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पीओके का बड़ा राज: भारत क्या पाकिस्तान भी नही जानता होगा इस सच्चाई को

भारत के नए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा, पीओके सहित पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का है। संसद अगर आदेश दे तो सेना पीओके पर भी हम कंट्रोल करने के लिए..

Deepak Raj
Published on: 14 Jan 2020 12:54 PM GMT
पीओके का बड़ा राज: भारत क्या पाकिस्तान भी नही जानता होगा इस सच्चाई को
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नई दिल्ली। भारत के नए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा, पीओके सहित पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का है। संसद अगर आदेश दे तो सेना पीओके पर भी हम कंट्रोल करने के लिए तैयार हैं।" जब से भारत की संसद ने आर्टिकल 370 को खत्म करने का प्रस्ताव पास किया है तब से इस बात की बहस तेज हो गई है कि पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) को भी भारत में मिलाया जाएगा।

पीओके पर पाकिस्तान कब्जा जमा रखा है

दरअसल, पीओके वो हिस्सा है जिस पर पाकिस्तान का कब्जा है। पीओके के इतिहास को समझने के लिए आजादी वर्ष यानी 1947 की ओर चलना पड़ेगा। आजादी से पहले भारत लगभग 565 छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा हुआ था। जब ये मुल्क आजाद हुआ तो अंग्रेजों ने यहां की रियासतों को अपनी इच्छानुसार भारत-पाकिस्तान दोनों में से कोई भी मुल्क चुनने की आजादी दी।

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इस विकल्प के बाद 500 से ज्यादा रियासतों ने भारत में अपना विलय कर लिया। कुछ रियासतों का विलय कराने के लिए खासी मशक्कत भी करनी पड़ी। उन रियासतों में हैदराबाद, भोपाल और जम्मू कश्मीर रियासतें अहम थीं।

पकिस्तान ने कश्मीर को अपने कब्जे में करने के लिए बोल दिया था

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1935 में ब्रिटेन ने इस हिस्से को गिलगित एजेंसी को 60 साल के लिए लीज पर दिया था, लेकिन इस लीज को एक अगस्त 1947 को रद्द करके क्षेत्र को जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया गया।

जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने विलय के लिए पाकिस्तान की जगह भारत को चुना। यह बात पाकिस्तान को नागवार गुजरी। उसने कश्मीर को अपने कब्जे में करने के लिए वहां हमला बोल दिया।

हरि सिंह ने रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दे दी थी

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गिलगित-बाल्टिस्तान मिलने के बाद महाराजा हरि सिंह को स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान के विद्रोह का सामना करना पड़ा। खान ने दो नवंबर 1947 को गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया। हालांकि इससे दो दिन पहले 31 अक्टूबर को हरि सिंह ने रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दे दी थी।

साथ ही यह भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया था। इसके 21 दिन बाद पाकिस्तान इस क्षेत्र में दाखिल हुआ और इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। कब्जे में गिलगित-बाल्टिस्तान के अलावा जम्मू का हिस्सा भी शामिल था।

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संपूर्ण भू-भाग को पाकिस्तान 'आजाद कश्मीर' कहने लगा था

इस संपूर्ण भू-भाग को पाकिस्तान 'आजाद कश्मीर' कहने लगा जबकि भारत इसे 'गुलाम कश्मीर' मानता है, इसे सिर्फ 'कश्मीर' कहना ठीक नहीं है, क्योंकि इसमें जम्मू के भी हिस्से हैं।

अप्रैल 1949 तक गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा माना जाता रहा है, लेकिन 28 अप्रैल 1949 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ, जिसके तहत गिलगित के मामलों को सीधे पाकिस्तान की संघीय सरकार के मातहत कर दिया।

पीओके पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है

इस बाबत ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन की ओर से 23 मार्च को ब्रिटिश संसद में पेश प्रस्ताव में कहा गया कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान पर अवैध कब्जा कर रखा है। यह क्षेत्र उसका है ही नहीं। इससे पहले भारत भी कह चुका है कि पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कब्जा अवैध है और उसे खाली करना ही होगा।

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