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कौन थे विश्वकर्मा: नहीं जानते होंगे आप इनके बारे में ये बात
आज विश्वकर्मा पूजा है पर क्या आपको पता है कि इस पूजा क्या महत्व है? आज का दिन विश्वकर्मा के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है। विश्वकर्मा को देवताओं के वास्तुकार के रुप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए महलों, हथियारों और भवनों का निर्माण किया था।
आज विश्वकर्मा पूजा है पर क्या आपको पता है कि इस पूजा क्या महत्व है? आज का दिन विश्वकर्मा के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है। विश्वकर्मा को देवताओं के वास्तुकार के रुप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए महलों, हथियारों और भवनों का निर्माण किया था। इस वजह से आज लोहे के सामानों जैसे- औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा होती है और दफ्तर बंद रहते हैं। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार विश्वकर्मा को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का सातवां धर्म पुत्र माना जाता है।
विश्वकर्मा जयंती पर जानिए कौन थे भगवान विश्वकर्मा-
भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता माना गया है क्योंकि उन्होंने देवताओं के लिए कईयों भव्य महलों, भवनों, हथियारों और सिंघासनों का निर्माण किया था। मान्यता है कि एक बार भगवान विश्वकर्मा असुरों से परेशान देवताओं के गुहार पर महर्षि दधीची की हड्डियों से देवाताओं के राजा इंद्र के लिए एक वज्र बनाया था। ये वज्र इतना प्रभावशाली था कि सब असुरों का सर्वनाश हो गया। यहीं कारण है कि भगवान विश्वकर्मा का सभी देवताओं में विशेष स्थान है। विश्वकर्मा ने अपने हाथों से कई संरचनाएं की थीं। माना जाता है कि उन्होंने रावण की लंका, कृष्ण नगरी द्वारिका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगरी और हस्तिनापुर का निर्माण किया था।
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इसके अलावा उड़ीसा में स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण अपने हाथों से किया था। इसके अलावा उन्होंने कईयों हथियारों का निर्माण किया था जैसे कि भगवान शिव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और यमराज का कालदंड मुख्य हैं। इसके साथ ही उन्होंने दानवीर कर्ण के कुंडल और पुष्पक विमान की भी संरचना की थी। मान्यता है कि रावण के अंत के बाद राम, लक्ष्मण, सीता और अन्य सभी साथी इस विमान पर बैठकर अयोध्या वापस लौटे थे।
क्या है विश्वकर्मा जयंती का महत्व-
इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा ने जन्म लिया था। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पकार, वास्तुशास्त्र का देवता, मशीन का देवता आदि नामों से पुकारा जाता है। विष्णु पुराण में विश्वकर्मा को देव बढ़ई भी कहा गया है। माना जाता है कि इस दिन लोहे के बने सामानों की पूजा होती है और इस दिन पूजा करने से व्यापार में रात-दिन तरक्की होती है।
इस पर्व को घरों के साथ-साथ दफ्तरों और कारखानों में मनाया जाता है। जो व्यापारी इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, वेल्डिंग और मशीनों के काम से जुड़े होते हैं उनके लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन मशीनों के साथ-साथ दफ्तरों और कारखानों की सफाई करके विस्वकर्मा की मूर्ति को सजाया जाता है। फिर लोग मशीनों, गाड़ियों, कम्प्यूटर की पूजा करते हैं।
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