Karnataka Election 2023: कांग्रेस दिग्गज शिवकुमार को घेरने की कोशिश,कनकपुरा में तीन वोक्कालिंगा प्रत्याशियों में दिलचस्प

Karnataka Election 2023: कनकपुरा विधानसभा सीट पर शिवकुमार की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। 2008 से वे लगातार इस विधानसभा सीट पर जीत हासिल करते रहे हैं। अब भाजपा के लिए चुनौती बन रहे।

Anshuman Tiwari
Published on: 7 May 2023 12:03 PM GMT
Karnataka Election 2023: कांग्रेस दिग्गज शिवकुमार को घेरने की कोशिश,कनकपुरा में तीन वोक्कालिंगा प्रत्याशियों में दिलचस्प
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कांग्रेस नेता शिवकुमार (फोटो- सोशल मीडिया)

Karnataka Election 2023: कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। राज्य की जिन विधानसभा सीटों पर सबकी निगाहें लगी हैं, उनमें कनकपुरा सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जा रही है। इस विधानसभा सीट को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। कांग्रेस की सरकार बनने पर शिवकुमार सीएम पद के बड़े दावेदार भी माने जा रहे हैं।

सात बार विधानसभा चुनाव जीत चुके शिवकुमार 2008 से कनकपुरा सीट पर तीन बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में वोक्कालिंगा समुदाय के मतदाता निर्णायक स्थिति में है और शिवकुमार को वोक्कालिंगा समुदाय का दिग्गज माना जाता रहा है। मजे की बात यह है कि शिवकुमार की मजबूत घेरेबंदी के लिए भाजपा और जनता दल(एस) ने भी वोक्कालिंगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दिग्गजों को सियासी अखाड़े में उतार दिया है। इस कारण कनकपुरा में इस बार तीन वोक्कालिंगा प्रत्याशियों के बीच दिलचस्प जंग देखने को मिल रही है।

शिवकुमार का गढ़ मानी जाती है कनकपुरा सीट

कर्नाटक की सियासत में शिवकुमार को कद्दावर नेता माना जाता रहा है। राज्य में उन्हें कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता रहा है। यदि कांग्रेस चुनाव जीतने में कामयाब रही तो उन्हें सिद्धारमैया के साथ मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा है। कनकपुरा विधानसभा सीट पर शिवकुमार की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। 2008 से वे लगातार इस विधानसभा सीट पर जीत हासिल करते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तो उन्होंने करीब 80,000 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्होंने जनता दल सेक्युलर के उम्मीदवार नारायण गौड़ा को करारी शिकस्त दी थी।

2013 के विधानसभा चुनाव में शिवकुमार ने कनकपुरा सीट पर जनता दल (एस) के उम्मीदवार पीजीआर सिंधिया को 31,424 वोटों से हराया था। 2008 में भी शिवकुमार जनता दल (एस) उम्मीदवार को हराने में कामयाब रहे थे। 2008 में उन्होंने जनता दल (एस) के डीएम विश्वनाथ को 7,179 मतों से हराया था। शिवकुमार के सामने भाजपा 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कोई चुनौती नहीं पेश कर चुकी थी। 2018 में भाजपा के उम्मीदवार नंदिनी गौड़ा को सिर्फ 6273 वोट हासिल हुए थे। 2013 में तो भाजपा उम्मीदवार की हालत और पतली थी क्योंकि उस चुनाव में भाजपा को सिर्फ 1807 वोट हासिल हुए थे।

भाजपा ने इस सियासी दिग्गज को उतारा

वैसे इस बार कनकपुरा विधानसभा सीट की सियासी तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है। भाजपा ने शिवकुमार की तगड़ी घेरेबंदी के लिए इस बार मजबूत उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा है। कर्नाटक सरकार में मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता आर अशोक इस बार कनकपुरा में शिवकुमार का मुकाबला करने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।
अशोक को वोक्कालिंगा समुदाय का मजबूत नेता माना जाता रहा है और उन्हें चुनावी जंग में उतारकर भाजपा शिवकुमार को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है। अशोक का कहना है कि वे पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर कनकपुरा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मकसद भाजपा के जनाधार को और मजबूत करने के साथ ही इस बार इस सीट पर जीत हासिल करने का है।

भाजपा के सामने होगी बड़ी चुनौती

अशोक ने कहा कि मुझसे इस सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा के संबंध में कोई पूछताछ नहीं की गई। पार्टी ने सीधे मुझे चुनाव क्षेत्र से लड़ने का निर्देश दिया है और अब मैं शिवकुमार का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां पर भाजपा की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं थी और इसलिए पूरी मजबूती से चुनाव लड़ना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

जद एस से भी वोक्कालिंगा प्रत्याशी मैदान में

कनकपुरा विधानसभा सीट पर डीके शिवकुमार और आर अशोक के अलावा जनता दल एस के बी नागराजू भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं। मजे की बात यह है कि नागराजू भी वोक्कालिंगा समुदाय से जुड़े हुए हैं। इस तरह कनकपुरा विधानसभा सीट पर तीन वोक्कालिंगा उम्मीदवारों के बीच दिलचस्प जंग हो रही है। भाजपा की ओर से शिवकुमार का किला भेदने के लिए इस बार पूरी ताकत लगाई गई है। अब यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा को इस काम में कहां तक कामयाबी मिल पाती है।

भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला

इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। दक्षिण भारत में कर्नाटक अकेला ऐसा राज्य है जहां मौजूदा समय में भाजपा की सत्ता है। पार्टी इस बार के चुनाव में जीत हासिल करके दक्षिण भारत में अपने आधार को और मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी भाजपा के खिलाफ पूरा दम लगा रखा है। राज्य में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे 13 मई को घोषित किए जाएंगे। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि आखिरकार कौन सा दल राज्य में सियासी जीत हासिल करने में कामयाब होता है।

Anshuman Tiwari

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