×

'हिन्दी दिवस' के मौके पर जानें इस दिन का महत्व, क्या है इस दिन की खासियत

आज हिन्दी दिवस है और बहुत लोग इस बात से वाकिफ नहीं होंगे कि आज के ही दिन हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है।

Shreya
Published on: 26 April 2023 10:48 AM GMT
हिन्दी दिवस के मौके पर जानें इस दिन का महत्व, क्या है इस दिन की खासियत
X
हिन्दी दिवस के मौके पर जानें इस दिन का महत्व, क्या है इस दिन की खासियत

आज 'हिन्दी दिवस' है और बहुत लोग इस बात से वाकिफ नहीं होंगे कि आज के ही दिन हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है तो चलिए आपको बताते हैं कि आज के दिन हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है।

भारत में कई तरह की बोलियां और भाषाएं बोली जाती हैं और आजादी के बाद किसी एक भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया जाना था। बहुत विचार विमर्श के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्दी भाषा को भारत का राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के बाद से हिन्दी दिवस को हर साल मनाने का भी फैसला लिया गया। देश में सबसे पहला हिन्दी दिवस 14 सितम्बर 1953 को मनाया गया था।

इसलिए भी खास है 'हिन्दी दिवस'-

इस बात को एक लेकर एक और तथ्य है। दरअसल, 14 सितंबर 1949 के दिन हिन्दी भाषा को राजभाषा चुने जाने वाले दिन राजेन्द्र सिन्हा का 50वां जन्मदिन था। राजेन्द्र सिन्हा ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत मेहनत की थी। इसलिए बोला जाता है कि उनके जन्मदिन के दिन हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें: गृह मंत्री अमित शाह ने देशवासियों को दी हिन्दी दिवस की बधाई

राजेन्द्र सिन्हा के अलावा काका कालेलकर. मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, सेठ गोविन्ददास और अन्य साहित्यकारों ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत प्रयास किए थे। इसके उन सभी ने दक्षिण भारत की यात्राएं की और लोगों को इसके लिए मनाने का हर उचित प्रयास किया था।

1918 में बापू ने रखी थी राष्ट्रभाषा बनाने की बात-

वहीं गाधी जी ने भी साल 1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि ये जनमानस की भाषा है और साल 1949 में 14 सितंबर को काफी विचार करनने के बाद हिन्दी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा के रुप में चुना गया। इसी के साथ देवनागरी को भारत की लिपि चुना गया।

यह भी पढ़ें: भारत की इस कम्पनी ने स्वेदशी तकनीक से स्नाइपर राइफल बनाकर रचा इतिहास

खड़ी हुई थीं काफी मुश्किलें-

हालांक जब हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के रुप में लागू किया तो कई मुश्किलें भी खड़ी हुईं। अनेकों प्रकार की बोली और भाषाएं बोली जाने वाले इस देश में जब हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला तो गैर-दिन्दी भाषी राज्य के लोगों ने इसका विरोध किया। विरोध के बाद अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा था। अंग्रेजी भाषा का प्रभाव की वजह से जैसे हिन्दी का अस्तित्व कम पड़ने लगा।

लोगों को हिन्दी भाषा से करवाया जाता है रुबरु-

देश में अंग्रेजी भाषा के वजह से हिन्दी का अस्तित्व जैसे कम होते जा रहा है। लोग हिन्दी भाषा का प्रयोग बहुत कम करते हैं और ऐसा भी कहा जा सकता है कि प्रयोग करने से कतराते हैं। आज की दुनिया में मानो के इंग्लिश भाषा का बोलबाला है, लोग हिन्दी भाषा का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं। इसलिए हर साल हिन्दी दिवस मनाने का एक और दृष्टिकोण है और वो ये है कि लोगों को इस भाषा से रुबरु करवाना। हिन्दी भाषा का पूरी तरह से विकास करने के उद्देश्य से हर साल हिन्दी दिवस को मनाया जाता है।

इस दिन प्रत्येक सरकारी दफ्तर में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी भाषा का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जो वर्ष भर हिन्दी में अच्छे विकास कार्यों को करता है और अपने कार्यों में हिन्दी भाषा का अच्छे से इस्तेमाल करता है, उसे इस दिन पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है।

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी ने अपना जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है: अमित शाह

प्रत्येक वर्ष हिन्दी शब्दों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर किया जाता है शामिल-

बता दें कि हिन्दी भाषा के शब्दों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी शामिल किया गया है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की वर्ल्ड इंग्लिश एडिटर डेनिका सालाजार के मुताबिक डिक्शनरी में अब तक हिन्दी के 900 शब्दों को शामिल किया गया है। हर साल भारतीय शब्दों, जिसमें हिन्दी की संख्या ज्यादा है, को जगह मिल रही है।

सबको मिल कर करना चाहिए प्रयास-

हर साल हिन्दी भाषा के बेहतर उपयोग से हिन्दी भाषा के अस्तित्व को बचाया जा सकता है। सबको अपने जीवन शैली में हिन्दी भाषा का भी अधिकतम इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे हिन्दी भाषा अपने पूरे अस्तित्व और विकास में आ सके। बच्चों को अंग्रेजी के अलावा हिन्दी भाषा का देना चाहिए ज्ञान, जिससे बच्चे हिन्दी भाषा के महत्व समक्ष सके।

Shreya

Shreya

Next Story