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कोविद केयर फंड में बड़ा घोटाला! सरकार के पैसों का ऐसे हो रहा गलत इस्तेमाल
कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगा कि उन्होंने N95 मास्क की खरीद के लिए 147 रुपये चुकाए, जबकि इसी मास्क को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 295 रुपये में खरीदा है।
बेंगलुरु: कोरोना वायरस से भारत की अर्थव्यवस्था डगमाई हुई है। संक्रमितों का आकड़ा तो कम नहीं हो रहा लेकिन कोरोना संकट के लड़ने के लिए बनाये गए कोविड केयर फंड में घोटाले की चर्चा जरूर होने लगी है।मामला कर्नाटक का है, जहां राज्य के कोविड केयर फंड में बड़े घोटाले के आरोप लगे हैं। कहा जा रहा है कि फंड से जिन कोरोना उपकरणों की खरीद फरोख्त हुई, उसमें निर्धारित मूल्यों से अलग भुगतान किया गया। हालाँकि मामला चर्चा में आने के बाद इसकी जांच के आदेश दिए गए है।
कर्नाटक कोविड केयर फंड में घोटाले का आरोप
दरअसल, कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगा कि उन्होंने N95 मास्क की खरीद के लिए 147 रुपये चुकाए, जबकि इसी मास्क को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 295 रुपये में खरीदा है। इसके अलावा एक विभाग के लिए मल्टी-पैरामीटर मॉनिटर 1.67 लाख रुपये में खरीदे गए हैं, जबकी स्वास्थ्य विभाग की रसीद में 5.37 लाख रुपये की लागत दिखाई गयी। इन सामानों का भुगतान कोविड केयर फंड से किया जाना है।
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कांग्रेस विधायक के नेतृत्व में लोक लेखा समिति का गठन
मामला संज्ञान में आने के बाद कांग्रेस विधायक एचके पाटिल के नेतृत्व में विधानमंडल की लोक लेखा समिति (PAC) राज्य में पिछले कुछ महीनों में की गई ऐसी सभी खरीद की जांच करना चाहती है। इस समिति में 20 सदस्य है, जो कि सभी दलों के विधायक हैं। इनमे पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार, एचडी रेवन्ना और जनता दल (सेकुलर) के टीए शरवाना, भाजपा के मुरुगेश निरानी और उमेश कट्टी शामिल हैं।
PAC करना चाहती है मामले की जाँच
समिति अस्पतालों का निरीक्षण करने के साथ टेस्टिंग किट और वेंटिलेटर सहित अन्य कोरोना उपकरणों की गुणवत्ता आदि की पुष्टि जांच करना चाहती है। हालंकि जांच आगे न बढ़ पाने के कारण पाटिल ने इस बारे में विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागीरी से बात करने को कहा है। पाटिक ने कहा कि स्पीकर से बात करने मामले को सुलझाया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरोपों के मुताबिक, बहुत सारी गड़बड़ियां हैं। इन गड़बड़ियों की जांच के लिए साइट का दौरा और उपकरणों की गुणवत्ता को देखना चाहते हैं
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