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12 पॉइंट्स में जानिए उनके बारे में जो 'गोरे बच्चों' को उतार देते हैं मौत के घाट

अंडमान आइलैंड में रहने वाली जारवा जनजाति काफी रहस्यमय है। ये बाहरी दुनिया का दखल बर्दाश्त नहीं करते। कोई अनाधिकृत रूप से इनके इलाके में दखल देता है तो ये उसकी जान ले लेते हैं। आज हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं कि कैसा है इनका जीवन...

Rishi
Published on: 2 May 2019 3:28 PM GMT
12 पॉइंट्स में जानिए उनके बारे में जो गोरे बच्चों को उतार देते हैं मौत के घाट
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लखनऊ : अंडमान आइलैंड में रहने वाली जारवा जनजाति काफी रहस्यमय है। ये बाहरी दुनिया का दखल बर्दाश्त नहीं करते। कोई अनाधिकृत रूप से इनके इलाके में दखल देता है तो ये उसकी जान ले लेते हैं। आज हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं कि कैसा है इनका जीवन...

जारवा जनजाति सुअर का मांस बेहद पसंद करती है।

वर्तमान में इनकी आबादी 250 से 400 लगभग है।

1990 तक किसी को पता ही नहीं था कि ये यहां रहते भी हैं। 1998 में पहली बार बिना धनुष-बाण के अपने इलाके से बाहर आए।

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रिसर्चों में इन्हें विश्व की सबसे पुरानी जनजातियों में माना जाता है।

इन्हें अनुसूचित जनजाति श्रेणी में रखा गया हैं।

पुरुष शिकार करते हैं। महिला घर का काम देखती हैं।

1990 में स्थानीय सरकार ने घर बनाकर दिए लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।

महिला-पुरुष नग्न रहते हैं। कभी कभी आभूषण पहनते हैं।

विधुर व विधवा विवाह सामान्य है।

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जारवा आदिवासी गहरे काले और कद में छोटे होते हैं। नवजात बच्चे का रंग थोड़ा भी गोरा हो तो ये मानते हैं कि पिता दूसरे समुदाय का है, और बच्चे की हत्या कर देते हैं।

पुलिस को इसमें दखल न देने का आदेश है।

इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा बताई जाती है।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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