टूलकिट पर सनसनीगेज खुलासा: अब सामने आए ये नाम, 26 जनवरी से जुड़ा मामला

हिंसा के पर खालिस्तान के बाद अब नए खुलासे हो रहे हैं। दिल्ली ट्रैक्टर रैली हिंसा के तार ट्विटर, टूलकिट से लेकर टेलीग्राम से होते हुए खालिस्तान तक तो पहुंच ही चुके हैं ऐेसे में अब पाकिस्तान मतलब आईएसआई से गठजोड़ आती दिख रही है। इस बारे में दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है।

Vidushi Mishra
Published on: 17 Feb 2021 5:48 AM GMT
टूलकिट पर सनसनीगेज खुलासा: अब सामने आए ये नाम, 26 जनवरी से जुड़ा मामला
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टूलकिट किसी मुद्दे को समझाने के लिए तैयार किया गया एक डॉक्युमेंट होता है। इसमें किसी भी थ्योरी को प्रैक्टिकल के रूप में समझाने के लिए बनाया जाता है।

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के बीच हुई हिंसा के पर खालिस्तान के बाद अब नए खुलासे हो रहे हैं। दिल्ली ट्रैक्टर रैली हिंसा के तार ट्विटर, टूलकिट से लेकर टेलीग्राम से होते हुए खालिस्तान तक तो पहुंच ही चुके हैं ऐेसे में अब पाकिस्तान मतलब आईएसआई से गठजोड़ आती दिख रही है। इस बारे में दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है। हिंसा के मामले में ग्रेटा थनबर्ग के बाद एमओ धालीवाल, दिशा रवि, निकिता जैकब और शातंनु का नाम सामने आया है।

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दिल्ली हिंसा टूटकिट

राजधानी में हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने भजन सिंह और पीटर फ्रेडरिक के शामिल होने की बात कह रही है। पर ये टूलकिट क्या होता है? और ये सब लोग कौन हैं जिनका 26 जनवरी की हिंसा से उनका कनेक्शन क्यों जुड़ रहा है? चलिए देखते ही क्या और कैसे हुआ।

इस पूरी साजिश की शुरूआत 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की हिंसा से हुई। इस दिन किसान दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाल रहे थे। तभी कुछ उपद्रवियों ने दिल्ली में हिंसा भड़काई और लाल किले पर तिरंगे का अपमान किया।

जिसके चलते इस मामले में अब तक दीप सिद्धू को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि आरोपी गैंगस्टर लक्खा सिधाना की तलाश जारी है। हालाकिं उस पर एक लाख का इनाम घोषित किया गया है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच के दौरान टूलकिट का जिक्र किया।

टूलकिट क्या होता है?

KHALISTAN फोटो-सोशल मीडिया

इस किस्से में दिल्ली पुलिस ने पहली बार टूलकिट का नाम लिया, तो देश की आम जनता को समझ ही नहीं आया कि क्या होता है ये टूलकिट? और इसका किसानों के आंदोलन से क्या लेना-देना है।

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तो टूलकिट किसी मुद्दे को समझाने के लिए तैयार किया गया एक डॉक्युमेंट होता है। इसमें किसी भी थ्योरी को प्रैक्टिकल के रूप में समझाने के लिए बनाया जाता है। और आसान भाषा में समझें तो आप किसी कार्यक्रम को शुरू करने या उसका दायरा बढ़ाने के लिए कुछ एक्शन पॉइंट्स बनाते हैं तो इसे डिजिटल भाषा में टूलकिट ही कहा जाता है।

इसमें आंदोलन जैसे मामलों में इसी टूलकिट को उन लोगों के साथ साझा किया जाता है, जिनकी मौजूदगी से आंदोलन का असर बढ़ाया जा सकता है। किसान आंदोलन को उग्र करने के पीछे ऐसे ही एक टूलकिट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

अब सवाल यह है कि टूलकिट कैसे तैयार होता है? दरअसल, टूलकिट को किसी रैली, हड़ताल या आंदोलन के दौरान दीवारों पर लगाए जाने वाले पोस्टर का डिजिटल वर्जन कह सकते हैं। इसमें सोशल मीडिया पर इस्तेमाल होने वाले हैशटैग का जिक्र किया जाता है। साथ ही, यह भी बताया जाता है कि किस दिन और किस वक्त किस तरह के ट्वीट्स या पोस्ट करने से आंदोलन को फायदा पहुंच सकता है।

सामग्री और खबरों आदि की जानकारी

टूलकिट में आंदोलनकारियों को कैंपेन से जुड़ी सामग्री और खबरों आदि की जानकारी भी दी जा सकती है। साथ ही, प्रदर्शन करने का तरीका भी बताया जा सकता है। दिल्ली पुलिस का दावा है कि जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गूगल डॉक्युमेंट के जरिए टूलकिट शेयर किया था।

ऐसे में दिल्ली पुलिस के अनुसार, टूलकिट मामले में शांतनु दूसरी अहम कड़ी है। महाराष्ट्र के बीड निवासी शांतनु इंजीनियर है और निकिता जैकब व दिशा का सहयोगी है। वह निकिता के साथ एनजीओ एक्सआर से भी जुड़ा हुआ है।

वहीं दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के जॉइंट कमिश्नर प्रेम नाथ के अनुसार, शांतनु ने एक ईमेल अकाउंट बनाया, जो टूलकिट वाले गूगल डॉक्युमेंट का ओनर है। और शांतनु ने ये टूलकिट दिशा, निकिता और अन्य लोगों के साथ शेयर किया था।

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Vidushi Mishra

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