July 2019 5:34 PM GMT
कारगिल विशेषः परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे को शत शत नमन
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लखनऊ : वो योद्धा जो परमवीर चक्र जीतना चहता था उसकी हसरत पूरी हुयी।1997 में जब लेफ़्टिनेंट मनोज कुमार पांडे 1/11 गोरखा राइफ़ल के हिस्सा बने तो उनके दिल में सिर्फ एक ही हसरत परमवीर चक्र जीतने की थी। देश के लिए कुर्बान होने की चाहत ने कैप्टन मनोज पांडे को अमर कर दिया।

कारगिल की जंग को भारतीय सरजमीं पर लड़े गए सबसे खूनी मुकाबलों में से एक माना जाता है। इस युद्ध में भारत के सैकड़ों बहादुर सैनिकों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। इनमें अनुज नायर, विक्रम बत्रा और कैप्टन मनोज पांडे जैसे वीर सिपाही भी शामिल थे। इन सिपाहियों ने गोलियां लगने के बावजूद घुसपैठियों को कड़ी टक्कर दी और हर उस मोर्चे पर फतेह हासिल की जो सिर्फ उनके देश का था।

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यूपी के सीतापुर के कमलापुर में 25 जून 1975 को कैप्टन मनोज पांडेय का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम गोपी चंद्र पांडे था। मां ने बचपन में वीरों की कहानियां सुनाकर कैप्टन मनोज पांडेय की बुनियाद एक सच्चे योद्धा के रूप में विकसित कर दिया था।

मनोज की शिक्षा लखनऊ के सैनिक स्कूल में हुई। यहीं से उन्होंने अनुशासन और देशप्रेम का पाठ सीखा। इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनोज ने प्रतियोगी परीक्षा पास करके पुणे के पास खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिला लिया था।

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सेवा चयन बोर्ड ने उनके इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा था,”आप सेना में क्यों शामिल होना चाहते हैं? मनोज ने कहा,”मैं परमवीर चक्र जीतना चाहता हूं।” मनोज पांडेय को न सिर्फ सेना में भर्ती किया गया बल्कि 1/11 गोरखा रायफल में भी कमिशन दिया गया था। इंटरव्यू में कहे हुए उनके शब्द सच साबित हुए। उन्हें कारगिल युद्ध में अपनी वीरता को साबित करने के लिए भारत के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कारगिल युद्ध भारत के लिए बेहद तनाव भरी स्थिति थी। सभी सैनिकों की आधिकारिक छुट्टियां रद कर दी गईं ​थीं। महज 24 साल के कैप्टन मनोज पांडेय को आॅपरेशन विजय के दौरान जुबर टॉप पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। हाड़ कंपाने वाली ठंड और थका देने वाले युद्ध के बावजूद कैप्टन मनोज कुमार पांडेय की हिम्मत ने जवाब नहीं दिया।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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