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भैया जान लों! अगर दिखें किन्नर का जनाजा तो निकल लो उल्टे पांव
किन्नर समाज का अभिन्न अंग हैं। समाज में मनाई जाने तमाम खुशियों में किन्नरों की भी भूमिका होती है। बच्चों के जन्म से लेकर उनके शादी तक की बहुत सी खुशियों में किन्नर घर आते हैं और दुआएं देकर अपनी बख्शीस लेकर लौट जाते हैं।
नई दिल्ली : किन्नर समाज का अभिन्न अंग हैं। समाज में मनाई जाने तमाम खुशियों में किन्नरों की भी भूमिका होती है। बच्चों के जन्म से लेकर उनके शादी तक की बहुत सी खुशियों में किन्नर घर आते हैं और दुआएं देकर अपनी बख्शीस लेकर लौट जाते हैं।
सामान्य लोगों से किन्नरों की जिंदगी बिल्कुल अलग होती है। समाज में होने वाले क्रिया-कलापों से किन्नरों के क्रिया-कलाप भी भिन्न होते हैं। आईए आपको बताते हैं कि किन्नरों के यहां अंतिम संस्कार कैसे होता है किस विधि से होता है।
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आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं किन्नरों के पास
किन्नरों को लेकर ऐसा माना जाता है कि बहुत से किन्नरों के पास आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं। जिससे उन्हें मौत का आभास हो जाता है कि उनकी मृत्यु होने वाली है। जब उन्हें ये पता चल जाता है तब वे सब कुछ खाना बंद कर देते हैं और केवल पानी पीते हैं।
भगवान से अपने और अन्य किन्नरों के लिए दुआ मागंते हैं कि अगले जन्म वे किन्नर न बनें। दूर-दूर से भी किन्नर मिलने आते हैं। क्योंकि यह मान्यता है कि मरने वाले किन्नरों की दुआएं काफी प्रभावशाली होती हैं।
मरने की खबर को रखते हैं गुप्त
हां बस इस बात का जरूर ध्यान रखा जाता है कि मरनेवाले किन्नर की खबर किसी बाहर वाले को न हो, ये सावधानी बरती जाती है। शव को जहां दफनाया जाता है वहां पर भी सूचना को गुप्त रखने के लिए कहा जाता है। अगर उन्हें भनक भी लग जाए कि बाहरी व्यक्ति अंतिम संस्कार देख रहा है तो ये उस दर्शक के लिए खतरनाक हो सकता है।
हिन्दू धर्म में अर्थी को ले जाते वक्त चार कंधों पर लिटा कर ले जाया जाता है पर किन्नर समाज में शव को खड़ा करते अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है।
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ऐसा करते हैं कि अगले जन्म न बने किन्नर
किन्नरों के शव को जलाया नहीं जाता हैं, बल्कि दफनाया जाता है। साथ ही मुंह में पवित्र नदी का जल भी डालने का रिवाज है। इसके बाद सफेद कपड़े में लपेट कर शव को दफनाया जाता है। किन्नरों का अंतिम संस्कार देर रात में किया जाता है।
आपको बता दें, किन्नरों की मृत्यु की बात को गुप्त इसलिए रखा जाता है कि ऐसी मान्यता है कि सामान्य लोग अगर मृत किन्नर का शरीर देख ले तो मृतक को अगले जन्म में फिर किन्नर का जन्म मिलता है।
सबसे अलग है ये प्रथा
किन्नरों की शव-यात्रा की ये बात सुनकर आपकों बहुत अजीब लगेगा। किन्नर स्वंय के जीवन को अभिशप्त मानते हैं। शवयात्रा से पहले मृतक किन्नर को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है और गालियां दी जाती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि मृतक किन्नर ने पूरे जन्म में जो भी अपराध किए हो तो उसका प्रायश्चित हो सके और अगले जन्म सामान्य इंसान की तरह ही जीवन मिले। किन्नर की मौत के बाद पूरा किन्नर वयस्क समाज व्रत भी रखता है।
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